देहरादून. उत्तराखंड में 283 फार्मा कंपनी है, जबकि 120 कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी है. इनमें देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर और पंतनगर बड़ा हब है. इन सभी कंपनियों में से 132 मेडिसिन बनाने वाली फार्मा कंपनी डब्ल्यूएचओ सर्टिफाइड है. आपको जानकर हैरानी होगी कि ज्यादातर फार्मा कंपनियां दवाइयों के नाम पर जहर बना रही हैं. यह बात केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन की रिपोर्ट में सामने आई है.
अक्टूबर के डाटा के मुताबिक देशभर से तमाम कंपनियों की 1280 दवाइयों के सैंपल टेस्ट करवाए थे. इनमें से 1230 दवाइयां मांगों के अनुरूप पाई गई हैं. वहीं, 50 दवाइयां ऐसी हैं जो केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन के मानकों पर खरा नहीं उतर पाईं. उन दवाइयों में से 11 दवाइयां, उत्तराखंड की 11 फार्मा कंपनियों में बनाई गई है.
ड्रग कंट्रोलर ताजबीर सिंह ने बताया कि फेल हुए सैंपल में गुजरात के 4, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा के 1-1सैंपल, पश्चिम बंगाल, बिहार, सिक्कम के 2 -2 सैंपल, उत्तरप्रदेश की 7, मध्य प्रदेश की 6, तमिलनाडु की 3 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग के सचिव राजेश कुमार कहते हैं कि अभी डाटा उनके पास नहीं आया है, लेकिन मसला गंभीर है और शिकायत आने पर कार्रवाई करेंगे.
दूसरी ओर फार्मसिस्ट सुधा कुकरेती कहती हैं कि दवाइयों की जांच होनी और साथ में बिल होना भी बेहद जरूरी है. सरकारी अस्पतालों में इस बात का खास ख्याल रखते हैं. दून मेडिकल कॉलेज अब दवाइयों के मानक आम आदमी की तो समझ से परे हैं. ऐसे में फूड एंड ड्रग डिपॉर्टमेन्ट को ही सैंपलिंग बढ़ानी होगी और फॉर्मा कम्पनी के खिलाफ एक्शन लेना होगा.