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महीना हुआ पूरा ,नहीं बनी सरकार और किसानों के बीच में बात ,आज अहम बैठक के संकेत

सिंधु बॉर्डर पर 26 नवंबर से जुटे हैं किसानों के आज 1 महीने पूरे हो गए,  कड़कड़ाती ठंड और  सर्द रात में सिंधु टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर किसान डटे हुए हैं ! पूरे गृहस्थी को बॉर्डर पर बताने के मूड में चले किसानों के बीच आज तक सरकार से बात बनती नजर नहीं आई ! नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसानों के आंदोलन का एक महीना पूरा हो गया है. किसान  ठीक एक महीने पहले सिंघु बॉर्डर पर 26 नवंबर को जुटे थे. तब नवंबर की सर्दी इतनी नहीं चुभती थी, जितनी की आज 26 दिसंबर की सर्द हवा चुभती है. सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर में पिछले एक महीने में टेंट और ट्रैक्टर में किसानों की पूरी गृहस्थी बस गई है. सड़क पर रात गुजार रहे किसान सर्द हवाओं की चपेट में आकर भले ही एक पल को कांपने-डोलने लगते हों, लेकिन उनके इरादे अभी नही डोले हैं !किसान आंदोलन: सरकार के नए कृषि कानूनों का क्यों हो रहा है विरोध - The  Financial Express

किसान इन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर बरकरार हैं. इस बीच किसानों और सरकार के बीच पांच से छह राउंड की वार्ता हुई लेकिन गतिरोध खत्म नहीं हो पाया है.

साल 2020 अब कुछ ही दिनों का मेहमान है. नए साल में सरकार से लेकर किसान सभी यही उम्मीद कर रहे हैं कि किसानों की इन मांगों का सर्वमान्य हल निकले. इस सिलसिले में आज शनिवार को किसान संगठनों की अहम बैठक होने जा रही है. इस मीटिंग में किसान संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बातचीत के लिए दी गई नई पेशकश पर चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कुछ किसान संगठनों ने संकेत दिया है कि वे सरकार के साथ एक बार फिर से वार्ता शुरू कर सकते हैं, ताकि इस गतिरोध का कुछ समाधान निकाला जा सके !यूपीः चिल्ला बॉर्डर पर से हटे किसान, सामान्य यातायात बहाल - up farmers  removed from shout border normal traffic restored - UP Punjab Kesari

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किसान संगठनों ने कहा है कि वे शनिवार को एक बैठक करेंगे. इस बैठक में केंद्र द्वारा बातचीत की पेशकश का क्या जवाब दिया इस पर एक औपचारिक फैसला लिया जा सकता है.

इधर कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि सरकार किसान संगठनों के साथ अगले दो से तीन दिनों के अंदर बातचीत की टेबल पर बैठ सकती है.  प्रदर्शन कर रहे एक किसान नेता ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा कि MSP को कानूनी गारंटी देने की उनकी मांग बनी रहेगी. इस नेता ने कहा, “केंद्र के पत्र पर फैसला करने के लिए शनिवार को हमारी एक और बैठक होगी. इस बैठक में हम सरकार के साथ बातचीत फिर शुरू करने का फैसला कर सकते हैं क्योंकि उसके पिछले पत्रों से मालूम होता है कि वह अब तक हमारे मुद्दों को नहीं समझ पाई है.”

एक अन्य किसान नेता ने कहा कि इन तीन कानूनों को रद्द करने की हमारी मांग से MSP को अलग नहीं किया जा सकता है. इस नेता ने कहा कि नए कृषि कानूनों में निजी मंडियों का जिक्र है. यह कौन सुनिश्चित करेगा कि हमारी फसल यहां पर तय एमएसपी पर बेची जाए?

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बता दें कि शुक्रवार को भी कई किसान संगठनों ने मीटिंग की थी, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के लिए मिले नए न्योते पर कोई फैसला नहीं हो पाया.

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