मकर संक्रांति के मौके पर तिल, गुड़ और खिचड़ी खाने का महत्व सिर्फ आध्यत्मिक ही नई बल्कि वैज्ञानिक भी है ,मकर संक्राति हिंदू धर्म के कुछ मुख्य त्योहारों में से एक है. इस साल ये त्योहार 15 जनवरी को पड़ रहा है. इस रोज भगवान सूर्य को खिचड़ी का भोग लगाकर खिचड़ी खाने की परंपरा है. साथ ही तिल-गुड़ का भोग लगाया और तिल के लड्डू बड़ी निष्ठा और शौक से खाए जाते हैं.https://www.youtube.com/channel/UCOPAdN5hOPqRmrNhZ7v2p-A चैनल को लाइक करे फॉलो करे सब्स्क्राइब और सेयर जरूर करे देश के पूर्वी हिस्से में दही-चूड़ा खाकर दिन की शुरुआत की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि खास इसी दिन ये चीजें खाने का नियम क्यों बना? इसके पीछे सेहत से जुड़ी कई वजहें हैं.
मकर संक्राति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है. कालगणना के मुताबिक जब सूर्य मकर से मिथुन राशि की ओर भ्रमण करता है तो इस वक्त को उत्तरायण माना जाता है. ये वक्त छह महीने का होता है. इसके बाद सूर्य कर्क से धनु राशि की ओर जाता है, जिसे दक्षिणायन कहा जाता है. मान्यता है कि सर्य का उत्तरायण होना काफी शुभ होता है और इसी वजह से सारे शुभ कामों की शुरुआत इसी दौरान की जाती है. ये भी माना जाता है कि इस दौरान किसी पुण्य या सेहत की दिशा में किए गए किसी काम का फल 100 गुना होकर मिलता है. (फोटो- फर्स्टपोस्ट)https://www.youtube.com/channel/UCOPAdN5hOPqRmrNhZ7v2p-A चैनल को लाइक करे फॉलो करे सब्स्क्राइब और सेयर जरूर करे
इस दिन की मान्यता इतनी ज्यादा है कि ये त्योहार देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है, जैसे तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं. कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे संक्रांति कहते हैं. गोआ, ओडिशा, हरियाणा, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, और जम्मू में इस दिन को मकर संक्रांति कहते हैं.https://www.facebook.com/Newstimes7.Bihar/ इस पेज को लाइक करे फॉलो करे और सेयर जरूर करे
इस दिन चावल और उड़द दाल की खिचड़ी खाने और इसके दान का काफी महत्व है. यहां तक कि इस दिन को कई जगहों पर खिचड़ी पर्व भी कहते हैं. खिचड़ी खाने की वजह ये है कि इसमें चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है और उड़द दाल को शनि का. इसमें डलने वाली हरी सब्जियां बुध ग्रह से जुड़ी हैं.https://www.facebook.com/Newstimes7.Bihar/ इस पेज को लाइक करे फॉलो करे और सेयर जरूर करे इन सबका मेल मंगल और सूर्य से सीधा ताल्लुक रखता है. इसी दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं इसलिए खिचड़ी खाने से इन सारे ग्रहों का सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है.
खिचड़ी खाने को लेकर ही एक और मान्यता के अनुसार मुगल आक्रांता खिलजी के आक्रमण के दौरान भगवान शिव का अवतार कहे जाने वाले बाबा गोरखनाथ के योगियों के पास राशन की कमी हो गई थी. इसे देखते हुए गोरखनाथ ने योगियों को चावल और दाल में सब्जियां मिलाकर खाने की सलाह दी. इससे उनकी सेहत में भी सुधार हुआ और ग्रहों के प्रभावी होने की वजह से आध्यात्मिक ऊर्जा भी बढ़ी.https://www.facebook.com/Newstimes7.Bihar/ इस पेज को लाइक करे फॉलो करे और सेयर जरूर करे इसके बाद से संक्रांति के मौके पर उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी का भोग चढ़ता है. खिचड़ी मेला भी यहां लगता है, जो कई दिनों तक चलता है.
संक्रांति पर तिल खाने को लेकर भी एक पौराणिक मान्यता है. श्रीमद्भागवत एवं देवी श्रीमद्देवीभागवत महापुराण के अनुसार शनिदेव अपने पिता सूर्यदेव से बैर था क्योंकि उन्होंने हमेशा पिता को अपनी माता और पहली पत्नी संज्ञा के बीच और खुद दोनों संतानों के बीच भेदभाव करता पाया. नाराज शनि ने पिता को कुष्ठरोग का श्राप दे डाला. रोगमुक्त हुए सूर्यदेव ने शनि के घर यानी कुंभराशि को जला दिया. https://www.facebook.com/Newstimes7.Bihar/ इस पेज को लाइक करे फॉलो करे और सेयर जरूर करेबाद में अपने ही पुत्र को कष्ट में देखकर सूर्य शनि से मिलने उसके घर पहुंचे. वहां यानी कुंभ राशि में तिल के अलावा बाकी सबकुछ जला हुआ था. शनि ने तिल से ही सूर्यदेव को भोग लगाया, जिसके बाद शनि को उनका वैभव दोबारा मिल गया. तभी से इस दिन तिल दाल और तिल खाने का महत्व है.
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी और तिल खाना वैज्ञानिक महत्व भी रखता है. इस वक्त देश के ज्यादातर हिस्सों में भारी ठंड होती है और सूर्य का एक से दूसरी राशि में जाना मौसम में बदलाव लाता है. इसकी वजह से बीमारियों का डर बढ़ जाता है. तिल और खिचड़ी में वे सभी पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को गर्मी दें और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए. यही कारण है इस त्योहार पर तिल-गुड़ की चीजें और दाल-सब्जी वाली खिचड़ी खाई जाती है.https://www.facebook.com/Newstimes7.Bihar/ इस पेज को लाइक करे फॉलो करे और सेयर जरूर करे