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मोदी सरकार टैक्स के स्लैब मे जोड़ सकती है नया स्‍लैब, नौकरीपेशा को मिलेगी राहत

नई दिल्‍ली. वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) अगले सप्‍ताह 1 फरवरी को जब देश का बजट पेश करेंगी तो सबसे ज्‍यादा निगाहें नौकरीपेशा की जमी होंगी. टैक्‍सपेयर्स को लंबे समय से अपने लिए नई छूट का इंतजार है और इनकम टैक्‍स स्‍लैब में भी बदलाव करने की गुंजाइश दिख रही है. एक्‍सपर्ट का मानना है कि इस बार टैक्‍सपेयर्स को लेकर कुछ बड़े ऐलान किए जा सकते हैं.

सबसे ज्‍यादा बातचीत इनकम टैक्‍स के पुराने रेजीम में शामिल स्‍लैब को लेकर हो रही है. अभी 2.5 लाख तक तो सीधी टैक्‍स छूट मिलती है, जबकि 2.5 से 5 लाख तक की आमदनी पर 5 फीसदी की दर से टैक्‍स लगता है. हालांकि, यह करदाताओं को वापस कर दिया जाता है. यानी 5 लाख तक की कमाई पूरी तरह टैक्‍स फ्री हो जाती है. लेकिन, जैसे ही आपकी आमदनी 5 लाख से ऊपर जाती है, इस पर लगने वाले टैक्‍स की दर सीधे चार गुना बढ़कर 20 फीसदी पहुंच जाती है. एक्‍सपर्ट का अनुमान है कि सबसे ज्‍यादा नौकरीपेशा वालों की संख्‍या भी इसी स्‍लैब में आती है. अगर यहां बदलाव किया जाता है तो बड़ी संख्‍या में लोगों को राहत मिलेगी

क्‍या हो सकती है दर
एक्‍सपर्ट का अनुमान है कि सरकार इस बार नए रेजीम में बदलाव के साथ पुराने टैक्‍स रेजीम में भी नया स्‍लैब जोड़ सकती है. यह बदलाव 5 लाख से 7.5 लाख रुपये तक की आमदनी वाले टैक्‍सपेयर्स के लिए होगा. अनुमान है कि इस आमदनी पर लगने वाले टैक्‍स की दर को घटाकर 10 या 15 फीसदी किया जा सकता है, जो अभी 20 फीसदी है. ऐसा होता है लाखों नौकरीपेशा करदाताओं को टैक्‍स बचाने में बड़ी मदद मिलेगी

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10 लाख से ज्‍यादा कमाई पर भी राहत!
इनकम टैक्‍स जानकारों का कहना है कि इस बार टैक्‍स छूट का फायदा सिर्फ 20 फीसदी ब्रेकेट में ही नहीं, बल्कि 10 लाख से ज्‍यादा कमाई करने वालों को भी मिल सकता है. अभी 10 लाख से ऊपर की आमदनी पर सीधे 30 फीसदी टैक्‍स लगता है. कयास लगाए जा रहे कि इस ब्रेकेट में 30 फीसदी के स्‍लैब को घटाकर 25 फीसदी किया जा सकता है. बजट आने में बस कुछ ही दिन बाकी है और इस बार सबसे ज्‍यादा इंतजार इनकम टैक्‍स को लेकर हो रहा है.

टैक्‍स छूट की लिमिट भी बढ़ेगी क्‍या
एक्‍सपर्ट का ये भी अनुमान है कि इस बार सरकार टैक्‍स का स्‍लैब बदलने के साथ तमाम तरह के निवेश पर मिलने वाली छूट की सीमा भी बढ़ा सकती है. इसमें एनपीएस, पीपीफ और ईएलएसएस जैसी निवेश योजनाएं शामिल हैं. पीपीएफ पर टैक्‍स छूट और निवेश की सीमा को 3 लाख तक बढ़ाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं, जो अभी सिर्फ 1.5 लाख रुपये सालाना है.

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