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पूर्व इसरो चीफ ने बताया ,क्यों मुश्किल है चांद पर उतरना? चंद्रयान-3 के लिए क्या है चुनौती?

बेंगलुरु. चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल के बुधवार को अपेक्षित ‘टचडाउन’ (उतरने की प्रक्रिया) से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने योजना के अनुरूप सब कुछ सफल होने की कामना करते हुए कहा कि ‘टचडाउन’ बहुत ही जटिल प्रक्रिया है और सभी को सतर्क रहना होगा, क्योंकि इसकी सफलता के लिए जरूरी है कि सभी प्रणाली एकसाथ काम करें.

चंद्रयान-1 मिशन के प्रक्षेपण के वक्त 2008 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नेतृत्व कर रहे नायर ने कहा कि एक सफल लैंडिंग ग्रहों के अन्वेषण के अगले चरण के लिए इसरो की एक बड़ी शुरुआत होगी. उन्होंने सोमवार को पीटीआई से कहा, ‘यह (लैंडिंग) एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है. हम आखिरी दो किलोमीटर (चंद्रमा की सतह से ऊपर) में ऐसा (चंद्रयान -2 मिशन में चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग) करने से चूक गए.’

नायर ने कहा, ‘तो ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन्हें एक साथ काम करना होगा…थ्रस्टर, सेंसर, अल्टीमीटर, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और बाकी सभी चीजें. कहीं भी कोई गड़बड़ी होने पर…हम मुसीबत में पड़ सकते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हमें वास्तव में सतर्क रहना होगा और निगरानी रखनी होगी. बेशक, मैं समझता हूं कि इसरो ने पर्याप्त सिमुलेशन (अनुकूलन तैयारी) किया है और अतिरेक को लेकर भी काम किया है ताकि ऐसी विफलता की संभावना कम हो.फिर भी, हमें अपनी तरफ से दुआ करनी होगी.

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इसरो के अनुसार, रोवर के साथ लैंडर मॉड्यूल के बुधवार शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है. नायर ने कहा, ‘हम (चंद्रमा की) सतह से जो आंकड़े एकत्र कर सकते हैं, वह कुछ खनिजों की पहचान करने में उपयोगी होगा…दुर्लभ खनिज, …हीलियम-3 इत्यादि. यह भी जांचने का प्रयास किया जाएगा कि हम अन्वेषण या मानव उपस्थिति के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास किस प्रकार की व्यवस्था कर सकते हैं. यह (सफल सॉफ्ट-लैंडिंग) इसरो के ग्रह अन्वेषण के अगले चरण के लिए एक बड़ी शुरुआत होने जा रही है.’

क्यों चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में है वैज्ञानिकों की रुचि
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लेकर वैज्ञानिकों की विशेष रुचि है, जिसके बारे में माना जाता है कि वहां बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं और उनमें पानी होने की उम्मीद है. चट्टानों में जमी अवस्था में मौजूद पानी का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वायु और रॉकेट के ईंधन के रूप में किया जा सकता है.

सिर्फ 3 देश ही ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में रहे हैं सफल
केवल तीन देश चंद्रमा पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल रहे हैं, जिनमें पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन शामिल हैं. हालांकि, ये तीनों देश भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरे थे.

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