पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. ‘आप’ ने अभी से ही 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. इतना ही नहीं पंजाब में मिली शानदार जीत के बाद केजरीवाल बीजेपी पर अब ज्यादा अक्रामक हो गए हैं. इस जीत के बाद केजरीवाल का बात करने का लहजा और राजनीतिक इच्छाशक्ति भी बदल गया है. केजरीवाल अलग-अलग न्यूज चैनलों को साक्षात्कार दे रहे हैं और इसमें 2024 का रोडमैप की झलक भी दे रहे हैं. ऐसे में सावल उठता है कि क्या केजरीवाल का यह अतिआत्मविश्वास उनको मंजिल तक पहुंचाएगा? क्या केजरीवाल का फोकस अब दिल्ली से निकल कर राष्ट्रीय हो गया है? केजरीवाल का यह नया अवतार 2024 में कितना कारगर साबित होगा? राजनीतिक जानकरों की मानें तो केजरीवाल को अचानक लगने लगा है कि वह अब कांग्रेस पार्टी का विकल्प ही नहीं पीएम मटेरियल भी हैं? इसलिए पंजाब के बाद अब गुजरात पर केजरीवाल ज्यादा फोकस कर रहे हैं.
‘आप’ विश्वस्त सूत्रों की मानें तो अरविंद केजरीवाल गुजरात को लेकर ज्यादा फोकस हो गए हैं. केजरीवाल गुजरात में दूसरे दलों के कई दिग्गज नेताओं को पार्टी में जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. पार्टी नेताओं का मानना है कि अगर गुजरात में सफल हो गए तो 2024 का रास्ता अपने आप आसान हो जाएगा. गुजरात में पार्टी के प्रदर्शन के आधार पर ही तय होगा साल 2024 में अरविंद केजरीवाल का भविष्य. अगर गुजरात में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा तो केजरीवाल विदेशों का दौरा कर साल 2024 का माहौल तैयार करेंगे.
क्या है अरविंद केजरीवाल का 2024 का प्लान?
विदेशों में भारतीय मूल के लोगों को दिल्ली मॉडल के बारे में बता कर साल 2024 का खाका तैयार किया जाएगा. आप का प्लान है कि देश में और देश के बाहर एक माहौल बनाया जाए. इसके लिए विपक्षी दलों के कई बड़े नेताओं के साथ पार्टी के कुछ नेता संपर्क कर रहे हैं. इसके साथ ही साफ-सूथरी छवि के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों पर भी केजरीवाल की नजर है.
क्यों विपक्षी नेताओं का केजरीवाल से मिलन-जुलना शुरू हो गया है?
बता दें कि हाल ही में तमिलनाडु के सीएम स्टालीन ने दिल्ली के स्कूलों का दौरा किया था. यह दौरा वैसे तो दिल्ली मॉडल देखने और परखने का था, लेकिन इस दौरे में डीएमके नेता और तमिलनाडु के सीएम स्टालीन की अरविंद केजरीवाल से 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर लंबी बातचीत हुई है. इसी तरह पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और केजरीवाल के संबंध लगातार मधुर बने हुए हैं.
किस तरह का प्लान केजरीवाल के लिए होगा तैयार?
‘आप’ ने देश में माहौल बनाने के लिए अभी से ही काम करना शुरू कर दिया है. इसको लेकर पार्टी ने अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं या कर चुके लोगों को जोड़ने का अभियान शुरू किया है. विपक्षी पार्टियों के नेताओं का लगातार पार्टी में शामिल किया जा रहा है. बीते सोमवार को ही हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने आप में शामिल हुए हैं. इसके साथ ही बंगलुरू के पूर्व पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने भी आम आदमी पार्टी ज्वाइन किया है.
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार
देश की राजनीति को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, ‘तमिलनाडु के सीएम की दिल्ली की यात्रा और केजरीवाल के साथ स्कूल देखने जाना कोई साधारण घटना नहीं है. केजरीवाल की फ्री पॉलिटिक्स से बीजेपी कहीं न कहीं असहज महसूस कर रही है. ममता बनर्जी की भी केजरीवाल से नजदीकी है. पंजाब चुनाव जीतने के बाद केजरीवाल की पहली कोशिश है कि वह राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री करें. केजरीवाल जानते हैं कि बीजेपी से लड़ने के लिए राजनीतिक पार्टियों के छोटे-छोटे गुट बनाए जाएं. मुफ्त की पॉलिटिक्स पर भी केजरीवाल सजग हैं. आने वाले दिनों में मुफ्त की योजनाएं केंद्र और राज्यों में टकराव का कारण बनेगा.’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब गुजरात के बाद हिमाचल प्रदेश में रोड शो निकालेंगे. (File Photo)
पांडेय आगे कहते हैं, ‘लेकिन, केजरीवाल इसका फायदा उठाने की कोशिश करेंगे. दिल्ली की कई योजनाएं जैसे डोर स्टेप डिलेवरी राशन पहुंचाने का मुद्दा उछाल कर केजरीवाल बीजेपी पर गरीब विरोधी पार्टी होने का आरोप लगाएंगे. इसलिए, बीजेपी भी समझ रही है कि 2024 में मुफ्त योजनाओं पर राजनीति शुरू होगा. बता दें कि बीजेपी शासित राज्यों में भी मुफ्त राशन जैसी योजनाएं अभी तक वापस नहीं ली गई हैं. बीजेपी की चिंता है कि क्षेत्रीय पार्टियां खासकर आम आदमी पार्टी मुफ्त बिजली, पानी और मकान का मुद्दा बना कर 2024 में घेरने की कोशिश करेगी.’