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पंजाब के बाद अब हरियाणा में राजनीतिक जंग के घोड़े तलाशेंगे केजरीवाल, ब्यूरोक्रेट्स भी संपर्क में

चंडीगढ़। दिल्ली से बाहर निकलकर पंजाब में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी की निगाह अब हरियाणा पर है। पंजाब की गद्दी अपने राजनीतिक संकट के साथी भगवंत मान को सौंपने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल हरियाणा के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में भी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए काम करेंगे।

पंजाब में हुए सियासी बदलाव के बाद न केवल हरियाणा की अफसरशाही, बल्कि दूसरे दलों के असंतुष्ट नेता भी अब आम आदमी पार्टी के करीब आने की जुगत भिड़ा रही है। हरियाणा में अभी तक आम आदमी पार्टी की पहचान अरविंद केजरीवाल के पुराने साथी नवीन जयहिंद से होती है।

प्रदेश में आज तक जितने भी बड़े आंदोलन हुए, उनमें विपक्ष के नाते नवीन जयहिंद ने बहुत ही सक्रियता के साथ अपनी भूमिका निभाई है। पारिवारिक कारणों से नवीन जयहिंद जब करीब एक साल तक अज्ञातवास में रहे, तब हरियाणा में आम आदमी पार्टी की गतिविधियां पूरी तरह खत्म हो गईं थी।

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नवीन जयहिंद की गैरमौजूदगी में राज्यसभा सदस्य डा. सुशील गुप्ता ने हालांकि पार्टी की गतिविधियों को चालू रखने की कोशिश की, लेकिन वह चाहकर भी जनता से अपना कनेक्शन नहीं जोड़ पाए।

अज्ञातवास से बाहर आते ही नवीन जयहिंद ने हरियाणा लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग की भर्तियों में हुए कथित भ्रष्टाचार के विरोध में ऐसा जनांदोलन खड़ा किया कि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और इनेलो समेत उनके छात्र व युवा संगठनों को भी फील्ड में उतरना पड़ा।

पंजाब चुनाव के अप्रत्याशित नतीजों के बाद राज्य में एक बार फिर आम आदमी पार्टी की राजनीतिक गतिविधियों को उड़ान मिलने की उम्मीद है। पार्टी का अगले कुछ माह के भीतर होने वाले शहरी निकाय चुनाव अपने सिंबल झाड़ू पर लड़ने का ऐलान इस बात का संकेत है कि अरविंद केजरीवाल अब अपने गृह राज्य हरियाणा को लेकर काफी गंभीर हैं।

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संकट के साथियों को नहीं भूलते केजरीवाल

मूल रूप से भिवानी जिले की सिवानी मंडी के रहने वाले केजरीवाल के बारे में कहा जाता है कि वह अपने पुराने मित्रों और संकट के साथियों को नहीं भूलते। हरियाणा के कुछ रिटायर्ड आइएएस अधिकारी और दूसरे दलों के असंतुष्ट नेता पहले ही उनकी पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं।

राज्य में नवीन जयहिंद कई बार चुनाव लड़ चुके। उनके नेतृत्व में राज्य में जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन भी हो चुका है। अब सीनियर आइएएस अधिकारी डा. अशोक खेमका के भी राज्य में आम आदमी पार्टी की राजनीति शुरू करने की आवाज प्रशासनिक गलियारों में सुनाई दे रही है। हालांकि अशोक खेमका अप्रैल 2025 में रिटायर होंगे। ऐसे में वह केजरीवाल के साथ अभी सक्रिय भूमिका निभाएंगे या फिर 2024 के चुनाव में अचानक फील्ड में उतरेंगे, इस पर सबकी निगाह टिकी हुई है।

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केजरीवाल तक नमस्ते पहुंचाने की जुगत में कई दिग्गज

पंजाब चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस, इनेलो, जननायक जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के कई ऐसे नेता केजरीवाल तक अपनी नमस्ते पहुंचाने के प्रयास में हैं, जिन्हें या तो अपने मौजूदा दलों में टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है या फिर टिकट मिलने के बाद भी उनकी राह आसान नहीं है।

सूत्रों के अनुसार पंजाब में सरकार के गठन के बाद अरविंद केजरीवाल पहले हिमाचल प्रदेश और फिर प्रमुख कार्यकर्ताओं की दिल्ली में एक बैठक बुलाएंगे, जिसमें भविष्य की राजनीति का नया रोडमैप तैयार किया जाएगा। इस रोडमैप की गाड़ी के पहिये केजरीवाल इसी बैठक में तय करेंगे।

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अब कुछ लोगों की यह भी कोशिश होगी कि अरविंद केजरीवाल के साथ गठबंधन हो जाए। ऐसे में सबकी निगाह पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की 24 मार्च को उचाना में होने वाली रैली पर टिकी हुई है।

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