नई दिल्ली/कोलकाता. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को नई दिल्ली में हुई विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव दिया. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि सबसे पहले जीतना अहम है और बाकी चीजों पर बाद में फैसला किया जा सकता है
सूत्रों ने बताया, “बैठक में अधिकतम नेगेटिव बातें हुईं, कोई ख़ास ठोस बात नहीं हुई. कई दलों ने कांग्रेस के तीन राज्यों में ख़राब प्रदर्शन की समालोचना की. इस दौरान ममता बनर्जी चुप रहीं. जब सोनिया गांधी ने ममता से बोलने को कहा, तो उन्होंने कहा कि बाकी बातें निराधार हैं, सीट शेयरिंग की बात करनी होगी, जिस राज्य में जो शक्तिशाली है, उसके लिए वो राज्य छोड़ना पड़ेगा.”
सूत्रों के अनुसार विरोधी दल की बैठक में ममता बनर्जी ने सीट शेयरिंग जल्द से जल्द पूरा करने का दबाव बनाने के लिए ही खड़गे को गठबंधन के मुखिया के तौर पर प्रोजेक्ट किया है. उनके मुताबिक, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर फाइनल सीट शेयरिंग पर निर्णय लेने के लिए कांग्रेस को 31 दिसंबर तक की डेडलाइन भी दी गई है
ममता ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से बैठक में कहा कि वे अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी, उद्धव ठाकरे और तृणमूल कांग्रेस से अलग-अलग बैठक करें और सीट शेयरिंग की बात करें. ममता ने राहुल गांधी से उत्तर प्रदेश की बात करते हुए ये भी कहा कि यूपी में कांग्रेस को चाहिए कि वह चुनावों में अखिलेश को सीटों का बड़ा हिस्सा दें
पश्चिम बंगाल में टीएमसी कांग्रेस के लिए सिर्फ 2 सीटें छोड़ने को तैयार, मेघालय में भी 1 सीट मांगी है. टीएमसी ने कहा कि विधानसभा में कांग्रेस का वोट पर्सेंटेज 12 था, जबकि उनकी पार्टी का 15. ममता ने बैठक में साफ़ प्रस्ताव दिया कि कांग्रेस देश भर में 300 सीटों पर लड़े और बाकी 245 सीटों पर दूसरे दलों के प्रत्याशी उतरें. ममता के इस प्रस्ताव को बाकी दलों का भी समर्थन मिला
सूत्रों के मुताबिक, इन 300 सीटों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक खास तौर पर रहेंगे. यानी जहां कांग्रेस की बीजेपी से 1-1 फाइट है वहां कांग्रेस ज़्यादा सीटों पर लड़े, बाकी राज्यों में कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को समर्थन दे.
दरअसल, लंबे समय से ममता और अन्य क्षेत्रीय दल ये बयान देते रहे हैं कि कांग्रेस को लोकसभा चुनावों के लिए क्षेत्रीय दलों को सीटों का बड़ा हिस्सा देना होगा. गठबंधन की पेंच लगातार सीट शेयरिंग को लेकर ही फंसती नज़र आ रही है, जहां एक तरफ़ कांग्रेस ख़ुद को गठबंधन में सबसे बड़ा ‘भाई’ मानती आ रही है, वहीं क्षेत्रीय दल अपने-अपने संबंधित राज्यों में ज़्यादा सीटें चाहते हैं