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आतंकियों की पैरोकारी करने पर चौतरफा घिर रहा जमीयत, विहिप ने की कानूनी कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली। अहमदाबाद आतंकी धमाका मामले में जहां 14 साल बाद न्याय मिलने से पीड़ित परिवार राहत में हैं और देश में इसे लेकर संतोष जताया जा रहा है। वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे इस्लामिक संगठनों की ओर से आतंकियों के साथ खड़े होने से देशवासी स्तब्ध हैं। जमीयत के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कोर्ट के फैसले पर अविश्वास जताते हुए कहा है कि संगठन दोषी ठहराए गए लोगों के साथ हाई कोर्ट में मजबूती से खड़ा होगा और उन्हें कानूनी सहायता मुहैया कराएगा। जमीयत के इस रुख की हर ओर से निंदा हो रही है तथा इसे देश तोड़ने वाले लोगों तथा आतंकवाद को बढ़ावा देने के तौर पर देखा जा रहा है।

विहिप ने की कार्रवाई की मांग

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने तो इसे लेकर जमीयत जैसे संगठनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तक की मांग की है। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि देश के न्यायिक इतिहास का यह पहला और अभूतपूर्व घटनाक्रम है। अहमदाबद सीरियल ब्लास्ट मामले में 38 लोगों को फांसी तथा 11 आतंकियों काे उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। अभी भी आठ खतरनाक आरोपी भगोड़े हैं। इन आतंकियों द्वारा 26 जुलाई 2008 को एक घंटे के भीतर अहमदाबाद में 22 स्थानों पर बम ब्लास्ट किए गए, जिसमें 56 मासूम लोगों की मौत हुई और 200 से अधिक लोग घायल हुए। आतंकियों ने अस्पतालों तक को नहीं छोड़ा। वहां भी ब्लास्ट कराए। अहमदाबाद में स्पेशल कोर्ट ने इन आरोपियों को दोषी ठहराते हुए यह सजा सुनाई है।

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जांच से जुड़े लोग कई दिनों तक नहीं गए थे घर

विनोद बंसल ने कहा कि पुलिस और न्यायायिक व्यवस्था के अभूतपूर्व प्रयासों से आतंकी अपने अंजाम तक पहुंचे हैं। पुलिस ने बिना किसी चश्मदीद के जांच को आगे बढ़ाते हुए कई राज्यों में फैले इस आतंकी षणयंत्र के तार को ढूंढ निकाला। इसमें उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से अकेले छह आतंकी हैं। जांच टीम से जुड़े लोग और जज कई दिनों तक अपने-अपने घरों को नहीं गए, क्योंकि उन्हें जान से मारने की धमकी मिली थी। उस स्थिति में इन आतंकियों के साथ खड़ा रहकर जमीयत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह देश को तोड़ने की गतिविधियों में वह सीधे संलिप्त है। बंसल ने कहा कि आतंकियों को पोषित करने वाले, उन्हें संरक्षण तथा फंडिंग देने वाले ऐसे संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए।

श्रीलंका के लोगों की प्रशंसा

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विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने इस मामले में श्रीलंका के लोगों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वहां जब सीरियल ब्लास्ट करने वाले आतंकी पकड़े गए तो उनके खिलाफ पूरा देश एकजुटता से खड़ा हुआ और वहां के वकीलों ने उन आतंकियों का केस लड़ने से मना कर दिया, लेकिन अपने यहां न्यायिक व्यवस्था पर ही सवाल खड़ा कर देश बांटने की कोशिश हो रही है। चिंताजनक स्थिति यह है कि इसमें कुछ राजनीतिक दल भी संलिप्त हैं। जो आतंकियों के साथ न सिर्फ खड़े रहे हैं बल्कि इनके नेता आतंकियों के इनकाउंटर पर आंसू बहाते हैं। ऐसे लोगाें से भी देशवासियों को अब सचेत रहने की आवश्यकता है।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने जमीयत की मुखालफत की, कहा- समाज को तोड़ने वाले लोगों को दे रहा है बढ़ावा

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने जमीयत के फैसले पर हैरानी जताते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उसने कहा है कि जमीयत को इस तरह का कोई निर्णय लेने से पहले यह देखना चाहिए कि यह किसी राजनीतिक दल का नहीं बल्कि न्यायालय का फैसला है, जिसने कहेसूने के आधार पर नहीं, साक्ष्याें के आधार पर यह फैसला लिया है। एमआरएम के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहिद सिद्​दकी ने कहा कि न्यायालय का काम तुष्टिकरण करना नहीं है। वह दीन -मजहब भी नहीं देखता है। बल्कि साक्ष्यों के आधार पर फैसले तक पहुंचता है। उन्होंने कहा कि मासूमों का कत्लेआम करने वाले और आतंक फैलाने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए और न्यायालय के इस निर्णय को सभ्य समाज में स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान हर किसी को अपने बचाव का पूरा मौका देता है, लेकिन ऐसे लोगों को बढ़ावा देकर जमीयत द्वारा समाज को तोड़ने का काम किया जा रहा है, जो बर्दाश्त के काबिल नहीं है।

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