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भारत के तरह एयर इंडिया श्रीलंका में भी श्रीलंकन एयरलाइंस को बेचने की तैयारी में PM रानिल विक्रमसिंघे

श्रीलंका -देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की कोशिशों के तहत अपनी राष्ट्रीय एयरलाइन को बेचने की योजना बनाई है, जबकि अधिकारियों को सरकारी वेतन का भुगतान करने के लिए पैसे छापने के लिए मजबूर किया जा रहा है. भयंकर आर्थिक एवं राजनीतिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के नवनियुक्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को कहा कि उन्होंने सरकारी विमानन कंपनी श्रीलंकन एयरलाइंस के निजीकरण का प्रस्ताव रखा है. विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री नियुक्त होने के बाद राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में कहा, “मेरा प्रस्ताव है कि घाटे में चल रही श्रीलंकन एयरलाइंस का निजीकरण किया जाए.”

‘इकनॉमी नेक्स्ट’ वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे द्वारा अमीरात को एयरलाइन के प्रबंध शेयरधारक के रूप में हटाने के बाद श्रीलंकाई एयरलाइंस को बड़ा नुकसान हुआ है. विक्रमसिंघे ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद चुनौतियों से निपटने के लिए कुछ उपायों की घोषणा करते हुए कहा, “सिर्फ 2020-21 के साल में ही इसका घाटा 45 अरब रुपये था. मार्च, 2021 तक इसका कुल घाटा 372 अरब रुपये हो चुका था.”

उन्होंने कहा, “अगर हम इसका निजीकरण भी करते हैं, तो हमें नुकसान उठाना पड़ेगा. आपको ध्यान रखना चाहिए कि यह नुकसान सबसे गरीब व्यक्ति को उठाना पड़ता है जिसने विमान में कभी कदम भी नहीं रखा होता है.” हालांकि, विक्रमसिंघे 2015 से 2019 के अपने पिछले कार्यकाल में श्रीलंकन एयरलाइंस का निजीकरण करने में नाकाम रहे थे. वर्ष 1979 में शुरू की गई श्रीलंकन एयरलाइंस के पास 61 देशों में 126 गंतव्यों का वैश्विक नेटवर्क है.Sri Lanka Proposes Privatizing Its National Airline

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‘पैसे छापने को मजबूर है नई सरकार’
पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री बनने के बाद टेलीविजन पर प्रसारित राष्ट्र के नाम अपने अपने संबोधन में यूनाईटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे (73) ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए वे पैसे छापने को मजबूर हैं, जिससे देश की मुद्रा पर दबाव पड़ेगा. उन्होंने चेतावनी दी कि अगले दो महीने इस वर्तमान आर्थिक संकट में सबसे मुश्किल भरे होंगे. उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, “अगले एक-दो महीने हमारे जीवन में सबसे कठिन होंगे. हम कुछ कुर्बानियां देने एवं इस काल की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने आप को तैयार करना चाहिए.” विक्रमसिंघे ने कहा कि फिलहाल श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बहुत जोखिम पूर्ण स्थिति में है और देश को जरूरी सामानों के लिए लगी कतारों में कमी लाने के लिए अगल दो-चार दिनों में 7.5 करोड़ डॉलर हासिल करना होगा.SriLankan Airlines increase flights to India by 20 percent in last 3 months  - The Economic Times

‘सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है श्रीलंका’
श्रीलंका 1948 में मिली आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी से ईंधन, रसोई गैस एवं अन्य जरूरी चीजों के लिए लंबी लंबी कतारें लग गयी हैं तथा भारी बिजली कटौती एवं खाने-पीने के बढ़ते दामों ने लोगों की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं. आर्थिक संकट से श्रीलंका में राजनीतिक संकट पैदा हो गया और प्रभावशाली राजपक्षे की इस्तीफे की मांग होने लगी. राष्ट्रपति गोटबाया ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया लेकिन उन्होंने पिछले सप्ताह नए प्रधानमंत्री एवं युवा मंत्रिमंडल को नियुक्त किया. नई सरकार राष्ट्रपति के अधिकारों में कटौती के लिए अहम संवैधानिक सुधार पेश करेगी.

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