News Times 7
देश /विदेश

यूक्रेन संकटः पूर्व राजनायिकों ने दी सलाह, भारत नाप-तोल ले कूटनीतिक फैसला

नई दिल्लीः यूक्रेन संघर्ष पर भारत के लिए ‘देखो और इंतजार करो’ रवैये की वकालत करते हुए, पूर्व भारतीय राजनयिकों ने बृहस्पतिवार को कहा कि नई दिल्ली को कूटनीतिक रूप से बहुत सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि मास्को दशकों से उसका ‘‘मजबूत भागीदार” रहा है। रूस ने बृहस्पतिवार को यूक्रेन पर व्यापक हमला किया, जिससे दोनों देशों के बीच बड़े पैमाने पर सैन्य टकराव की आशंका को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गईं।

पाकिस्तान सहित कई देशों में भारत के दूत रह चुके जी. पार्थसारथी ने कहा कि यह भारत के लिए एक ‘‘जटिल स्थिति” है और सरकार को इस पर सावधानीपूर्वक फैसला लेना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा अपना मानना है कि इस पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान होगा। देखना होगा कि हम इसका विरोध करते हैं या इसमें अनुपस्थित रहते हैं।”
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को एक संतुलित कदम उठाना होगा, उन्होंने कहा, ‘‘हां। हमें एक निर्णय लेना होगा और देखना होगा कि दूसरे कैसे व्यवहार करते हैं। चीन भी इस समय सावधानी से काम कर रहा है। इसलिए हमें यह देखना होगा कि दूसरे कैसे प्रतिक्रिया करते हैं।” उन्होंने कहा कि भारत को उभरती स्थिति को देखना चाहिए और फिर इस बात पर गौर करना चाहिए कि दूसरे कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। उन्होंने कहा कि रूस बहुत कठिन समय में भारत के साथ खड़ा रहा है। पार्थसारथी ने कहा कि वास्तविकता यह है कि रूस एक बहुत विश्वसनीय मित्र बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक संतुलित कदम उठाने की जरूरत है।”

पूर्व भारतीय राजनयिक राकेश सूद ने भी इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए भारत को कूटनीतिक कुशलता और संवेदनशील कूटनीति की जरूरत है। सूद ने कहा, ‘‘आखिरकार किसी भी नीति के जरिये भारत के हित को साधना होता है। रूस दशकों से भारत के लिए एक दृढ़ भागीदार रहा है और इसलिए, हमारे लिए रूसी कार्रवाई का समर्थन करना या रूसी कार्रवाई की बहुत आलोचना करना मुश्किल होगा।” उन्होंने कहा, ‘‘हमारी जो भी चिंताएं हैं, हम उन्हें निजी तौर पर रूसी नेताओं के साथ साझा करेंगे। लेकिन किसी भी मामले में, भारत, एक देश के रूप में हम एकतरफा प्रतिबंधों को स्वीकार नहीं करते हैं। हमने हमेशा एकतरफा प्रतिबंधों के खिलाफ बात की है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा (रूस के खिलाफ) जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, जरूरी नहीं हैं।’

Advertisement

वर्ष 2009 और 2011 के बीच अमेरिका में भारत की राजदूत के रूप में कार्यरत रही मीरा शंकर ने कहा कि अभी सरकार ने ‘‘देखो और इंतजार करो” रवैये को अपनाया है। उन्होंने कहा कि भारत ने अनिवार्य रूप से आग्रह किया है कि ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे स्थिति और खराब हो जाये और इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘ यही सरकार ने कहा है और अभी उसकी नीति भी यही है। सरकार अभी यूक्रेन में अपने नागरिकों की सुरक्षा पर अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। छात्रों और अन्य लोगों को वापस लाने के लिए उड़ानों की व्यवस्था कर रही है।”

Advertisement

Related posts

हिजाब मामले को सांप्रदायिक रंग देना देश की समावेशी संस्कृति के खिलाफ साजिश: नकवी

News Times 7

आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की शक्ति का इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए: न्यायालय

News Times 7

आईईडी बरामद होने के बाद दिल्ली के गाजीपुर में सुरक्षा कड़ी की गई

News Times 7

Leave a Comment

टॉप न्यूज़
ब्रेकिंग न्यूज़