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मध्यप्रदेश मे हुए 28 सिटो के उपचुनाव मे महाराज की प्रतिष्ठा दांव पर
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सीएम शिवराज के साथ सिंधिया ही बीजेपी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक थे
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एग्जिट पोल के अनुमान में कांग्रेस को 10-12 सीटें मिलती दिख रही हैं
मध्यप्रदेश मे हुए 28 सिटो के उपचुनाव मे महाराज की प्रतिष्ठा दांव पर है क्योकी ज्योतिरादित्य सिंधीया ने ही कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी ज्वाइन कर ली अब जब यहां उपचुनाव हुए तो कमलनाथ सरकार की कुर्सी खतरें मे दिख रही है लेकिन महाराज की प्रतिष्ठा भी दांव पर है ! चौथी बार सीएम बने शिवराज सिंह चौहान के लिए यह उपचुनाव लिटमस टेस्ट की तरह है। चुनावी सभाओं में शिवराज बार-बार कह रहे थे कि यह उपचुनाव उनके मुख्यमंत्री बने रहने के लिए है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से बगावत के बाद उन्हें सीएम का पद तो मिल गया, लेकिन विधानसभा में बहुमत की तलवार भी लगातार लटक रही थी। एग्जिट पोल के अनुमानों को सही मानें तो शिवराज अगले कुछ समय के लिए अपनी कुर्सी सुरक्षित मान सकते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए एग्जिट पोल के अनुमान उनकी प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचा सकते हैं। इस साल होली के दिन कांग्रेस से बगावत कर उन्होंने प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिराई और 22 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। बाद में 3 और विधायकों ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। ये सभी विधायक आम तौर पर सिंधिया के ही समर्थक माने जाते हैं। बीजेपी में एंट्री के बाद अपनी प्रासंगिकता साबित करने के लिए ये उपचुनाव सिंधिया के लिए पहला मौका है। वे चुनावी सभाओं में कई बार इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बता कर वोट मांगते नजर आए
प्रचार अभियान के दौरान सीएम शिवराज के साथ सिंधिया ही बीजेपी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक थे। अपने समर्थक विधायकों को जिताने की पहली जिम्मेदारी भी उन्हीं के पास थी। एग्जिट पोल के अनुमान में कांग्रेस को 10-12 सीटें मिलती दिख रही हैं। इनमें से कई ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं जिसे सिंधिया का स्ट्रॉन्ग होल्ड माना जाता है। यदि उपचुनाव के नतीजे एग्जिट पोल के अनुमानों से मेल खाते हैं तो सिंधिया के कई करीबियों का विधायक नहीं बनना तय है। यह महाराज के लिए बहुत बड़ा राजनीतिक झटका साबित हो सकता है।