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महिलाओं और बच्चियों के साथ उत्पीड़न पर सरकार का बड़ा कदम सभी स्पेशल पोक्सो कोर्ट और फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट को जारी रखने का फैसला

दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की घटना सहित देश के तमाम राज्यों में हो रहे महिलाओं और बच्चियों के साथ उत्पीड़न पर सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए देश के सभी स्पेशल पोक्सो कोर्ट और फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट को 31 मार्च, 2023 तक जारी रखने का फैसला किया है,देश में बढ़ते यौन उत्पीड़न और यौन अपराध के मामलों के त्वरित निपटारे के लिए इस तरह की कोर्ट्स का आगे भी जारी रखना बेहद जरूरी माना जा रहा है. दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मामलों के निपटारे के लिए देश में बनाए गए 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट: स्मृति ईरानी - Republic Bharatइन कोर्ट्स के लिए केंद्र सरकार ने 1572.86 करोड़ रुपए की धनराशि भी मंजूर की है जोकि निर्भया फंड के जरिए जारी की जाएगी

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बताते चलें कि देश में महिलाओं और बच्चों के साथ यौन अपराध और दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर स्पेशल पोक्सो कोर्ट्स सहित फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स स्थापित की गई थी. POCSO: फांसी से रुकेगी बच्चियों से दरिंदगी या रेप पर छलावा है केंद्र का नया कानून? - pocso act delhi high court supreme court rapist modi govt unnao rape case kathua rape case - AajTakकेंद्र सरकार ने इन सभी कोर्ट को आगे भी जारी रखने का फैसला किया है. इतना ही नहीं सरकार जिन राज्यों में इस तरह की कोर्ट नहीं है वहां भी जल्द से जल्द इनकी स्थापना कराना चाहती है.

देश के 31 राज्यों में योजना का विस्तार करने की तैयारी
इस बीच देखा जाए तो मौजूदा समय में विशेष पोक्सो कोर्ट और फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट 28 राज्यों में स्थापित की हुई हैं. वहीं अब केंद्र सरकार सभी 31 राज्यों में इस तरह की कोर्ट स्थापित करने के लिए योजना तैयार कर चुकी है. देश के 31 राज्यों में इस तरह की कोर्ट स्थापित की जा सकेंगी. यह सभी राज्य केंद्र की इस योजना में शामिल होने के पात्र हैं. सरकार आने वाले समय में जल्दी 31 राज्यों में इस योजना का विस्तार करेगी.आधिकारिक बुलेटिन - 3 (9-Jan-2020)दुष्कर्म और पॉस्को अधिनियम के मुकदमों के शीघ्र निपटारे के लिए 1023 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों का गठन (1023 Fast Track Special ...

यह देश के दूरदराज क्षेत्रों सहित पूरे देश में यौन अपराधों की असहाय पीड़ितों को समयबद्ध न्याय प्रदान करने के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के प्रयासों का समर्थन कर रहा है. योजना के अपेक्षित परिणाम इस प्रकार हैं:-
महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता.

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दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम के लंबित मामलों की संख्या कम करना.

फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की स्थापना को मंजूरी, पोस्को मामलो की होगी शीघ्र सुनवाई - establishment of fast track special court approved

यौन अपराधों के पीड़ितों को त्वरित न्याय प्रदान करना और यौन अपराधियों के खिलाफ एक निवारक के रूप में कार्य करना.

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इन मामलों की तेज अदालती प्रक्रिया, न्यायिक प्रणाली में लंबित मामलों के बोझ को कम करेगी.

 

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31 मार्च, 2023 तक जारी रहेंगी स्पेशल पोक्सो व फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 389 विशेष पोक्सो कोर्ट्स सहित 1,023 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स को केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के रूप में 01 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2023 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है. और इसके लिए कुल 1572.86 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्से के रूप में 971.70 करोड़ रुपये और राज्य के हिस्से के रूप में 601.16 करोड़ रुपये) की धनराशि निर्धारित की गयी है. केंद्रीय हिस्से की धनराशि निर्भया फंड से उपलब्ध करायी जाएगी. यह योजना 02 अक्टूबर, 2019 को शुरू की गई थी.

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केंद्र का मानना है कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को हमेशा सर्वाधिक महत्व दिया गया है. बालिकाओं को सशक्त बनाने की दिशा में सरकार ने पहले ही ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. 12 वर्ष से कम उम्र की नाबालिग लड़कियों और 16 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था.

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Now the visually impaired will get the benefit of reservation in the Civil Judge Examination

इस तरह की घटनाओं और लंबे समय तक चलने वाली अदालती प्रक्रिया को देखते हुए दोषियों के परीक्षण के लिए एक समर्पित न्यायालय तंत्र बनाने की आवश्यकता थी, जो मुकद्दमे में तेजी ला सके और यौन अपराधों के पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान कर सके.

POCSO (पॉक्सो) कानून क्या है, जानिए इसके प्रावधान? | Here's all you need to know about POCSO act - Hindi Oneindia

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आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 लागू करने से फास्ट ट्रैक की स्थापना
ऐसे मामलों में अधिक कड़े प्रावधान, त्वरित सुनवाई और मामलों के निपटान के लिए, केंद्र सरकार ने “आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018” लागू किया और दुष्कर्म के अपराधियों के लिए मौत की सजा सहित कड़ी सजा का प्रावधान किया. इससे फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (एफटीएससी) की स्थापना हुई.

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