श्रीनगर
तुर्की और ईरान से सेब के आयात के बावजूद, कश्मीर के उच्च घनत्व वाले सेब देश भर के फल बाजारों में उत्पादकों को अच्छा रिटर्न दिला रहे हैं. सेब उगाना कश्मीर में लाखों किसानों के आय और आजीविका का महत्वपूर्ण संसाधन है.
कश्मीर में धान की खेती के मुकाबले इसे प्राथमिकता दी जा रही है.नई पीढ़ी के सेब उत्पादक अपने बगीचों में लगाकर पारंपरिक सेब की किस्मों की कमियों को दूर करने में लगे है. जेरोमाइन और किंग रोएट उच्च घनत्व वाले सेब किस्मों की सीजन की पहली फसल पहले ही दिल्ली और अन्य स्थानों के फल बाजारों में भेजी जा चुकी है.
सेब उत्पादकों के अनुसार, हाइब्रिड सेब की ये दोनों किस्में एक हजार रुपये प्रति 10 किलोग्राम की पेटी के हिसाब से बिक रही हैं, जो पारंपरिक डिलिशियस किस्मों की तुलना में दोगुनी दर है.
मध्य कश्मीर के सेब समृद्ध बडगाम जिले के उत्पादक नजीर अहमद कहते हैं,“मैंने बगीचे के किंग रोएट किस्म के सेब की 10 किलोग्राम की पेटी 1,050 रुपये में बेची है. मुझे लगता है कि अगर बागवान बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा से बचना चाहते हैं तो पूरे साल हाइब्रिड सेब की विभिन्न किस्मों को उगाना ही एकमात्र विकल्प है.
अहमद ने कहा, अच्छी दरों का एक कारण किस्म भी है, क्योंकि साल के इस समय बाजार में सेब की कम मात्रा पहुंच रही है. इससे कीमतें बढ़ जाती हैं. नजीर के अनुसार, अच्छी दरों के अलावा, उच्च घनत्व वाले सेब के पेड़ों को उत्पादकों से कम प्रयास की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह आकार में छोटे होते हैं और स्प्रे पेड़ के हर हिस्से तक पहुंचते हैं.