सुप्रीम कोर्ट ने आज वन रैंक वन पेंशन मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए मौजूदा नीति को सही ठहराया है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सरकार का ‘वन रैंक-वन पेंशन’ का फैसला मनमाना नहीं है और न ही किसी संवैधानिक कमी से ग्रस्त है। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि OROP की लंबित पुनर्निर्धारण प्रक्रिया एक जुलाई, 2019 से शुरू की जानी चाहिए और तीन महीने में बकाया राशि का भुगतान किया जाना चाहिए।
क्या है मामला
दरअसल पूर्व सैनिकों की एक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस नीति से वन रैंक वन पेंशन का मूल उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। इसकी हर साल समीक्षा होनी चाहिए, लेकिन इसमें पांच साल में समीक्षा का प्रावधान है। अलग-अलग समय पर रिटायर हुए लोगों को अब भी अलग पेंशन मिल रही है।
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