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पूरे हिजाब विवाद की जड़ में तीन बड़ी बातें, जिन पर लोगों के बीच गलतफहमी पैदा की जा रही

कर्नाटक के स्कूल इन दिनों अपने मजहब का वर्चस्व दिखाने की प्रयोगशाला बन गए हैं. हिजाब (Hijab) को लेकर मुस्लिम छात्राओं का प्रदर्शन उनकी जिद है या जेहाद का हिस्सा है.

  • एक हिंदू छात्र के खिलाफ नारेबाजी
  • बड़ी बैंच में रैफर हुआ हिजाब का मामला
  • हिजाब विवाद के पीछे क्या है बड़ी साजिश

नई दिल्ली: कर्नाटक के स्कूल इन दिनों अपने मजहब का वर्चस्व दिखाने की प्रयोगशाला बन गए हैं. वहां के स्कूलों में धार्मिक कट्टरवाद का जहर घोला जा रहा है.

मंगलवार को कर्नाटक के मांड्या का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक प्राइवेट कॉलेज में शिक्षा के बजाय अल्लाह-हू-अकबर और जय श्री राम के नारे गूंज रहे थे. इसमें जो मुस्लिम छात्रा बुर्के में दिख रही थी, उसकी खूब चर्चा हुई थी. बुधवार को धार्मिक नारों की ये लड़ाई कर्नाटक के दूसरे स्कूलों में भी पहुंच गई है.

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एक हिंदू छात्र के खिलाफ नारेबाजी

बुधवार को उडुपि के एक इंटर कॉलेज का नया वीडियो वायरल हुआ. इसमें बुर्का और हिजाब (Hijab) पहनी कुछ मुस्लिम छात्राएं एक हिन्दू छात्र का विरोध करते हुए मजहबी नारे लगाते दिख रही थी. वहीं वह हिन्दू छात्र उनका विरोध करने के लिए भगवा गमछा लहरा रहा था.

हालात को कंट्रोल करने के लिए कर्नाटक के सभी High Schools और Colleges बुधवार को भी बन्द रहे लेकिन देशभर में अलग अलग जगहों पर हिजाब (Hijab) की मांग को लेकर खूब हंगामा हुआ. कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कई जगहों पर मुस्लिम संगठनों और छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए. यानी अब ये मामला एक राज्य के कुछ स्कूलों तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि धार्मिक कट्टरवाद की ये आग पूरे देश में फैल चुकी है.

बड़ी बैंच में रैफर हुआ हिजाब का मामला

इस मसले पर बुधवार को भी कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले पर विवाद बढ़ता देख सुनवाई के लिए बड़ी बेंच को रैफर कर दिया. यानी अब ये मामला हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस को सौंप दिया गया है और अब वही इस पर सुनवाई करेंगे.

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इस पूरे विवाद की जड़ में तीन बड़ी बातें हैं, जिन पर लगातार लोगों के बीच गलतफहमी पैदा की जा रही है.

पहली बात- ये मामला स्कूलों में यूनिफॉर्म से जुड़ा है. लेकिन एक खास विचारधारा के लोगों ने इसे हिजाब का मुद्दा बना दिया है.

– यानी जो बहस इस बात को लेकर थी कि स्कूलों में छात्रों के लिए एक समान यूनिफॉर्म होनी चाहिए या नहीं. उस बहस को एक खास एजेंडे के तहत हिजाब तक सीमित कर दिया गया है.

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दूसरी बात- भारत में किसी भी मुस्लिम महिला को हिजाब (Hijab) पहनने से नहीं रोका गया है. आज भी हमारे देश की मुस्लिम महिलाएं अपनी इच्छा अनुसार हिजाब, बुर्का या नकाब पहन सकती हैं. ये उनका संवैधानिक अधिकार है. विवाद इस बात पर है कि स्कूलों में छात्राएं धार्मिक परिधान में Classes अटेंड कर सकती हैं या नहीं. लेकिन इस मामले को ऐसे पेश किया जा रहा है कि जैसे भारत में मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनने से रोका जा रहा है.

तीसरी और सबसे ज़रूरी बात ये है कि- कर्नाटक की जिन मुस्लिम छात्राओं ने हिजाब पहनने की मांग को लेकर ये पूरी मुहिम शुरू की थी, वो सभी छात्राएं इससे पहले तक बिना हिजाब (Hijab) के स्कूल आ रही थीं. इसलिए यहां सवाल ये भी है कि पिछले एक महीने में ऐसा क्या हुआ कि ये छात्राएं अब स्कूलों में हिजाब पहनने की मांग को लेकर अड़ी हुई हैं?

हिजाब विवाद के पीछे क्या है बड़ी साजिश

इस समय Zee News की टीम, कर्नाटक के उन स्कूलों में मौजूद है, जहां से ये पूरा विवाद शुरू हुआ था. हमें ऐसे कई सबूत मिले हैं, जिससे पता चलता है कि इस मामले के पीछे ग़हरी साज़िश हो सकती है.

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बुधवार को एक तस्वीर और वायरल हुई. ये तस्वीर उडुपि के उसी सरकारी इंटर कॉलेज की थी, जहां पहली बार 6 मुस्लिम छात्राओं ने हिजाब (Hijab) पहन कर क्लास अटेंड करने की मांग की थी. इसमें आप उस मुस्लिम छात्रा को बिना हिजाब के देख सकते हैं, जिसने कर्नाटक हाई कोर्ट में हिजाब पहनने की मांग को लेकर याचिका दायर की है. यानी एक बात तो स्पष्ट है कि इस पूरे घटनाक्रम से पहले ये सभी मुस्लिम छात्राएं बिना हिजाब के अपने कॉलेज आ रही थीं और Classes भी अटेंड कर रही थीं.

पिछले 10 सालों से पढ़ रही मुस्लिम छात्राएं

हमारी टीम को ये भी पता चला कि इनमें से कुछ छात्राएं इस सरकारी कॉलेज में पिछले 10 वर्षों से पढ़ रही हैं. इन 10 वर्षों में इनकी तरफ़ से कभी भी हिजाब पहनने की मांग नहीं की गई और ये अब तक कॉलेज प्रबंधन द्वारा बनाए गए नियमों का पालन कर रही थीं. ये तस्वीर इस बात का सबसे बड़ा सबूत है.

अब दूसरा सबूत देखिए- जब किसी बच्चे का, किसी स्कूल में दाखिला कराया जाता है तो इस दौरान कई तरह के पेपर्स पर छात्र और उसके माता पिता द्वारा हस्ताक्षर करवाए जाते हैं. इन पेपर्स में एक Consent Form भी होता है, जिसमें ये सहमति ली जाती है कि स्कूल में पढ़ने वाले छात्र वहां बनाए गए सभी नियमों का पालन करेंगे और इनका उल्लंघन होने पर स्कूल प्रबंधन उचित कार्रवाई कर सकता है.

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– अब जो मुस्लिम छात्राएं, इस कॉलेज में हिजाब (Hijab) पहनने की मांग कर रही हैं, उन्होंने भी एक ऐसे ही Consent Form पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें  कुल 10 बातों पर इन छात्राओं से सहमति ली गई थी.

इसके आठवें पॉइंट में लिखा है कि सभी छात्रों को कॉलेज के नियमों का पालन करना होगा.

– और नौवें पॉइंट में लिखा है कि सभी छात्र तय यूनिफॉर्म और Identity Card के साथ ही स्कूल आएंगे.

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अक्टूबर 21 में शुरू हुई हिजाब की मांग

पिछले कई वर्षों से ये छात्राएं इन नियमों का पालन भी कर रही थीं लेकिन अचानक से इन्होंने हिजाब पहनने की मांग शुरू कर दी. इसी के साथ ये पूरा विवाद शुरू हो गया. इससे ये बात स्पष्ट है कि इस मामले के पीछे कोई तो है, जो पाठशालाओं को धर्म की प्रयोगशाला बनाना चाहता है.

हमने आज ऐसे कई सच खोद कर निकाले हैं, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगे.

– दरअसल, उडुपि के इंटर कॉलेजों में हिजाब को लेकर ये प्रदर्शन अक्टूबर 2021 में ही शुरु हो गए थे. उस समय कुछ मुस्लिम छात्राओं द्वारा क्लास में हिजाब पहनने की मांग की गई थी, जिसे वहां के प्रिंसिपल ने मानने से इनकार कर दिया था.

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मुस्लिम छात्राओं को उकसा रही SDPI

– बाद में इसमें Social Democratic Party of India यानी SDPI नाम की एक राजनीतिक पार्टी की एंट्री हुई, जिसने इस पूरे आन्दोलन को खड़ा करने में इन छात्राओं की मदद की. इसके अलावा SDPI की छात्र इकाई, Campus Front of India भी इस समय कर्नाटक में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों का आयोजन करा रही है और मुस्लिम छात्राओं को इसमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है.

आपके मन में सवाल होगा कि SDPI नाम की ये पार्टी इन स्कूलों पर इतनी हावी कैसे हो गई?

SDPI, उसी Popular Front of India यानी PFI का एक राजनीतिक संगठन है, जिस पर शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ कई महीनों तक चले आन्दोलन को फंडिंग करने का आरोप है. इसके अलावा NIA ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि दिल्ली दंगों में भी PFI की भूमिका थी. इस समय झारखंड में PFI पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है और केन्द्र सरकार भी इस पर विचार कर रही है.

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PFI की राजनीतिक शाखा है SDPI

अब आप सारी कड़ियों को जोड़ सकते हैं. ये कहानी शुरू होती है शाहीन बाग़ के आन्दोलन से, जिसे PFI द्वारा फंड करने का आरोप है. PFI का राजनीतिक संगठन SDPI कर्नाटक के कॉलेजों में हिजाब को लेकर मुस्लिम छात्राओं को उकसाता है. फिर धीरे धीरे ये मुहिम कर्नाटक से देश के अलग अलग राज्यों में फैल जाती है. जो मामला कर्नाटक के स्कूलों में ही सुलझा लिया जाना चाहिए था, उस पर बुधवार को शाहीन बाग़ में विरोध प्रदर्शन किया जाता है. इससे आप समझ सकते हैं कि कैसे भारत के टुकड़े टुकड़े करने के लिए स्कूलों को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है.

देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 2 हज़ार किलोमीटर दूर कर्नाटक के उडुपि में ज़बरदस्त तनाव है. उडुपि के लोग, लगातार ये सवाल पूछ रहे हैं कि जो मुस्लिम छात्राएं इतने वर्षों से बिना हिजाब के स्कूल और कॉलेजों में पढ़ रही थीं, उस मांग और उस मुद्दे ने साम्प्रदायिक रंग कैसे ले लिया?

जब हमने उडुपि के स्कूलों से सच खोद कर निकालने की कोशिश की तो हम हैरान रह गए. हमें पता चला कि हिजाब को लेकर जिन आन्दोलन ने 2022 में विस्तार लिया, उसकी स्क्रिप्ट अक्टूबर 2021 में ही लिखी जा चुकी थी.

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गर्ल्स कॉलेजों में हिजाब की मांग क्यों?

ये पूरा विषय हमें इसलिए भी परेशान कर रहा था, क्योंकि जो मुस्लिम छात्राएं, हिजाब पहनने की मांग कर रही हैं, उनका कहना है कि वो लड़कों के सामने बिना हिजाब के नहीं आ सकतीं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि जिन कॉलेजों में ये छात्राएं पढ़ती हैं, वो Girls College हैं. फिर सवाल है कि ये मांग उठी ही क्यों?

जब हम मामले की जड़ तक गए तो हमें पता चला कि कर्नाटक में सरकारी स्कूलों के चेयरमैन स्थानीय विधायक होते है. उडुपि के मौजूदा विधायक इस समय बीजेपी से हैं और राज्य में सरकार भी बीजेपी की है. इसलिए PFI की राजनीतिक विंग SDPI और छात्र ईकाई CFI ने इस मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया.

केरल में मजबूत है SDPI

केरल में PFI और उसकी राजनीतिक पार्टी SDPI की अच्छी मौजूदगी है. केरल से उडुपि की दूरी भी लगभग 100 किलोमीटर है. यानी समुद्र से लगने वाले इलाकों में PFI और SDPI की मजबूत पकड़ है और ये पकड़ खास तौर पर मुस्लिम इलाकों पर ज्यादा है. उडुपी में भी लगभग 10 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है और स्कूल में पढने वाले कई बच्चे भी अगले साल होने वाले कर्नाटक चुनाव और उसके बाद आम चुनाव में नए वोटर के रूप में हिस्सा लेंगे. इसी वजह से ये पूरा मामला एक साज़िश के तहत आग की तरह फैलाया जा रहा है. उडुपि से बीजेपी विधायक भी इसके पीछे षडयंत्र का शक जता चुके हैं.

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स्कूल जाने वाली मुस्लिम छात्राएं खुद से तब तक हिजाब पहनने का फैसला नहीं ले सकती, जब तक कि उनके घरवाले इसके लिए दबाव नहीं बनाते. जिस तरह इस मुद्दे को उछाला गया है और सिर्फ़ PU college में पढने वाले बच्चों के बीच ही विवाद छिड़ा है, इससे साफ है कि इस पुरे मुद्दे को किसी खास मकसद से हवा दी जा रही है.

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