नई दिल्ली – वर्तमान समय में भाजपा की एनडीए सरकार में तमाम विधायक और सांसदों द्वारा समय-समय पर अपने संपत्तियों का विवरण दिया जाता है , लेकिन ऐसा क्या होता है कि सिर्फ 5 साल के ही एक कार्यकाल में कोई विधायक मंत्री बने या सांसद कैबिनेट मंत्री बने और तुरंत ही उसके संपत्ति में 100 -200 गुणा नहीं बल्कि 500 गुना का इजाफा हो जाता है ,सवाल जानने वाला यह होता है कि यह इजाफा एक आम आदमी के धन में क्यों नहीं होता है जबकि एक मंत्री विधायक के धन में होता है ,अब केंद्र सरकार ने एक प्लानिंग करने जा रही है जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के भी संपत्तियों का आकलन किया जाएगा,
केन्द्र सरकार ने एक संसदीय पैनल को बताया है कि वह सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा संपत्ति की घोषणा के लिए वैधानिक प्रावधान करने की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए नियम बनाने की योजना बना रही है. कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने कहा कि इस संबंध में शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के साथ परामर्श शुरू कर दिया गया है और कहा कि इस मुद्दे पर उसकी प्रतिक्रिया का इंतजार है
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार द्वारा कार्रवाई रिपोर्ट में दर्ज प्रतिक्रिया के आधार पर कानून और कार्मिक विभाग से संबंधित स्थायी समिति ने न्याय विभाग से घोषणा के नियमों में वैधानिक प्रावधान बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के साथ परामर्श प्रक्रिया को तेज करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा उनकी प्रारंभिक नियुक्ति पर संपत्ति का ब्योरा देना होगा.
‘न्यायिक प्रक्रियाओं और उनके सुधारों’ पर अपनी पिछली रिपोर्ट पर समिति की कार्रवाई रिपोर्ट पिछले सप्ताह हाल ही में समाप्त हुए बजट सत्र में संसद में पेश की गई थी. अपनी पिछली रिपोर्ट में, भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा था कि एक सामान्य प्रथा के रूप में सभी संवैधानिक पदाधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों को अपनी संपत्ति और देनदारियों का वार्षिक रिटर्न दाखिल करना होगा