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हरियाणा में मुश्किल में है खट्टर सरकार, कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर सीएम खट्टर की निर्दलीय विधायकों की गोलबंदी

हरियाणा जहां एक तरफ आंदोलन से भरा पड़ा है ,वहीं भाजपा की सहयोगी पार्टी जेजेपी किसानों के आंदोलन पर उनके साथ देते हुए नजर आ रही है ,और बार-बार मनोहर लाल खट्टर पर दबाव बना रही है,  जिसे देखते हुए कांग्रेस भी दम भरना शुरू कर चुकी है और मुश्किल में फंसी खट्टर सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस की ओर से विधानसभा में बार-बार अविश्वास प्रस्ताव को लाने की मांग तेज हो चुकी हैं , यही वजह है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ,निर्दलीय विधायकों के भरोसे बैठने को तैयार हो रहे हैं ! जहां अपने डिप्लोमेसी में खट्टर सरकार ने निर्दलीय विधायकों को गोलबंद करना शुरू किया है ,वही खट्टर ने लॉलीपॉप के जरिए निर्दलीय विधायकों को साथ लाने का मन बना रहे हैं!हरियाणा में मुश्किल में खट्टर सरकार, किसानों के समर्थन में 7 जजपा विधायक-  उनकी मांगे सुने केंद्र - YouTube

जेपी और जेजेपी नेता केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मंगलवार को मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि हरियाणा में बीजेपी की सहयोगी जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला अपने विधायक और पार्टी नेताओं के संग बैठकर किसान आंदोलन को लेकर उनके मूड भांपने की कवायद करेंगे. इसके बाद दुष्यंत चौटाला केंद्रीय गृहमंत्री से मिल सकते हैं.

दरअसल, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर नहीं चाहते कि भविष्य में उन्हें किसी तरह के राजनीतिक अविश्वास का सामना करना पड़े. ऐसे में सीएम का पूरा जोर विधायकों के साथ तालमेल बनाकर रखने की है, क्योंकि कांग्रेस विधानसभा के बजट सत्र में बीजेपी सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की जिद पर अड़ी है. पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सैलजा बजट सत्र से पहले ही विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए 15 जनवरी को राज्यपाल से भी मिलने वाले है. ऐसे में किसी भी स्थिति से बचने के लिए मुख्यमंत्री अपनी रणनीतिक तैयार करने में जुटे हुए हैं. किसान आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार तो मुश्किल में आ सकती है खट्टर सरकार - kisan  andolan farmers protest haryana politics bjp jjp support independent khattar  govt congress - AajTak

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सीएम मनोहर लाल ने सोामवार को प्रदेश के चार निर्दलीय विधायकों के साथ ऊर्जा मंत्री रणजीत चौटाला के आवास पर लंच किया. इस दौरान उन्होंने निर्दलीय विधायकों से किसान आंदोलन को लेकर उनके मिजाज को समझने के साथ-साथ प्रदेश की सियासी गतिविधियों को लेकर बातचीत की. इस लंच के मेजबानी पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत चौटाला ने की, जो रानियां से निर्दलीय विधायक हैं. खट्टर ने पिछले सप्ताह भी निर्दलीय विधायकों के साथ लंच किया था. पृथला के निर्दलीय विधायक एवं हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के चेयरमैन नयनपाल ने लंच का आयोजन किया था.

हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन की सरकार है. 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 40 विधायक जीतकर आए थे, जिसके बाद जेजेपी के 10 विधायकों ने समर्थन दिया था. इसके अलावा निर्दलीय विधायकों की संख्या सात है. वहीं, कांग्रेस के 31 विधायक हैं. इसके अलावा एक विधायक लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा हैं. ऐसे में कुछ विधायक इधर से उधर हुए तो खट्टर सरकार के लिए परेशानी बढ़ा सकता है. हरियाणा चुनाव परिणाम 2019: हरियाणा में बीजेपी को लग सकता है बड़ा झटका,  मुश्किल में खट्टर सरकार | Haryana election result 2019: BJP may face a big  setback in Haryana, Khattar govern

कांग्रेस किसान आंदोलन के चलते अविश्वास प्रस्ताव की मांग कर रही है, लेकिन बीजेपी और जेजेपी नेता बार-बार कह चुके  हैं कि सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी. इसके बाद भी बीजेपी और जेजेपी अपने विधायकों के नब्ज को समझने में जुटी है, क्योंकि अधिकतर जेजेपी विधायक किसानों के मुद्दे पर अपने नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए कोई खेल करने में कामयाब हो जाती है तो निर्दलीय विधायक गठबंधन की सरकार के खेवनहार हो सकते हैं.

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बीजेपी को यही डर है कि किसानों के मुद्दे पर जेजेपी के कुछ विधायक बागी हुए तो निर्दलीय विधायक उनके लिए सहारा बन सकते हैं. निर्दलीय विधायकों में महम के एमएलए बलराज कुंडू शुरू से बीजेपी के खिलाफ हैं, जबकि चरखी दादरी के निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान न केवल पशुधन विकास बोर्ड के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे चुके हैं, बल्कि सरकार से समर्थन वापस ले चुके हैं. ऐसे में बिजली मंत्री रणजीत चौटाला, पृथला के विधायक नयनपाल, पूंडरी के विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी के विधायक धर्मपाल गोंदर और बादशाहपुर के विधायक राकेश दौलताबाद बचे हैं, जो फिलहाल खट्टर सरकार के साथ हैं.

मुख्यमंत्री की गुडबुक में शामिल नयनपाल रावत ने पिछले सप्ताह अपने पंचकूला आवास पर निर्दलीय विधायकों को इकट्ठा कर सरकार को दिखा चुके हैं कि वह उनके साथ हैं. इस बार रणजीत चौटाला ने अपने चंडीगढ़ आवास पर लंच का आयोजन किया, जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल शामिल होकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि सरकार को किसी भी सूरत में खतरा नहीं है. ऐसे में देखना है कि लंच डिप्लोमेसी के जरिए कितना समीकरण साधकर रखते हैं.

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