दिल्ली की एक अदालत ने बलात्कार के एक मामले में आरोपी 28 वर्षीय मुंबई के पत्रकार वरुण हिरमथ की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि आरोपी के साथ पीड़ित के पिछले यौन अनुभवों को सहमति नहीं माना जा सकता है. यह आदेश अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय खनगवाल (फास्ट ट्रैक कोर्ट), पटियाला हाउस कोर्ट ने 12 मार्च को पारित किया.
अपने आदेश में जज ने लिखा, ‘हालांकि व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम चैट को अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष रूप से मना नहीं किया गया है, लेकिन इसके बावजूद तथ्य यह है कि अभियुक्त और अभियोजन पक्ष के बीच प्रेम संबंध थे और दोनों के शारिरिक संबंध थे. ‘कोर्ट ने कहा कि अगर दोनों के बीच पहले से संबंध थे तो भी भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 53- (क) के तहत इसे दुष्कर्म के मामले स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
क्या हैं महिला के आरोप?
महिला ने अपनी शिकायत में और मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में आरोप लगाया है कि 20 फरवरी को चाणक्यपुरी में एक पांच सितारा होटल में पत्रकार हिरेमथ ने दुष्कर्म किया था. महिला की शिकायत के आधार पर, IPC की धारा 376 (बलात्कार के अपराध की सजा), 342 और 509 के तहत प्राथमिकी चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी. अदालत ने कहा कि जहां तक सहमति होने या ना होने का सवाल है, महिला ने अदालत के समक्ष अपने साक्ष्य में कहा कि उसने सहमति नहीं दी, इसलिए ‘अदालत मान लेगी कि उसने सहमति नहीं दी.’
अदालत ने यह भी कहा कि बचाव पक्ष के वकील द्वारा बताए गए विरोधाभास ‘ठोस नहीं हैं’ और अभियोजन पक्ष की दलील को खारिज करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. जांच अधिकारी ने अदालत से कहा कि उन्हें आरोपी से हिरासत में पूछताछ करने की जरूरत है. अभियुक्त के वकील एडवोकेट संदीप कपूर ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को’ झूठा फंसाया गया’ और ‘जो कुछ भी अपराध के दिन हुआ था, वह सहमति से था और यहां तक कि पीड़ित अभियुक्त से मिलने के लिए पुणे से दिल्ली आईं. दोनों होटल गए और डबल बेड का रूम लिया. शिकायतकर्ता ने इस बाबत जरूरी डॉक्यूमेंट्स भी होटल को दिये. ऐसे में यह दिखाता है कि महिला की भी यौन संबंध में रुचि थी.