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चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने साधा नितिश कुमार पर निशाना

पटना. पटना में शुक्रवार को हुई बीजेपी विरोधी पार्टियों के जुटान के बाद अब ये दावा किया जा रहा है कि यही एकजुटता 2024 के चुनाव में बीजेपी को शिकस्त देगी लेकिन अब इस दावे पर चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने निशाना साधा है. उन्होंने विपक्षी एकता पर सवाल उठाते हुए इंदिरा गांधी का हवाला दिया और कहा कि इस एकता पर इतराने की जरूरत नहीं है. प्रशांत किशोर बैठक के बाद नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से सवाल पूछते हैं और कहते हैं कि 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बिहार में 10 सीटों पर लडी़ थी, अब तेजस्वी और नीतीश घोषणा कर दें कि 2024 में कांग्रेस को बिहार में कितने सीटें देंगे ?

पीके ने कहा कि बेवकूफ हैं वो जो कहते हैं कि 1977 में इंदिरा गांधी की हार विपक्ष की एकजुटता से हुई थी. प्रशांत किशोर ने विपक्षी एकता पर तंज करते हुए कहा कि 1977 में लोग बताते हैं कि सारे दल एक हो गए तो इंदिरा जी हार गई. ये बात जितने लोग बता रहे हैं वो बेवकूफ हैं. 1977 से पहले जेपी का नव निर्माण आंदोलन हुआ और जेपी ने आंदोलन किया. जेपी का चेहरा था, इमरजेंसी लागू हुई. सबकुछ हो गया तब जाकर सब दल एक साथ में आए. अगर इतना कुछ नहीं हुआ होता तो क्या सारे दल इंदिरा गांधी को हरा देते ?

प्रशांत किशोर ने कहा कि गैर बीजेपी पार्टियों ने बैठक के बाद एकता पर जोर देने की बात कही और दावा भी किया कि विपक्षी एकता कायम रहेगी. इस पर भी प्रशांत किशोर ने चुटकी ली और तंज कसते हुए कहा कि साथ में बैठकर प्रेस वार्ता करने से विपक्षी एकता अगर होनी होती तो 10 साल पहले हो गई होती. नेताओं के आपस में मिलने से विपक्षी एकता नहीं हो सकती है. मैंने भी इस क्षेत्र में 8 से 10 सालों तक काम किया है. ममता बनर्जी से आप मिले और ममता बनर्जी ने एक स्टेटमेंट जारी किया, आप ने एक स्टेटमेंट जारी किया इसका जनता पर क्या असर पड़ा ? समाज के लोगों पर क्या असर पड़ा?  ऐसा तो नहीं कि ममता बनर्जी ने कांग्रेस को कह दिया कि वो उन्हें पश्चिम बंगाल में लड़ने के लिए जगह दे देगी.

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प्रशांत किशोर ने कहा कि कांग्रेस ने भी नहीं कहा कि हम वेस्ट बंगाल छोड़ देंगे ममता बनर्जी के भरोसे. प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को चुनौती देते हुए कहा कि नीतीश कुमार जो विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं वो बिहार का ही फार्मूला जारी कर दें कि कांग्रेस और RJD और JDU कितने सीटों पर लड़ेगी ?  महागठबंधन में बाकी अन्य जो सहयोगी दल हैं वो कितनी सीटों पर लड़ेगें ? CPI – CPIM और CPIML कितने सीटों पर लड़ेगी ?

प्रशांत किशोर कहते हैं कि CPIML का स्ट्राइक रेट बिहार में नीतीश कुमार से ज्यादा है. नीतीश कुमार की पार्टी एक सौ दस सीटों पर लड़कर 42 सीटें जीती, वही CPIML 17 सीटों पर लड़कर 12 जीती है. उस हिसाब से CPIML को ज्यादा एमपी की सीट मिलनी चाहिए. क्या नीतीश कुमार अपनी सीटें छोड़ देंगे ? बात तब बनेगी न जब आप में त्याग करने की क्षमता हो. तेजस्वी यादव बोल रहे हैं यहां हम लोगों के लिए छोड़ दीजिए. CPIML मान जाए तब जाकर विपक्षी एकता की बात होगी.

पीके ने कहा कि अपने घर ठिकाना है नहीं और पूरी दुनिया में घूम रहे हैं. उन्होंने कहा कि एकता सिर्फ आपस में बैठने से नहीं होती है. एकता के लिए जरूरी है कि विचारधारा के स्तर पर बात हो, नैरेटिव हो, चेहरा हो, आंदोलन हो और जमीन पर काम हो तब जाकर एकता होगी.

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