लव जिहाद पर देश फिर एक बार सुलग उठा है या यू कहें लव जिहाद फिर से एक का सुर्खियों में है भाजपा शासित राज्यों ने इसके खिलाफ कानून बनाने की मुहिम तेज कर दी है तो यूपी मध्य प्रदेश सहित राज्यों में 5 साल के सजा का प्रावधान लिए किया जा सकता है जहां भाजपा घटक दलों के रूप में हैं वहां भी इस तरह की मांग उसने लगी है !
यूपी के कानपुर में इस तरह की कई घटनाएं रिपोर्ट होने के बाद कुछ महीने पहले जांच के लिए स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) बनाई गई. इस एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट कानपुर आईजी को सौंप दी है. एसआईटी ने कुल 14 मामलो की पड़ताल की. इनमें से कई केस ऐसे हैं जिनमें आरोपियों की ओर से हिन्दू नाम रख कर लड़कियों को बरगलाया गया. तीन आरोपियों के खिलाफ दस्तावेज मिलने से नाम बदलने की पुष्टि हुई है. 14 केसों में तीन लड़कियों ने माना कि वे बालिग हैं और उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की है और वो अपने पतियों के साथ ही रहना चाहती हैं. बाकी 11 केसों में चार्जशीट दाखिल कर आरोपियों को जेल भेज दिया गया है. इनमें आठ नाबालिग लड़कियों से जुड़े केस हैं.
हालांकि, एसआईटी की जांच रिपोर्ट में ‘लव जिहाद’ जैसा शब्द इस्तेमाल नहीं हुआ है. ना ही जांच में इसके पीछे किसी संगठन या संस्था का कोई हाथ सामने आया है. इसके अलावा ना ही पैसे के लेनदेन या फंडिंग जैसा कोई जिक्र है. ये जानबूझकर धार्मिक पहचान छुपाने के बाद दूसरे समुदाय की लड़कियों को बरगला कर भगाने और धर्म परिवर्तन कर शादी करने से जुड़े केस हैं.
कम से कम 3 केस ऐसे हैं जिनमें आधार कार्ड और दूसरे दस्तावेज में भी फर्जी तौर पर हिंदू नाम लिख दिया, ताकि लड़कियों और परिवार के सामने पहचान हिन्दू की रहे.
जितने केसों की एसआईटी ने जांच की उनमें से ज्यादातर में समुदाय विशेष के लड़कों ने नाम बदलकर फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर लड़कियों से दोस्ती की गई. इन पर आरोप है कि इन्होंने फ़र्ज़ी नाम से इन लड़कियों को अपने झांसे में लिया और न सिर्फ शारीरिक शोषण किया बल्कि कुछ को जबरन धर्म बदलवा कर निकाह भी कर लिया.
मुख्तार अहमद बना ‘राहुल सिंह’
नौबस्ता इलाके के एक मामले में मुख्तार अहमद नाम के लड़के ने पहले से ही एक हिंदू लड़की से शादी कर रखी थी और उसने इसी समुदाय की दूसरी लड़की को राहुल सिंह बनकर अपने जाल में फंसाया. उस लड़की को सच्चाई तब पता चली जब अदालत में कोर्ट मैरिज करते वक्त उसका असल नाम मुख्तार अहमद लिखा पाया.
आजतक की टीम ने कानपुर के नौबस्ता थाना इलाके में पीड़िता कंचन (बदला हुआ नाम) तक पहुंची तो उसने सारी आपबीती सुनाई. कंचन के मुताबिक मुख्तार उससे पहली बार मिला तो अपना नाम राहुल सिंह बताया. कोचिंग आते जाते वो उससे मिली और दोनों की दोस्ती बढ़ती चली गई. मुख्तार की असलियत तब खुली जब कंचन उसके साथ कोर्ट मैरिज के लिए अदालत पहुंची. वहां उसे पहली बार पता चला कि वो जिसके प्यार में पागल हो गई थी वो राहुल सिंह नहीं मुख्तार अहमद था. वह अपने माता-पिता के पास तब लौटी जब एसआईटी ने जांच में इस पूरी शादी को ही गलत पाया.
मुख्तार ने फिर भी उसका पीछा नहीं छोड़ा. उसने कंचन के घर आकर उससे मारपीट की और अदालत तक उसे घसीट कर ले जाने की धमकी भी दे डाली. इससे कंचन के साथ उसके घरवाले भी बेहद डर गए.
कंचन मानती है कि वो ‘लव जिहाद’ की शिकार हो चुकी है. कंचन के मुताबिक उसने प्यार किया, इसका उसे मलाल नहीं है, लेकिन प्यार करते वक्त मुख्तार ने अपना धर्म छुपाया. कोर्ट मैरिज के दिन अपना असल नाम जाहिर किया जिससे उसे सदमा पहुंचा. कंचन के मुताबिक उस वक्त वो मजबूर थी और उसके सामने और कोई रास्ता नहीं था. कंचन का कहना है कि वो धोखे का शिकार हुई. कंचन की मांग है कि मुख्तार को झूठ की सख्त सजा मिलनी चाहिए क्योंकि इसने उसकी जिंदगी तबाह कर दी.
‘आर्यन मल्होत्रा’ बन कर लड़की से मिला फतेह खान
नौबस्ता थाने का ही दूसरा मामला और भी हैरतअंगेज है. फतेह खान नाम के एक लड़के ने पिंकी (बदला हुआ नाम ) से आर्यन मल्होत्रा बनकर दोस्ती की. बिजनौर के रहने वाला फतेह खान को पिंकी के परिवार वाले भी आर्यन ही समझते रहे. फतेह खान ने आर्यन मल्होत्रा के नाम से फर्जी आधार कार्ड भी बनवा रखा था.
हालांकि लड़की के घर वालों को दोनों का मिलना पसंद नहीं था. लड़की प्यार में अंधी होकर घर से भाग गई. पिंकी की मां को एक दिन उसके बैग से फतेह खान का असली नाम पता और आधार कार्ड मिल गया. एसआईटी ने इस मामले की जांच की तो साफ पाया इस मामले में भी छद्म हिंदू नाम का इस्तेमाल फतेह खान ने किया. लड़की नाबालिग थी इसलिए उसे बरामद कर फतेह खान को रेप और विभिन्न धाराओं में जेल भेजा गया.
कैसे शुरू हुई एसआईटी जांच?
कानपुर में इस प्रकरण ने कुछ महीने पहले तब तूल पकड़ा जब जूही मोहल्ले की चार लड़कियों को भगा कर ले जाने की उनके परिवारों की ओर से शिकायत पुलिस को मिली. फिर दो ऐसी और शिकायतें सामने आईं. लेकिन जैसे ही कानपुर पुलिस ने इस मामले में एसआईटी बनाकर जांच करने की बात कही तो अलग-अलग इलाकों से कुल 14 केस सामने आ गए. ये सभी पिछले 6 महीने में गैर समुदाय के लड़कों की ओर से हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाने, भगाने और गलत तरीके से शादी करने की शिकायतों से जुड़े थे.
क्या कहा आईजी ने?
एसआईटी की ओर से अब कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल को रिपोर्ट सौंपी गई है. आजतक ने आईजी से इस संदर्भ में बात की. मोहित अग्रवाल ने माना कि कई केस ऐसे हैं जिनमें जानबूझकर असल पहचान छुपा कर हिंदू नाम बताए गए, फिर लड़कियों से दोस्ती बढ़ाने के बाद अवैध तरीके से धर्म परिवर्तन कराकर निकाह भी कराए गए.
इस तरह के मामलों की जांच के लिए यूपी के कानपुर में देश की पहली एसआईटी का गठन किया गया था.
गिरोह की तरह काम किया चार लड़कों ने
जांच में पाया गया कि चार लड़कों ने किस तरह मिल कर एक खास इलाके को टारगेट किया. ये कानपुर के जूही मोहल्ले से जुड़ा मामला है. ये चारों लड़के एक दूसरे को अच्छी तरह जानते थे. इसी मोहल्ले से चार लड़कियों के भागने के बाद कानपुर में ये प्रकरण सुर्खियों में आया. उसी के बाद आईजी कानपुर ने जांच के आदेश दिए.
आईजी मोहित अग्रवाल के मुताबिक 8 केसों में लड़कियां नाबालिग मिली हैं, जिन्हें बहला-फुसलाकर दूसरे धर्म के लड़कों ने भगाया और अवैध तरीके से शादी की. जबकि तीन मामलों में लड़कियों ने कहा कि वे बालिग हैं और अपनी मर्जी से उन्होंने शादी की है. उन्होंने ये भी कहा कि वे अपने पति के साथ ही रहना चाहती हैं.
बरामद की गई 11 लड़कियों ने माना कि लड़कों ने इन्हें गलत तरीके से फंसाया. एसआईटी रिपोर्ट के आधार पर कानपुर पुलिस ने 11 मामलों में चार्जशीट भी दायर कर दी है और सभी आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं.