मोतिहारी. नीतीश कुमार आज यानी बुधवार से बिहार में समाधान यात्रा पर निकले हैं. उनकी इस यात्रा के शुरू होने से पहले ही विभिन्न राजनैतिक दल अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. किसी जमाने में नीतीश कुमार के सहयोगी रहे और बिहार में जन सुराज पदयात्रा कर रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की यात्रा पर तंज कसते हुए नसीहत भी दी है. प्रशांत ने कहा कि बिहार में नीतीश जी कि जो यात्रा है वो पेपर पर उनकी 14वीं यात्रा है. प्रशासनिक काम को वह यात्रा का नाम दे रहे हैं. नीतीश कुमार एक दिन पश्चिम चंपारण (बेतिया) में रुकेंगे, जिसमें कुछ सरकारी अफसरों और सेलेक्टेड लोगों से मिलेंगे. अगले दिन वो मोतिहारी और उसके बाद शिवहर, सीतामढ़ी जाएंगे
पीके ने कहा कि इस यात्रा का जनता से कोई सरोकार नहीं है. नीतीश कुमार उन्हीं अफसरों से मिलेंगे जिनसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पटना से बात करते हैं. मुझे तो जितने लोग मिल रहे हैं वो बता रहे हैं कि नीतीश कुमार के आने से पहले प्रसाशन द्वारा लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है कि क्या बोलना है, क्या नहीं बोलना है. पटना से किसी दूसरे जिलों में उड़ कर आना और फिर रात में पटना चले जाना इसे आप यात्रा कैसे बोल सकते हैं ? मुख्यमंत्री का सरकारी बंगले से निकल जाने को यात्रा नहीं कहा जा सकता है.
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार को चुनौती देता हूं कि अगर हिम्मत है तो अपने पसंद के ही किसी एक गांव में सरकारी अमले के साथ भी पैदल चलकर दिखा दें. नीतीश कुमार पर हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि सर्किट हाउस में बैठ कर सिर्फ समीक्षा बैठक हो सकती है. नीतीश कुमार अब उम्र के इस पड़ाव पर सामाजिक, राजनीतिक तौर पर अकेले पड़ गए हैं, जहां वो इस आशा में हैं कि किसी तरह जनता की आंखों में धूल झोंक कर वोट हासिल कर लें और सत्ता में बने रहें. नीतीश कुमार को मालूम है कि इस बार अंतिम है, इसके बाद उनके लिए कुछ नहीं बचा है. समय रहते रिटायर हो जाएं, इसी में उनकी भलाई है.