चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट ने एनडीपीएस मामले में घिरे सीनियर अकाली नेता व पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में मजीठिया की गिरफ्तारी पर 31 जनवरी तक रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से सोमवार तक कोई कठोर कदम नहीं उठाने को कहा है। 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट मजीठिया की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा। बता दें, इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने मजीठिया की अग्रिम जमानत की मांग खारिज कर दी थी। जिसके बाद मजीठिया ने अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा मजीठिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई थी। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता पर संगीन आरोप हैं ऐसे में कस्टोडियल इंटेरोगेशन जरूरी है। सोमवार को जस्टिस लीजा गिल की बेंच के समक्ष मजीठिया की अग्रिम जमानत याचिका पर करीब तीन घंटे दोनों पक्षों के बीच कड़ी बहस हुई। हाई कोर्ट ने लंबी बहस के बाद और दोनों पक्षों को सुन एक बजे इस याचिका पर अपना फैसला रखते हुए कहा कि इस याचिका पर शाम चार बजे फैसला सुना दिया जाएगा। शाम चार बजे हाई कोर्ट ने मजीठिया की अग्रिम जमानत को खारिज किए जाने का फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले में कस्टोडियल इंटेरिगेशन जरूरी है, ऐसे में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है।
पंजाब सरकार की तरफ से कहा गया कि मजीठिया इस मामले की जांच में शामिल हो चुके हैं लेकिन वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। जिसके बाद कोर्ट ने मजीठिया की याचिका को खारिज कर दिया। इस पर चीमा की तरफ से आग्रह किया गया कि उनको सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए तीन दिन की अंतरिम सुरक्षा दी जाए। इस मामले में मजीठिया ने पहले मोहाली की जिला अदालत में याचिका दायर कर अग्रिम जमानत दिए जाने की मांग की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। मजीठिया ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अग्रिम जमानत मांगी थी। हाई कोर्ट ने 5 जनवरी को मजीठिया को अंतरिम जमानत देते हुए उन्हें जांच में शामिल होने के आदेश दिए थे।
पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि चाहे मजीठिया मामले की जांच में शामिल हो चुके हैं लेकिन वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।।बिक्रम सिंह मजीठिया की तरफ से जवाब दायर कर आरोप लगाया गया कि उनकी हिरासत मांगने का उद्देश्य किसी निष्पक्ष जांच के लिए नहीं बल्कि अपमान करने व हिरासत में यातना देना है।मजीठिया ने अपने जवाब में कहा कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा दिए गए बयानों के अंश से पता चलता है कि मामला दर्ज करने का एकमात्र उद्देश्य उसे हिरासत में लेना और उस पर थर्ड डिग्री टॉर्चर करना है। इसके अलावा अब तक की गई जांच स्पष्ट रूप से अपारदर्शी, पक्षपातपूर्ण, राजनीति से प्रेरित और गैर-पेशेवर है।
मजीठिया की ओर से हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर जांच में शामिल होने के संबंध में घटनाओं को रिकार्ड, व दस्तावेजों के साथ अतिरिक्त तथ्य पेश किए गए। मजीठिया ने 27 दिसंबर, 2021 को तत्कालीन डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय द्वारा जारी किए गए आदेश को भी रिकार्ड में रखा है, जो सब इंस्पेक्टर प्रिंस प्रीत सिंह को इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नत करने के लिए अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हैं। यह विशेष एसआइ एआइजी बलराज सिंह का बेटा है, जो सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय द्वारा वर्तमान मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी के प्रमुख हैं। इस प्रकार चट्टोपाध्याय द्वारा बलराज सिंह को सबसे अनुचित और पक्षपातपूर्ण तरीके से जांच करने के लिए पुरस्कृत किया गया।
शिअद नेता द्वारा यह भी कहा गया है कि सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज किए गए जगदीश सिंह उर्फ भोला के बयान से कहीं यह नहीं पता चलता है कि मजीठिया के साथ उसकी कभी कोई बातचीत हुई थी। यह एक तथ्य है कि जगदीश सिंह भोला एक निंदनीय और कठोर अपराधी है। धारा 161 सीआरपीसी के तहत उनके अधिकांश बयानों में कहा गया है कि उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया था । क्या पंजाब सरकार उसकी दलील को स्वीकार करती है जिस पर भरोसा किया जा रहा है? यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।