देश की सियासी जोर आजमाइश में एक नाम असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का भी आता है जो 6 बार सांसद चुनकर देश की संसद में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं जिन्होंने तीन बार मुख्यमंत्री का पद भी संभाला है कौशल 84 साल की उम्र में पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का कल निधन हो गया उन्होंने गुवाहाटी मेडिकल एंड हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली लंबे समय से बीमार चल रहे तरुण गोगोई पूरी तरीके से लाइफ सपोर्ट पर थे कोरोना पाए जाने के बाद तरुण गोगोई को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था अगर उनके सियासी सफर की बात करें तो 2001 से 2016 तक तीन बार असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई रह चुके हैं 1 अप्रैल 1936 को असम के जोरहाट जिले के रंगाजन टी एस्टेट में जन में गोगोई की बुनियाद बहुत निम्न थी!
हालांकि उन्हें 25 अक्टूबर को डिस्चार्ज कर दिया गया था. लेकिन इसके बाद उनकी तबीयत फिर बिगड़ी और दो नवंबर को उन्हें फिर से GMCH में भर्ती कराया गया. उनके परिवार में पत्नी डॉली गोगोई, बेटी चंद्रिमा और एक बेटा गौरव हैं, जो कांग्रेस सांसद भी हैं.
2001 से 2016 तक तीन बार असम के मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई का जन्म 1 अप्रैल 1936 को असम के जोरहाट जिले के रंगाजन टी एस्टेट में में हुआ था. उनके पिता डॉ कमलेश्वर गोगोई रंगाजन टी एस्टेट में डॉक्टर थे. वहीं उनकी माता ऊषा गोगोई कवयित्री थीं. उनके माता-पिता उन्हें प्यार से पुनाकोन कहा करते थे.
तरुण गोगोई की शुरुआती पढ़ाई रंगाजन निम्न बुनियादी विश्व विद्यालय से हुई थी. इसके बाद उन्होंने कक्षा चौथी तक जोरहाट मदरसा स्कूल से की. साल 1949 में वह जोरहाट सरकारी हाई स्कूल चले गए, जहां से उन्होंने 10वीं पास की. उन्होंने जोरहाट जिले के ही जगन्नाथ बरूआ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल की.
-तरुण गोगोई पहली बार 1968 में जोरहाट के म्युनिसिपल बोर्ड के सदस्य चुने गए.
-गोगोई 6 बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सांसद रह चुके हैं. साल 1971 से 85 तक वह जोरहाट लोकसभा सीट से जीते. इसके बाद 1991 से 96 और 1998-2002 तक उन्होंने कलियाबोर सीट का प्रतिनिधित्व किया. फिलहाल इस सीट से उनके बेटे गौरव गोगोई सांसद हैं.
-तरुण गोगोई का कद उस वक्त बढ़ा जब साल 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अगुआई में वह ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के जॉइंट सेक्रेटरी चुने गए. साल 1985 से 1990 तक वह पार्टी के महासचिव भी रहे. तब प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे. जब पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने उनकी कैबिनेट में (1991-96) खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री का कार्यभार संभाला.
-वह 1986 से 90 तक असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे. इसके बाद 1996 में वह दोबारा इस पद के लिए चुने गए.
-गोगोई चार बार विधायक भी रहे. उन्होंने सबसे पहले मार्गेरिटा विधानसभा क्षेत्र से (1996-98) जीत हासिल की. इसके बाद 2001 से वह तिताबर विधानसभा सीट से चुने जाते रहे.
-साल 2001 में हुए विधानसभा चुनावों में जब कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की तो तरुण गोगोई को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद रिकॉर्ड तीन बार वह लगातार सीएम चुने गए.
-लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के बाद उनके नेतृत्व पर सवाल उठने लगे. असम की 14 लोकसभा सीट से कांग्रेस कुल 3 ही जीत पाई. जबकि बीजेपी ने 7 सीटें जीतीं, जो असम से किसी भी पार्टी द्वारा लोकसभा चुनाव में जीती गईं सबसे ज्यादा सीटें हैं.
-चुनाव से पहले गोगोई ने ऐलान किया था कि अगर कांग्रेस 14 सीटों में से 7 पर जीत हासिल नहीं कर पाई तो वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. जुलाई 2014 में उन्होंने संकेत दे दिया था कि वह 2016 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व नहीं करेंगे.
तरुण गोगोई के पिता डॉ कमलेश्वर गोगोई रंगजन टी एस्टेट में एक मेडिकल प्रैक्टिशनर थे. वहीं उनकी मां उषा गोगोई कवियत्री थीं. वो प्रसिद्ध कवि गणेश गोगोई की छोटी बहन थीं, इसके अलावा उन्हें अपने कविता संग्रह, हियार सामर (दिल का खजाना) के लिए खास पहचान मिली थी. तरुण गोगोई ने अपने माता-पिता से अलग अपना करियर एक वकील के तौर पर शुरू किया. उन्होंने साल 1963 में असम की गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से एलएलबी की. वो सामाजिक कार्यों और राजनीति में भी गहरी रुचि रखते थे.
30 जुलाई 1972 को, गोगोई ने डॉली गोगोई से विवाह किया. डॉली ने जीव विज्ञान से पढ़ाई की थी. उनके एक बेटे गौरव गोगोई और बेटी चंद्रमा गोगोई हैं.असम राज्य में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी निभाने वाले तरुण गोगोई ने अपने बिजी समय में से एक खास वक्त बागवानी और किताबों को दिया. उन्हें पढ़ने का हमेशा शौक रहा. इसके अलावा खेलों के प्रति भी उनकी रुचि रही. वो टेनिस और फुटबॉल जैसे गेम पसंद करते थे. वह अखिल असम मोइना परिजात, बच्चों के संगठनों और भारत युवक समाज के पूर्व कोषाध्यक्ष रह चुके हैं. हाल ही में एनआरसी को लेकर भी वो खूब चर्चा में रहे. इसके विरोध में उन्होंने याचिका डाली थी और 36 साल बाद फिर से काला कोट पहनकर कोर्ट पहुंचने को लेकर खूब चर्चा बटोरी थी.