छठ यूं तो साल में दो बार मनाया जाता है और कार्तिक मास में मनाये जाने वाले छठ पर्व को अधिक महत्व दिया जाता है लेकिन चैती छठ का महत्व पूर्वांचल के लोगों के लिए एक समान ही होता है. चैत्य में होने के कारण ये चैती छठ के नाम से जाना जाता है. चुकी चैत्य के समय में भीषण गर्मी होती है इस कारण इस व्रत को करने वाले लोगों की संख्या कार्तिक छठ की तुलना में कम होती है.
चैती छठ पूजा का आज पहला दिन है जिसकी शुरूआत आज नहाय खाय के साथ हुई है और फिर अगले दिन खरना का व्रत किया जाएगा. खरना व्रत के दिन संध्या काल में व्रती प्रसाद के रूप में गुड़ की खीर, रोटी और फल का सेवन करते हैं और फिर अगले 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखते हैं. छठ पूजा में षष्ठी तिथि में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और पर्व का समापन होता है.
नहाय खाय के पहले दिन राजधानी के गंगा घाटों पर व्रतियों ने गंगा स्नान किया पूजा पाठ किया और फिर आज अरवा चावल,चने की दाल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद बनाएगी जबकि कल यानी बुधवार को खरना पूजा की जाएगी. गर्मी के कारण 36 घंटे का निर्जला उपवास बहुत ही कठिन होता है लेकिन फिर भी कई लोग चैती छठ को धूमधाम से मनाते हैं.
पटना के गंगा घाट पर स्नान और पूजा के लिए पहुंची व्रती महिलाओं ने बताया कि गर्मी में होने के कारण ये व्रत काफी कठिन होता है फिर भी बहुत लोग इस छठ को करते हैं. छठ पूजा बिहार के अलावा झारखंड समेत यूपी के पूर्वांचल इलाके के लोग भी करते हैं.