जैसे ही पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई है तो विपक्षी दलों सहित चुनाव आयोग ने भी जगह-जगह पक्ष और विपक्ष के पोस्टर हटवाने की बातें शुरू कर दी है जिससे कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन न हो और निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराया जाए आयोग ने ऐसे सभी होर्डिंग्स को 72 घंटे के अंदर हटाने को कहा है। अभी पेट्रोल पंपों पर सरकारी योजनाओं के विज्ञापन में मोदी की फोटो लगी हुई हैं। चुनाव आयोग ने 26 फरवरी को पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और केंद्र शासित प्रदेश पडुचेरी में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था। इसके साथ ही इन सभी राज्यों में आचार संहिता लागू हो गई है।
TMC ने वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर आपत्ति जताई
इधर, चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने कोरोना वैक्सीनेशन के बाद मिलने वाले सर्टिफिकेट पर मोदी की फोटो पर ऐतराज जताया है। TMC समेत विपक्ष ने इसे 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का प्रचार करार दिया है।
TMC के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने बुधवार को कहा, ‘चुनाव की तारीख घोषित हो चुकी है। ऐसे में कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट में प्रधानमंत्री की फोटो लगाना ठीक नहीं है। हमारी पार्टी चुनाव आयोग के सामने इस मुद्दे को उठाएगी।
जिन 5 राज्यों में चुनाव, वहां के राजनीतिक समीकरण
पश्चिम बंगाल: पहली बार भाजपा मुख्य विपक्षी दलिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है।
तमिलनाडु: चार दशक में जयललिता-करुणानिधि के बिना पहला चुनाव
5 दिसंबर 2016 को जयललिता की मौत के दो साल बाद 2018 में करुणानिधि का भी 94 साल की उम्र में निधन हो गया। करुणानिधि और जयललिता 40 साल तक तमिलनाडु की राजनीति के दो ध्रुव रहे। इस दौरान जयललिता 6 बार और करुणानिधि 5 बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि तमिलनाडु के चुनाव में इस बार कितना खालीपन रहेगा।
असम: NRC के बाद पहली बार चुनाव होंगे
2016 में जब BJP ने असम में अपना चुनाव प्रचार अभियान शुरू किया, तब NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप सबसे बड़ा मुद्दा था। BJP ने जोरदार तरीके से इसको लागू करने का मुद्दा उठाया जिसका नतीजा यह रहा कि असम की जनता ने भाजपा को सत्ता में ला दिया, लेकिन भाजपा के लिए सबसे बड़ी समस्या इसे लागू करने के बाद आई। NRC को लागू करने का मकसद घुसपैठियों की पहचान करना था, लेकिन फाइनल लिस्ट में 19 लाख लोगों के नाम नहीं थे।
केरल: पहली बार लेफ्ट अपना गढ़ बचाने के लिए लड़ेगा
उत्तर-पूर्व में अपना गढ़ त्रिपुरा गंवाने के बाद अब लेफ्ट का आखिरी गढ़ केरल है। बंगाल और राष्ट्रीय राजनीति में गठबंधन में साझेदार कांग्रेस केरल में लेफ्ट के लिए प्रमुख चुनौती है। लेकिन इस बार सत्ता गंवाने से ज्यादा बड़ी चिंता लेफ्ट को अपना कोर वोट बैंक गंवाने की है। केरल में हिंदू समाज अब तक वामपंथी विचारधारा का समर्थक माना जाता था। अब इसी हिंदू वोटर को भाजपा लव जिहाद के मुद्दे पर लुभाती नजर आ रही है।
पुडुचेरी: कांग्रेस के बागियों के सहारे कमल खिलाने की तैयारी में BJP
केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में कांग्रेस के बागी विधायकों के बूते BJP कमल खिलाने की तैयारी में है। यहां पार्टी का एक भी निर्वाचित विधायक नहीं है। पिछली बार BJP के तीन नॉमिनेटेड विधायक थे। इससे पहले राज्य में कांग्रेस गठबंधन सरकार कार्यकाल पूरा किए बिना गिर गई। भाजपा ने यहां कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में लाकर सरकार को मुसीबत में डाल दिया था। यहां कांग्रेस के 2 मंत्रियों समेत 4 विधायक BJP में शामिल हो गए। कांग्रेस ने अपने एक विधायक को अयोग्य घोषित कर दिया था। फिलहाल यहां राष्ट्रपति शासन लागू है।