तटीय शहर उडुपी के सरकारी कन्या महाविद्यालय की छह मुस्लिम छात्राएं कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति के अनुरोध वाली उनकी याचिका के कर्नाटक उच्च न्यायालय में खारिज होने के एक दिन बाद बुधवार को कक्षाओं में नहीं गईं और उन्होंने परीक्षाएं नहीं दीं।
अपने 129-पृष्ठ के आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा था कि हिजाब इस्लाम धर्म के तहत एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और उसने कर्नाटक सरकार के उस आदेश को बरकरार रखा जो परिसर में शांति, सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाले ऐसी किसी भी पोशाक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है। छात्राएं अपने रुख पर अड़ी रहीं कि वे बिना हिजाब के कॉलेज में प्रवेश नहीं करेंगी और कानूनी रूप से मुकदमा लड़ेंगी। वे प्री-यूनिवर्सिटी कक्षाओं की प्रारंभिक परीक्षा के दौरान भी अनुपस्थित रहीं। शिवमोगा के कमला नेहरू कॉलेज में 15 लड़कियां यह कहकर घर लौट गईं कि वे बिना हिजाब पहने कॉलेज में प्रवेश नहीं करेंगी।
इसी कॉलेज में पूर्व में हिजाब विवाद को लेकर समस्याएं हुई थीं। शिवमोगा में हाल में बजरंग दल के एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी, जिससे तनाव पैदा हो गया था। 15 लड़कियां बुर्का और हिजाब पहनकर पहुंचीं, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने उनके प्रवेश पर रोक लगा दी, जिसके बाद छात्राओं ने कक्षाओं में नहीं जाने का फैसला किया। उनमें से एक ने संवाददाताओं से कहा कि हिजाब उनका धार्मिक अधिकार एवं पहचान है और वे इसके बिना कॉलेज में प्रवेश नहीं कर सकतीं।
एक अन्य छात्रा ने कहा, ‘‘आज अपना असाइनमेंट जमा करने का आखिरी दिन था, लेकिन हमें कक्षा के अंदर नहीं जाने दिया गया। हमने उनसे (कॉलेज के अधिकारियों से) अनुमति देने का अनुरोध किया, लेकिन कॉलेज ने कहा कि अदालत के आदेश का पालन किया जाना चाहिए। यह प्रधानाध्यापक या शिक्षकों की गलती नहीं है। दरअसल हमें न्याय नहीं मिला।” कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ सी एन अश्वथनारायण ने कहा कि जो लोग ‘‘उच्च न्यायालय के हिजाब से संबंधित आदेश को अपने पक्ष में करना चाहते” हैं, उनकी किसी भी धमकी के आगे राज्य सरकार नहीं झुकेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह समझना होगा कि हम पहले भारतीय और कन्नड़ हैं।