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देश पर राज करने वाले किसानों को कर रहे हैं भ्रमित – पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार में ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु के साथ यात्री सुविधाओं से संबंधित रेलवे की 12 परियोजनाओं का उद्घाटन किया।प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी

यहां पढ़ें पीएम का संबोधन-

मैं देशभर के किसानों को इस विधेयक के लिए बहुत बधाई देता हूं। किसान और ग्राहक के बीच जो बिचौलिए होते हैं, जो किसानों की कमाई का बड़ा हिस्सा खुद ले लेते हैं, उनसे बचाने के लिए ये विधेयक लाए जाने बहुत आवश्यक थे।

किसानों को अपनी उपज देश में कहीं पर भी, किसी को भी बेचने की आजादी देना, बहुत ऐतिहासिक कदम है। 21वीं सदी में भारत का किसान, बंधनों में नहीं, खुलकर खेती करेगा, जहां मन आएगा अपनी उपज बेचेगा, किसी बिचौलिए का मोहताज नहीं रहेगा और अपनी उपज, अपनी आय भी बढ़ाएगा।

वो लोग किसानों की रक्षा का ढिंढोरा पीट रहे हैं लेकिन दरअसल वे किसानों को अनेक बंधनों में जकड़कर रखना चाहते हैं। वो लोग बिचौलियों का साथ दे रहे हैं, वो लोग किसानों की कमाई को बीच में लूटने वालों का साथ दे रहे हैं।

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मैं आज देश के किसानों को स्पष्ट संदेश देना चाहता हूं। आप किसी भी तरह के भ्रम में मत पड़िए। इन लोगों से देश के किसानों को सतर्क रहना है। ऐसे लोगों से सावधान रहें जिन्होंने दशकों तक देश पर राज किया और जो आज किसानों से झूठ बोल रहे हैं।

हमारी सरकार किसानों को एमएसपी के माध्यम से उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकारी खरीद भी पहले की तरह जारी रहेगी। कोई भी व्यक्ति अपना उत्पाद, दुनिया में कहीं भी बेच सकता है, जहां चाहे वहां बेच सकता है। लेकिन केवल मेरे किसान भाई-बहनों को इस अधिकार से वंचित रखा गया था। अब नए प्रावधान लागू होने के कारण, किसान अपनी फसल को देश के किसी भी बाजार में, अपनी मनचाही कीमत पर बेच सकेगा।

अब ये दुष्प्रचार किया जा रहा है कि सरकार के द्वारा किसानों को एमएसपी का लाभ नहीं दिया जाएगा। ये भी मनगढ़ंत बातें कही जा रही हैं कि किसानों से धान-गेहूं इत्यादि की खरीद सरकार द्वारा नहीं की जाएगी। ये सरासर झूठ है, गलत है, किसानों को धोखा है।

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जिस एपीएमसी एक्ट को लेकर अब ये लोग राजनीति कर रहे हैं, एग्रीकल्चर मार्केट के प्रावधानों में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, उसी बदलाव की बात इन लोगों ने अपने घोषणापत्र में भी लिखी थी। लेकिन अब जब एनडीए सरकार ने ये बदलाव कर दिया है, तो ये लोग इसका विरोध करने पर उतर आए हैं। लेकिन ये लोग, ये भूल रहे हैं कि देश का किसान कितना जागृत है। वो ये देख रहा है कि कुछ लोगों को किसानों को मिल रहे नए अवसर पसंद नहीं आ रहे। देश का किसान ये देख रहा है कि वो कौन से लोग हैं, जो बिचौलियों के साथ खड़े हैं।

चुनाव के समय किसानों को लुभाने के लिए ये बड़ी-बड़ी बातें करते थे, लिखित में करते थे, अपने घोषणापत्र में डालते थे और चुनाव के बाद भूल जाते थे और आज जब वही चीजें एनडीए सरकार कर रही है, किसानों को समर्पित हमारी सरकार कर रही है, तो ये भांति-भांति के भ्रम फैला रहे हैं।

किसान और ग्राहक के बीच जो बिचौलिए होते हैं, जो किसानों की कमाई का बड़ा हिस्सा खुद ले लेते हैं, उनसे बचाने के लिए ये विधेयक लाए जाने बहुत आवश्यक थे। ये विधेयक किसानों के लिए रक्षा कवच बनकर आए हैं। लेकिन कुछ लोग जो दशकों तक सत्ता में रहे हैं, देश पर राज किया है, वो लोग किसानों को इस विषय पर भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं, किसानों से झूठ बोल रहे हैं।

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कल विश्वकर्मा जयंती के दिन, लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयक पारित किए गए हैं। इन विधेयकों ने हमारे अन्नदाता किसानों को अनेक बंधनों से मुक्ति दिलाई है, उन्हें आजाद किया है। इन सुधारों से किसानों को अपनी उपज बेचने में और ज्यादा विकल्प मिलेंगे, और ज्यादा अवसर मिलेंगे।

आज बिहार में 15 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं। कुछ दिन पहले बिहार में एक नए एम्स की भी स्वीकृति दे दी गई। ये नया एम्स दरभंगा में बनाया जाएगा। इस नए एम्स में 750 बेड का नया अस्पताल तो बनेगा ही, एमबीबीएस की 100 और नर्सिंग की 60 सीटें भी होंगी। हजारों नए रोजगार भी सृजित होंगे।

बिहार में जिस तरह की परिस्थितियां रहीं हैं, उसमें रेलवे लोगों के आने-जाने का बहुत बड़ा साधन रही है। ऐसे में बिहार में रेलवे की स्थिति को सुधारना केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रहा है।

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रेलवे के आधुनिकीकरण के इस व्यापक प्रयास का बहुत लाभ बिहार और पूर्वी भारत को मिल रहा है। बीते कुछ सालों में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए मधेपुरा में इलेक्ट्रिक लोको फैक्ट्री और मढ़ौरा में डीजल लोको फैक्ट्री स्थापित की गई हैं।
आज बिहार में किस तेज गति से रेल नेटवर्क पर काम चल रहा है, इसके लिए मैं एक तथ्य देना चाहता हूं। 2014 के पहले के पांच सालों में बिहार में सिर्फ सवा तीन सौ किलोमीटर नई रेल लाइन शुरू थी। जबकि 2014 के बाद के पांच सालों में बिहार में लगभग 700 किलोमीटर रेल लाइन कमीशन हो चुकी हैं।

आज बिहार में 12 हजार हॉर्सपावर के सबसे शक्तिशाली विद्युत इंजन बन रहे हैं। बिहार के लिए एक और बड़ी बात ये है कि आज बिहार में रेल नेटवर्क के लगभग 90 प्रतिशत हिस्से का बिजलीकरण पूरा हो चुका है। बीते छह साल में ही बिहार में तीन हजार किलोमीटर से अधिक के रेलमार्ग का बिजलीकरण हुआ है।

आज भारतीय रेल, पहले से कहीं अधिक स्वच्छ है। आज ब्रॉडगेज रेल नेटवर्क को मानवरहित फाटकों से मुक्त कर, पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बनाया जा चुका है। आज भारतीय रेल की रफ्तार तेज हुई है। आज आत्मनिर्भरता और आधुनिकता की प्रतीक, वंदे भारत जैसी रेल नेटवर्क का हिस्सा होती जा रही हैं।

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आज कोसी महासेतु होते हुए सुपौल-आसनपुर कुपहा के बीच ट्रेन सेवा शुरु होने से सुपौल, अररिया और सहरसा जिले के लोगों को बहुत लाभ होगा। यही नहीं, इससे नॉर्थ ईस्ट के साथियों के लिए एक वैकल्पिक रेलमार्ग भी उपलब्ध हो जाएगा। कोसी और मिथिला क्षेत्र के लिए ये महासेतु सुविधा का साधन तो है ही, ये इस पूरे क्षेत्र में व्यापार-कारोबार, उद्योग-रोजगार को भी बढ़ावा देने वाला है।
करीब साढ़े आठ दशक पहले भूकंप की एक भीषण आपदा ने मिथिला और कोसी क्षेत्र अलग-थलग कर दिया था। आज ये संयोग ही है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच इन दोनों आंचलों को आपस में जोड़ा जा रहा है।

आज बिहार में रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नया इतिहास रचा गया है। कोसी महासेतु और किउल ब्रिज के साथ ही बिहार में रेल यातायात, रेलवे के बिजलीकरण, रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने, नए रोजगार पैदा करने वाले एक दर्जन प्रोजेक्ट्स का आज शुभारंभ हुआ है।

जब नीतीश जी रेल मंत्री थे, जब पासवान जी रेल मंत्री थे, तो उन्होंने भी इस समस्या को दूर करने के लिए बहुत प्रयास किया था। लेकिन फिर एक लंबा समय वो आया, जब इस दिशा में ज्यादा काम ही नहीं किया गया।
बिहार में गंगा जी हो, कोसी हो, सोन हो, नदियों के विस्तार के कारण बिहार के अनेक हिस्से एक-दूसरे से कटे हुए रहे हैं। बिहार के करीब-करीब हर हिस्से के लोगों की एक बड़ी दिक्कत रही है, नदियों की वजह से होने वाला लंबा सफर।
लगभग तीन हजार करोड़ रुपये वाले इन प्रोजेक्ट्स से बिहार का रेल नेटवर्क तो सशक्त होगा ही पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत की रेल कनेक्टिविटी भी मजबूत होगी।

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चार साल पहले उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले दो महासेतु, एक पटना में और दूसरा मुंगेर में शुरु किए गए थे। इन दोनों रेल पुलों के चालू हो जाने से उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच, लोगों का आना-जाना और आसान हुआ है।
आज बिहार में रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नया इतिहास रचा गया है, कोसी महासेतु और किउल ब्रिज के साथ ही बिहार में रेल यातायात, रेलवे के बिजलीकरण, रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने, नए रोजगार पैदा करने वाले एक दर्जन प्रोजेक्ट्स का आज लोकार्पण और शुभारंभ हुआ है।

बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान बिहार के मजदूर अन्य राज्यों में फंसे हुए थे, तब आपने मजदूरों के लिए स्पेशल श्रमिक ट्रेनें चलायीं। 1371 स्पेशल ट्रेन से 19 लाख 72 हजार लोगों को निःशुल्क अपने घरों तक पहुंचाने का काम किया है।’

कार्यक्रम में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज का दिन बिहार के इतिहास में स्वर्णिम दिन साबित होने वाला है। 1934 के भूकंप ने बिहार के कोसी क्षेत्र को मिथिलांचल से अलग कर दिया। उसी को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों से आज फिर जोड़ा जा रहा है।

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यूपीए सरकार के दौरान रुक गया था काम: नीतीश कुमार
इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने कहा कि अटल जी के कार्यकाल में इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन यूपीए सरकार के दौरान पूरा काम रुक गया। अब आप आएं हैं तो इस कारण ये काम पूरा हो पाया। नीतीश ने इस दौरान अपील करते हुए कहा कि इस लाइन को आगे भी बढ़ाया जाना चाहिए, ऐसी मेरी सरकार से उम्मीद है।

 

 

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