पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में RLSP की करारी हार और नीतीश कुमार के कमबैक ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को सोचने पर मजबूर कर दिया ,RLSP के मुखिया को यह लगने लगा कि कहीं इनका अस्तित्व न खत्म हो जाए ! दरअसल, 2019 लोकसभा चुनाव से पहले उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से अलग हो गए थे और महागठबंधन में शामिल हुए. 2019 लोकसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी को बुरी तरीके से हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 2020 विधानसभा चुनाव से पहले उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन से भी अलग हो गए और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन किया और मुख्यमंत्री के उम्मीदवार बन गए.
हालांकि, विधानसभा चुनाव में भी उपेंद्र कुशवाहा पराजित हुए और उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अब सवाल खड़े हो चुके हैं. ऐसे में 2 दिसंबर को नीतीश कुमार के साथ उनकी मुलाकात के बाद इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि राजनीतिक तौर पर अप्रासंगिक हो चुके उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी का विलय जनता दल यूनाइटेड के साथ करके अपने घर वापसी कर सकते हैं.
नई सरकार गठन के बाद पहले विधानसभा सत्र के दौरान आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने जिस तरीके से नीतीश कुमार पर निजी हमले किए थे, उसको लेकर भी उपेंद्र कुशवाहा ने नाराजगी जताई थी. सूत्रों के मुताबिक जनता दल यूनाइटेड के अन्य नेताओं का भी मानना है कि नीतीश कुमार और कुशवाहा एक ही धारा से आते हैं और अगर ऐसे में दोनों एक साथ आते हैं और दोनों के पार्टियों का विलय होता है तो इससे किसी को परहेज नहीं है.