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बेलारूस के राष्ट्रपति ने वैगनर ग्रुप के बॉस को बगावत छोड़ने पर आखिर कैसे मनाया, जानें डील की डिटेल

मॉस्को. रूस में वैगनर ग्रुप की बगावत के बाद रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ सड़कों पर उतरे प्राइवेट आर्मी के लड़ाकों को आखिरकार शांत कर लिया गया. बेलारूस के राष्ट्रपति की इसमें बड़ी भूमिका रही है. समाचार एजेंसी तास की रिपोर्ट के अनुसार बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको विद्रोह के बीच मध्यस्थ बन गए और उन्होंने वैगनर प्राइवेट मिलिट्री कंपनी ‘पीएमसी’ के संस्थापक येवगेनी प्रिगोझिन को अपनी कमान छोड़ने के लिए मनाकर संभावित खून खराबे को रोक दिया है. वैगनर आर्मी इसके बाद मॉस्को से पीछे लौटने लगी है.

क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने पत्रकारों को बताया कि बेलारूस के राष्ट्रपति ने अपनी मर्जी से ऐसा किया, क्योंकि वह प्रिगोझिन को करीब 20 साल से जानते थे. क्रेमलिन अधिकारी ने कहा, ‘आप शायद मुझसे पूछेंगे कि राष्ट्रपति लुकाशेंको मध्यस्थ क्यों बने? बात यह है कि अलेक्जेंडर ग्रिगोरिएविच प्रिगोज़िन को व्यक्तिगत रूप से लंबे समय से लगभग 20 वर्षों से जानते हैं और यह उनकी व्यक्तिगत पहल थी जिसे राष्ट्रपति पुतिन के साथ समन्वित किया गया था.’

24 जून को बताया रूस के लिए सबसे भारी दिन
पुतिन के प्रेस सचिव ने जोर देकर कहा, ‘24 जून एक बेहद भारी दिन था, सचमुच इन दुखद घटनाओं से भरा हुआ.’ उन्होंने कहा, आप जानते हैं कि इसके परिणामस्वरूप तनाव के स्तर को और बढ़ाए बिना किसी नुकसान के इस स्थिति को हल करना संभव था. ‘दोनों राष्ट्रपति वैगनर पीएमसी के साथ वास्तव में राष्ट्रपति लुकाशेंको को स्थिति को सुलझाने के लिए मध्यस्थता के प्रयास प्रदान करने पर सहमत हुए. हम इस तत्परता को उच्च सम्मान की नजर से देखते हैं.

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विद्रोह न रुकता तो हो जाता गृह युद्ध
रूस पर नजर रखने वालों के अनुसार, क्रेमलिन यूक्रेन में अपनी जीत और रूस के लिए भारी कीमत चुकाने के बाद प्रिगोज़िन और वैगनर के खिलाफ पूरी तरह से जाने का जोखिम नहीं उठा सकता था. प्रिगोज़िन के बेहद अस्थिर और टकराव के लिए स्पष्ट रूप से पश्चिम से उन्हें मिले समर्थन को देखते हुए विद्रोह एक गृह युद्ध में बदल सकता था.

रूसियों का मनोबल गिराने का था लक्ष्य
स्कॉट रिटर के अनुसार, प्रिगोज़िन को एमआई 6 द्वारा बदल दिया गया था, जिसने उनसे वादा किया था कि अगर वह खुद को रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त करवा सकते हैं और यूक्रेन के साथ बातचीत शुरू कर सकते हैं तो उन्हें सर्वोच्च इनाम दिया जाएगा. रूस पर नजर रखने वालों के अनुसार, उन दावों का कोई आधार नहीं था, लेकिन लक्ष्य रूसियों का मनोबल गिराना था और युद्ध को रोकने के लिए जो कुछ भी वह संभव था वह करना था.

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