पटना. नीतीश कुमार ने अपने अपने ‘भ्रष्टाचार विरोध’ को कारण बता कर जुलाई 2017 में लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से गठबंधन तोड़ लिया था और रातों-रत बीजेपी से हाथ मिला लिया था. ऐसा कर वो बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहे थे. उस समय लालू के बेटे और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.
पांच साल बाद, सत्ता के गलियारे में चर्चा तेज है कि नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदल कर आरजेडी के साथ आ सकते हैं. मगर तब से पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपों में और भी घिरी है. लालू यादव बहुचर्चित चारा घोटाला के पांच मामलों में दोषी करार दिए गए हैं जिसमें से चार में वो जुलाई 2017 के बाद दोषी साबित हुए हैं. कोर्ट के द्वारा जमानत दिए जाने से पहले लालू यादव ने यह ज्यादातर समय जेल में बिताया है. सीबीआई ने हाल ही में लालू के करीबी भोला यादव को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया है. यह मामला लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान का है.
तेजस्वी यादव के विरुद्ध दर्ज मुकदमों की जांच की गति धीमी है. आरजेडी का कहना है कि राजनीतिक विद्वेष के चलते जांच एजेंसियों के द्वारा उनपर केस दर्ज किये गए हैं. आरजेडी के नेताओं ने 2017 में तब कहा था कि नीतीश कुमार का ‘भ्रष्टाचार विरोध’ झूठा है, क्योंकि इसका असली कारण लालू यादव के साथ गठबंधन कर उनका सत्ता में बने रहना था. जेडीयू और आरजेडी का गठबंधन 2015 में बिहार की सत्ता पर काबिज हुई थी.
बीजेपी के नेताओं का कहना है कि गठबंधन एकजुट है, और उन्होंने हमेशा ‘गठबंधन धर्म’ निभाया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि बीजेपी बिहार में जेडीयू के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव 2024 लड़ेगी. बीजेपी ने 2020 में जेडीयू से ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद भी नीतीश कुमार को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था. बिहार बीजेपी के एक नेता ने बातचीत में कहा कि हमें नहीं लगता कि हमारा गठबंधन टूटेगा, लेकिन अगर फिर भी नीतीश कुमार ऐसा करते हैं, तो उनको यह बताना पड़ेगा कि क्यों वो ऐसे नेता (लालू यादव) से जुड़ना चाहते हैं जो भ्रष्टाचार के पांच मामलों में दोषी ठहराए गए हैं.नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू बिहार में बीजेपी के साथ 2024 के गठबंधन को लेकर खामोश है. साथ ही उसने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है. दिल्ली में होने वाली महत्वपूर्ण बैठकों में नीतीश कुमार के नहीं शामिल होने से भी दोस्ती में दरार आई है. बिहार विधानसभा के अध्यक्ष के चयन को लेकर नाखुशी, केंद्र के द्वारा बिहार में जातीय जनगणना नहीं करवाने के साथ-साथ बिहार में बीजेपी की बढ़ती पैठ से भी जेडीयू और बीजेपी के बीच दूरियां बढ़ी हैं. हालांकि, नीतीश कुमार ने बीजेपी (एनडीए) के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों को अपना समर्थन दिया था.