नई दिल्ली. चुनाव आयुक्त के तौर पर अरुण गोयल की नियुक्ति ने विवाद खड़ा कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल देखना चाहता है और इस प्रक्रिया को शीर्ष कोर्ट ने ‘लाइटनिंग फास्ट (बहुत जल्दबाजी में)’ करार दिया है. हालांकि अभी शीर्ष कोर्ट इस मामले को देख रहा है, लेकिन पूर्व चुनाव आयुक्तों ने इस बात के पक्ष में दलील दी है कि चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार होना चाहिए.
1996 से 2001 के बीच 6 साल के कार्यकाल के लिए चीफ इलेक्शन कमिश्नर के तौर पर सेवा देने वाले मनोहर सिंह गिल ने कहा कि वह अपने कार्यकाल के बाद से ही लगातार इस तरह की मांग कर रहे हैं. गिल ने कहा, ‘चुनाव आयोग में नियुक्तियों का सवाल है और इसकी समीक्षा करके सुलझाया जाना चाहिए. मैं पूरे 6 साल के सीईसी था, मैंने भी इस तरह की नियुक्तियों (चुनाव आयोग में नियुक्ति) का मुद्दा उठाया था. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था