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चारा घोटाला मामलाः बिहार में कभी CBI ने लालू यादव की गिरफ्तारी के लिए मांगी थी सेना की मदद

रांचीः अविभाजित बिहार के अरबों रुपये के बहुचर्चित चारा घोटाला के दर्जनों मामले उजागर होने के बाद सत्ता से हटने के महज कुछ दिन बाद ही लालू प्रसाद को सरेंडर कर पहली बार 30 जुलाई 1997 को जेल जाना पड़ा था।

इससे पहले प्रसाद के अड़ियल रवैये को देखते हुए सीबीआई की ओर से सेना की मदद की मांग करनी पड़ी थी। हालांकि दबाव में आकर 30 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद ने अदालत में सरेंडर कर दिया था और टकराव टल गया। चारा घोटाले में पहली बार 134 दिन तक जेल में रहने के बाद 11 दिसंबर 1997 को लालू प्रसाद जेल से बाहर निकले थे। चारा घोटाले से वारंट जारी होने के बाद वे पद छोड़ चुके थे, लेकिन जेल जाने को तैयार नहीं थे। वहीं बिहार पुलिस ने भी उनकी गिरफ्तारी की कोशिश से बच रही थी।

इस बीच सीबीआई के तत्काल संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास ने लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए सेना तक की मदद मांग डाली, लेकिन सेना की ओर से तत्काल मदद से इंकार कर दिया। इस बीच 29 जुलाई 1997 की रात को सीएम आवास घेर लिया गया, रैपिड एक्शन फोर्स की तैनात की गयी, परंतु लालू प्रसाद के समर्थक खुलेआम हिंसक विरोध की धमकी दे रहे थे। स्थिति से निपटने के लिए सेना की तैनाती तक की चर्चा होने लगी। अंतत: लालू प्रसाद को झुकना पड़ा और अगली सुबह 30 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद ने सीबीआई कोर्ट में सरेंडर दिया और उन्हें जेल जाना पड़ा।

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