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बिहार की राजनीति में हर चौथा विधायक सवर्ण

  • बिहार में कुल 28 राजपूत विधायक जीतकर आए !
  • विभिन्न दलों से 21 भूमिहार विधायक चुनकर आए हैं !
  • 12 ब्राह्मण विधायक चुनाव जीते हैं !
  • 52 यादव विधायक चुने गए हैं !
  •  चुनाव में 19 मुस्लिम विधायक जीते हैं 1

बिहार की राजनीति में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन का फॉर्मूला नीतीश कुमार के लिए भले ही पहले की तरह इस बार रास न आया हो, लेकिन सवर्ण समुदाय के लिए सुपरहिट रहा है. चुनाव नतीजे से एनडीए के सत्ता में आने के साथ-साथ सवर्ण समुदाय से आने वाले विधायकों की संख्या में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. वहीं, बीजेपी-जेडीयू का समीकरण बिहार के यादव, कुर्मी और कुशवाहा जैसी जातियों के लिए नुकसान साबित हुआ है. यही वजह है कि इन ओबीसी समुदाय से आने वाली जातियों के विधायक घट गए हैं.

विधानसभा चुनाव में एनडीए ने बीजेपी, जेडीयू, वीआईपी और HAM के साथ मिलकर अगड़ी और पिछड़ी जातियों का बैलेंस बनाया. एनडीए का यह फॉर्मूला सबसे ज्यादा बीजेपी के कोर वोटबैंक माने जाने वाले सवर्ण समुदाय के लिए सियासी तौर पर फायदेमंद रहा है. बिहार विधानसभा में इस बार हर चार विधायक में से एक सवर्ण है. राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से करीब 64 विधायक अगड़ी जातियों से चुनकर आए हैं.

बिहार में कुल 28 राजपूत विधायक जीतकर आए हैं जबकि 2015 में 20 विधायक जीते थे. इस तरह से राजपूत विधायकों की संख्या में 8 का इजाफा हुआ है. बीजेपी ने इस बार 21 राजपूतों को टिकट दिया था, जिनमें से 15 जीते हैं. जेडीयू के 7 राजूपत प्रत्याशियों में से महज 2 ही जीत सके और दो वीआईपी के टिकट पर जीते हैं. इस तरह से एनडीए के 29 टिकट में से 19 राजपूत विधानसभा पहुंचे हैं.

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वहीं, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने 18 राजपूतों को टिकट दिया था, जिनमें से महज 8 ही जीत सके हैं. आरजेडी ने इस बार 8 टिकट दिए थे, जिनमें से सात जीते हैं जबकि कांग्रेस के 10 में से एक को जीत मिली है. इसके अलावा एक निर्दलीय राजपूत विधायक ने जीत दर्ज की है. पिछले चुनाव में बीजेपी से 9, आरजेडी से 2, जेडीयू से 6 और कांग्रेस से तीन राजपूत विधायक चुने गए थे. ऐसे में बीजेपी और आरजेडी में इजाफा हुआ है तो कांग्रेस और जेडीयू में कमी आई है.

बिहार चुनाव में इस बार विभिन्न दलों से 21 भूमिहार विधायक चुनकर आए हैं जबकि 2015 में 17 विधायक चुने गए थे. इस बार सबसे ज्यादा बीजेपी से जीते हैं. बीजेपी के 14 भूमिहार प्रत्याशियों में से 8 जबकि जेडीयू 8 भूमिहार प्रत्याशियों में से 5 ने जीते हैं और HAM से एक कैंडिडेट को जीत मिली है. इस तरह से एनडीए से 14 भूमिहार विधायक बने हैं. वहीं, महागठबंधन के टिकट पर 6 भूमिहार विधायक चुने गए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा कांग्रेस के 11 प्रत्याशियों में से 4 जबकि आरजेडी और सीपीआई से 1-1 विधायक ने जीत दर्ज की है. हालांकि, 2015 में बीजेपी से 9, जेडीयू से 4 और कांग्रेस से 3 भूमिहार विधायक चुने गए थे.

बिहार में इस बार 12 ब्राह्मण विधायक चुनाव जीते हैं जबकि 2015 में 11 विधायकों ने जीत हासिल की थी. बीजेपी के 12 ब्राह्मण कैंडिडेटों में से 5 को जीत मिली है और जेडीयू के दोनों ब्राह्मण प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. वहीं, कांग्रेस के 9 ब्राह्मणों में से 3 जीते हैं जबकि आरजेडी के 4 में से 2 को जीत मिली है. 2015 के चुनाव में 11 ब्राह्मण जीते थे, जिनमें 3 बीजेपी, 1 आरजेडी, 2 जेडीयू और 4 कांग्रेस से थे. वहीं, कायस्थ समुदाय से तीन विधायकों ने जीत दर्ज की है, ये सभी बीजेपी के टिकट पर जीते हैं. 2015 में बीजेपी से दो और एक कांग्रेस से कायस्थ विधायक चुने गए थे.

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बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार यादव विधायकों की संख्या की संख्या घटकर फिर 2010 के आंकड़े पर पहुंच गई है. इस बार चुनाव में विभिन्य दलों से कुल 52 यादव विधायक चुने गए हैं जबकि 2015 में 61 विधायक जीतकर आए थे. आरजेडी के टिकट पर 36, सीपीआई (माले) से दो, कांग्रेस से एक और सीपीएम से एक यादव विधायक चुने गए हैं. इस तरह से महागठबंधन से 40 यादव विधायक जीते हैं. वहीं, एनडीए से 12 यादव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं, जिनमें बीजेपी से 6, जेडीयू से पांच और वीआईपी से एक यादव विधायक शामिल है. हालांकि, 2015 में आरजेडी से 42, जेडीयू से 11, बीजेपी से 6 और कांग्रेस से दो यादव विधायक जीते थे.

बिहार चुनाव में यादव ही नहीं बल्कि कुर्मी और कुशवाहा विधायकों की संख्या भी घट गई है. इस बार 9 कुर्मी समुदाय के विधायक ही जीत सके हैं जबकि 2015 में 16 कुर्मी विधायक जीतने में सफल रहे थे. इस बार जेडीयू के 12 कुर्मी प्रत्याशियों में से 7 ही जीत हासिल किए हैं जबकि बीजेपी के टिकट पर दो कुर्मी विधायक चुने गए हैं. आरजेडी और कांग्रेस से एक भी कुर्मी नहीं जीत सका. हालांकि, 2015 में जेडीयू से 13 जबकि बीजेपी, कांग्रेस और कांग्रेस से एक-एक कुर्मी विधायक ही जीत दर्ज कर सके थे.

वहीं, कुर्मी समुदाय की तरह कोइरी (कुशवाहा) विधायकों की संख्या में भी कमी आई है. बिहार चुनाव में इस बार 16 कुशवाहा समुदाय के विधायक जीत हासिल कर सके हैं जबकि 2015 के चुनाव में 20 विधायक जीते थे. बीजेपी से 3, जेडीयू से 4, आरजेडी से 4 और सीपीआई (माले) से 4 कुशवाहा समाज के विधायक चुने गए हैं जबकि एक सीपीआई के टिकट पर जीते हैं. वहीं, अगर 2015 के चुनाव के लिहाज से देंखे तो 4 बीजेपी, 4 आरजेडी, 11 जेडीयू, 1 कांग्रेस और 1 आरएलएसपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी. हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि उपेंद्र कुशवाहा ने 48 टिकट कुशवाहा समुदाय के लोगों को दिए थे, जिनमें से एक भी प्रत्याशी नहीं जीत सका.

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बिहार चुनाव में इस बार विभिन्न दलों से वैश्य समुदाय के 24 विधायक चुनकर आए हैं जबकि 2015 में इनकी संख्या विधानसभा में 16 थी. इस तरह से चार विधायकों की बढोतरी हुई है. वैश्य समाज से सबसे ज्यादा 15 विधायक बीजेपी के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. वहीं, आरजेडी से 5, सीपीआई (माले) से 2, जेडीयू और कांग्रेस से 1-1 विधायक वैश्य समुदाय के जीते हैं. इसके अलावा 38 सुरक्षित सीटों से दलित विधायक जीते हैं जबकि 2 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें उन्हीं के खाते में गई है. एसटी समुदाय के दोनों सीटें बीजेपी ने जीत दर्ज की है.

बिहार में मुस्लिम विधायकों की संख्या घटकर दस साल पीछे चली गई है. इस बार के चुनाव में 19 मुस्लिम विधायक जीते हैं जबकि 2015 में 24 मुस्लिम विधायक चुने गए थे. आरजेडी के टिकट पर सबसे ज्यादा 8 मुस्लिम जीते हैं जबकि दूसरे नंबर 5 मुस्लिम विधायक इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से चुने गए हैं. इसके अलावा कांग्रेस के चार, सीपीआई (माले) से एक और एक बसपा के टिकट पर जीत हासिल की है जबकि जेडीयू से एक भी मुस्लिम नहीं जीत सका. वहीं, 2015 के चुनाव में आरजेडी से 11, कांग्रेस से 7, जेडीयू से 5 और सीपीआई (माले) से एक मुस्लिम विधायक चुने गए थे.

 

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