इस्लामाबाद। रूस और यूक्रेन की लड़ाई के बीच जहां वहां के स्थानीय निवासी पिस रहे हैं वहीं इसमें उन लोगों की भी दुर्गति हो रही है जो वहां पर विदेशों से आकर रह रहे थे। इनकी परेशानियां किसी भी सूरत से कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भारत की बात करें तो लगातार चलाए जा रहे आपरेशन गंगा से अब तक 13300 लोगों को वहां से निकालकर भारत वापस लाया जा चुका है। जो वहां पर मौजूद हैं उनके साथ भारत की एंबेसी और उसके अधिकारी लगातार संपर्क में हैं।
कुछ नहीं कर रहा पाकिस्तान
वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिनको वहां पर मरने के लिए छोड़ दिया गया है। उनकी सरकार इस बारे में कुछ नहीं कर रही है। ऐसे ही कुछ पाकिस्तान के छात्र हैं जो लगातार अपने देश की सरकार से उन्हें बाहर निकालने की गुजारिश कर रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यूनिवर्सिटी वर्ल्ड न्यूज के मुताबिक यूक्रेन में करीब 76 हजार विदेशी छात्र थे जिनमें से करीब 25 फीसद भारतीय थे। इसके अलावा मोरक्को, तुर्कमेनिस्तान, नाइजीरिया, चीन और पाकिस्तान के हैं। भारत ने अपने नागरिकों को वहां से निकालने के लिए आपरेशन गंगा लान्च किया हुआ है
पढ़ाई का खर्च कम होने की वजह से चुना यूक्रेन
युद्ध के माहौल में अब पाकिस्तानी छात्रों की उम्मीदें भी दम तोड़ने लगी हैं। पाकिस्तान के छात्र मिशा अरशद उन हजारों विदेशी छात्रों में से एक हैं जो यहां पर पढ़ने आए थे और अब बुरी तरह से फंस गए हैं। उनका कहना है कि उन्होंने यूक्रेन को अपनी एजूकेशन के लिए इसलिए चुना था क्योंकि यहां की फीस और रहने खाने का खर्च दूसरे देशों के मुकाबले काफी कम है। अरशद यहां की नेशनल एयरोस्पेस यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। वो किसी तरह से खारकीव से बचकर निकलने में सफल हो गए हैं।
अन्य छात्रों के साथ बेसमेंट में गुजारे दिन
खारकीव पर रूस ने जबरदस्त हमला करने के बाद कब्जा कर लिया है। वो रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई छिड़ने के बाद से ही सुरक्षा के लिए अपने हास्टल के नीचे बने बेसमेंट में रह रहे थे। अरशद अपने देश की सरकार से बेहद खफा हैं। उनका कहना है कि उनके दूतावास ने उनकी वहां से बाहर निकलने में कोई मदद नहीं की।उन्होंने कहा कि वो पाकिस्तान का भविष्य हैं और उनकी सरकार उनके साथ इस मुश्किल दौर में इस तरह का बुरा व्यवहार कर रही है।
बरस रहे थे गोले
अरशद ने बताया कि जब युद्ध की शुरुआत हुई तो यूनिवर्सिटी ने उन लोगों को जो अपार्टमेंट में रह रहे थे हास्टल के बेसमेंट में शिफ्ट कर दिया था। अरशद भी वहां पर मौजूद 120 अन्य छात्रों के साथ वहां पर थे। इनमें नाइजीरिया, चीन और भारत के भी छात्र शामिल थे। इसके अलावा कुछ वहां के स्थानीय छात्र भी थे। उन्होंने डान अखबार से हुई बातचीत में बताया कि ये सुरक्षित नहीं था कि वो शेल्टर को छोड़ कर दूसरे स्थान पर जा सकें और रूसी हमलों से बच सकें, क्योंकि दिन रात गोले बरस रहे थे।
भारतीय दूतावास की अरेंज बस से निकले बाहर
खारकीव के अपने बुरे वक्त को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें उस वक्त भारतीय एंबेसी द्वारा अरेंज की गई बस ने सहारा दिया और वो उससे टर्नोपिल पहंचे। उस बस में केवल वो अकेले पाकिस्तानी छात्र थे जबकि अन्य सारे भारतीय थे। उन्होंने पाकिस्तान के उस दावे को भी खोखला बतया जिसमें वहां के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उन्होंने 1476 पाकिस्तानी नागरिकों को वहां से बाहर निकाला है। इतना ही नहीं लेविव की पाकिस्तानी एंबेसी ने यहां तक कहा कि उन्होंने भारतीय छात्रों की भी इसके लिए मदद की है। अरशद ने पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के इस दावे को कोरी बकवास बताया और कहा कि ये पूरी तरह झूठ है।