नई दिल्ली: त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड विधानसभा चुनावों की मतगणना जारी है. नागालैंड को छोड़कर अन्य दो राज्यों में काफी कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है. त्रिपुरा में भाजपा बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए संघर्ष करती हुई दिख रही है. उसे ट्राइबल सीटों पर टिपरा मोथा ने काफी नुकसान पहुंचाया है. कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन भी अच्छा प्रदर्शन करते हुए दिख रहा है. त्रिपुरा में रुझानों के मुताबिक भाजपा 30 सीटों पर आगे है. टिपरा मोथा यहां 11 सीटों पर आगे है. लेफ्ट और कांग्रेस का गठबंधन 17 सीटों पर आगे है. दूसरी ओर मेघालय में कॉनरॉड संगमा की एनपीपी अब अच्छी स्थिति में पहुंच गई है, जो पहले टीएमसी पिछड़ती हुई दिख रही थी. मेघालय में एनपीपी 26 सीटों पर आगे है, अन्य 18 सीटों पर आगे चल रहे हैं. टीएमसी 7 सीटों पर खिसक गई है. भाजपा और कांग्रेस 4-4 सीटों पर आगे हैं.
नगालैंड विधानसभा चुनाव की मतगणना के शुरुआती रूझान के अनुसार, सत्तारूढ़ एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन सत्ता बरकरार रखने की ओर बढ़ता दिख रहा है. टीवी चैनलों पर दिखाए जा रहे रूझानों में एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन मतगणना शुरू होने के बाद से ही 40 से अधिक सीट पर आगे है, जबकि एनपीएफ ने छह सीट पर बढ़त बना रखी है. मतगणना गुरुवार सुबह आठ डाक मतपत्रों की गिनती के साथ शुरू हुई. नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसवि पार्टी (एनडीपीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुनाव पूर्व गठबंधन किया था. एनडीपीपी ने 40, जबकि भाजपा ने 20 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे. वहीं, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने 22 सीट पर चुनाव लड़ा था. वर्ष 2003 तक राज्य पर राज करने वाली कांग्रेस ने 23 सीट पर किस्मत आजमाई. वर्तमान विधानसभा में उसका कोई सदस्य नहीं है.
त्रिपुरा में एक चरण में 16 फरवरी को मतदान संपन्न हुए थे, जबकि मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को वोट पड़े थे. तीनों ही राज्यों में विधानसभा सीटों की संख्या 60 है. उपरोक्त तीन राज्यों में त्रिपुरा ऐसा है जिस पर राष्ट्रीय स्तर पर सबकी निगाहे हैं, क्योंकि वैचारिक रूप से यहां जीत दर्ज करना भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि क्योंकि पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस और वाम दलों ने राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए पहली बार हाथ मिलाया है. राष्ट्रीय दलों के बीच इस लड़ाई में प्रद्योत देबबर्मा के नेतृत्व वाला तीपरा मोथा भी है जो एक प्रदेश की राजनीति में एक प्रभावी ताकत के रूप में उभरा है. जनजातीय आबादी के एक बड़े हिस्से के बीच इसके प्रभाव ने पारंपरिक पार्टियों को परेशान किया है.