राघवनाथ झा ,दरभंगा :- संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है । अब ये केवल किताबी बाते रह गई है ।ऐसा भला मैं क्यो कह रहा हूँ सोचनीय विषय है । बिहार में 2005 से अब तक कुछ दिन छोड़ दे तो यंहा भाजपा जदयू गठबंधन की सरकार रही है । शिक्षा विभाग जदयू के अंदर में रहा है । एक कहावत चरितार्थ है *जब रोम जल रहा और नीरो वंसी बजा रहा था* बिहार से संस्कृत को जड़ मूल से समाप्त करने और उर्दू को बढ़ावा देने में लगा था वही दूसरी ओर माननीय सुशील मोदी जी के नेतृत्त्व में भाजपा वंसी बजा रही थी । अब हम आपलोगो को कुछ पूर्व स्मरणीय बात की याद दिलाता हूँ आपको सीधा स्मरण सब कुछ हो जाएगा –
● 2005 से (अगस्त2021) अब तक किसी संस्कृत के विद्वान को संस्कृत अकादमी का अध्यक्ष नही बनाया गया ।
●2005 से (अगस्त 2021)अब तक संस्कृत शिक्षा बोर्ड का अध्यक्ष संस्कृत के विद्वान के बदले डिग्रीधारी जदयू पदाधिकारी को बनाया गया है ।2005 से अब तक किसी ने मध्यमा की परीक्षा समय पर नही ली है। । जिस कारण संस्कृत के छात्रों की संख्या क्षीण होती जा रही है ।
●जब 2006 से नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति होने शुरू हुए फिर योग्यता क्या रखा गया स्मरण करेंगे तो घृणा भी करेंगे और हंसी भी आएगी । उर्दू शिक्षक के लिए उर्दू में स्नातक या आलिम की डिग्री बीएड के साथ वही संस्कृत शिक्षक के लिए स्नातक या शास्त्री की डिग्री अंग्रेजी सहित एवम बीएड । आलिम वाले बिना अंग्रेजी के उर्दू शिक्षक संस्कृत वाले अंग्रेजी के साथ । मुझे स्मरण है जब शास्त्री डिग्री वाले समस्या लेकर माननीय सुशील मोदी जी के पास गया तो उन्होंने बहुत सुंदर जबाब दिया था *शास्त्री डिग्री वाले पूजा पाठ करावेंगे कौन जानता था वही काम आज भगवान ने उन्हें दे दिया है*
● शास्त्री अंग्रेजी रहित डिग्री वाले नियोजन से वंचित रह गए ।लेकिन पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर होने के बाद आनन फानन में नियोजन नीति में 2010 में सुधार किया गया ।
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*अब कुछ वर्तमान की चर्चा कर लेते है देखते है किस तरह संस्कृत को समाप्त करने पर जदयू लगा है 73 सीट जितने के बाद भी भाजपा आंख में पट्टी बांध रखी है । सब कुछ जानने के बाद भी दो-दो विद्वान ,ईमानदार उपमुख्यमंत्री चुप है ।गिरिराज बाबू ,माननीय आरएसएस के चिंतक विद्वान माननीय राकेश सिन्हा जी ,श्री मान बचौल जी ,माननीय कामेश्वर चौपाल जी ,संजय सरावगी जीआदि किस मजबूरी में चुप है ।*
■प्रत्येक पंचायत में एक उच्चविद्यालय खोलने की निर्णय ली गयी उक्त विद्यालय से संस्कृत शिक्षक के पद को समाप्त कर दिया गया है ।उक्त विद्यालय में संस्कृत शिक्षक की बहाली नही होगी ।
■ डीएलएड में नामांकन उसी का होगा जो इंटर/स्नातक/मौलवी /आलिम डिग्री धारी है वंही संस्कृत विश्वविद्यालय से उपशास्त्री / शास्त्री डिग्री धारी का नामांकन नही होगा ।
■ किसी विश्वविद्यालय का कैबनेट सिंडिकेट होता है संस्कृत विश्वविद्यालय के कैबनेट सदस्य का नाम सुन ले ।अभी कैबनेट में कौन लोग है ।
1 कुलपति
2. प्रति कुलपति (जदयू से सम्बन्ध रखने वाले ,जाति का कूर्मि जिसका लाभ मिला और प्रतिकुलपति बन गए ।- मेकाले संस्कृत विश्वविद्यालय )
3.अध्यक्ष छात्र कल्याण
4. कुलानुशासक
5 प्रो.विनय कुमार चौधरी ,(जदयू विधायक सह दरभंगा जिला अध्यक्ष) समाज मे बुद्धिजीवी के रूप में प्रतिष्ठा
6.प्रो .दिलीप कुमार चौधरी (पूर्व जदयू एमएलसी ,जदयू नेता ) समाज मे बुद्धिजीवी के साथ जदयू के दबंग के रूप में विख्यात ।
7 श्री रूदल राय (नेता जदयू बेगूसराय)
8 .श्रीमती शकुंतला गुप्ता (नेता जदयू बेगूसराय )
9. श्री मनोज झा प्राचार्य राजकीय संस्कृत महा विद्यालय पटना सह जदयू नेता ।
10 .अजीत चौधरी भाजपा से सम्बद्ध
11.प्रो कन्हैया चौधरी भाजपा से सम्बद्ध ।
जितने भी जदयू भाजपा के पदाधिकारी सिंडिकेड में सदस्य है । किसी की चापलूसी करने में अक्षम ।
*अब यंही से नया खेल शुरू हो रहा है ।समुद्र मंथन के बाद जब अमृत की बटवारा हो रही थी उस समय भगवान की ऐसी लीला हुई कि सभी राक्षस अमृत के लिए कट मर गए ।*
कुलपति का तख्तापलट कर कुर्सी पर विराजमान कराने का दावा विश्वविद्यालय में अपने को मेंकाले समझने वाले कुलसचिव ने प्रतिकुलपति को बदनाम करने की चाहत से अपनी कार्ययोजना पर कार्य प्रारंभ कर दिया । कारण कुलपति से मैकाले साहब की नही बनती कुलपति के तख्ता पलटने के साथ साथ प्रतिकुलपति जी को कुलपति के पद पर बैठाने की झांसा देकर मेकाले कुलसचिव ने जदयू के कुछ नेता को एकत्रित किया । उनकी कार्ययोजना संस्कृत को समाप्त करने की है । अमृत वर्षा के समय की सेना का नेतृत्त्व करना प्रारम्भ कर दिया जिसमे कौन लोग है आप स्वम् समझ जायेंगे –
*★एक ऐसे महान व्यक्ति जो अपने नाम मे गर्व से डॉ लगाते है किसी ने सीधा पुकार दिया फिर गुस्सा हो जाते है तथा डॉ कहने पर मजबूर कर देते है ।कुछ जानकारों का कहना है कि माननीय लगभग 30 वर्षो से संस्कृत विश्वविद्यालय के जमीन पर कब्जा कर बैठे है ।जदयू में पदाधिकारी है ।
* दूसरे महानुभाव है पूर्व जदयू पदाधिकारी विश्वविद्यालय में नॉकरी करते थे एक दो बार अपने स्वजातिय वरीय नेता को आवास पर बुला लिए विश्वविद्यालय पर दबाब बना कर गलत प्रमोशन ,गलत एरियर का भुगतान प्राप्त कर लिया जो राशि कडोरो मे है ।
* तीसरे पूर्व जिला जदयू अध्यक्ष है जिन्हें जदयू के नेता ही *बिना पेंदी के लोटा* के नाम से पुकारते है । एक जदयू सिंडिकेट के सदस्य एक महाविद्यालय में UR है उन्हें हटवाकर स्वयं बनना चाहते है । लेकिन उस जदयू सदस्य के दबंगता के कारण उन्हें कोई हटाने का हिम्मत नही कर पा रहा है ।
* एक है एक और जदयू पूर्व जिला अध्यक्ष काफी सज्जन है ।सौम्य है लेकिन तकनीकी ज्ञान का कुछ अभाव है ।बुद्धि और ज्ञान , मोक्ष की प्राप्ति के लिए कुछ विशेष विद्वान के संसर्ग में आ गए है ।
*मेकाले साहब से ख्याति प्राप्त कुलसचिव ने आनन फानन में इन लोगो की गोपनीय बैठक बुलाई और कुलपति पर दबाब बनाने के लिए सिंडिकेट के सर्वसम्मति निर्णय के विरुद्ध कुलपति को एक ज्ञापन दिलाया ।*
*विश्वविद्यालय में मैकाले के नाम से प्रसिद्ध अंग्रेजी के प्रोफेसर और विश्वविद्यालय के कुलसचिव शिवरंज चतुर्वेदी को न कुलपति न ही प्रतिकुलपति का विश्वास जीत पा रहे है ।लेकिन प्रतिकुलपति के स्वजाति जदयू नेता को ये कहते कि मैथिल ब्राह्मण कुलपति को भगाना है नीतीश जी के स्वजाति को बैठाना है ।* किसी *लखनऊ के अतुल श्रीवास्तव का नाम लेते है हम और अभिमन्यु डील फाइनल कर दिए है 13-14 जून को ही कुलपति को हटाने के लिए 13 लाख जमा कर दिए है ।कौन है अतुल श्रीवास्तव किसी को मालूम नही ।*
लेकिन सूत्र बताते है कि प्रतिकुलपति कभी जातिवाद नही किये है उनके मित्र भूमिहार और ब्राह्मण दोनों है ।
*मैं पूर्व में सच मे कहा था राक्षस की अमृत लूट हो रही है ।*
*जब कोई ब्राह्मण मेकाले कुलसचिव से मिलने आता है तो वो कहते है वैसे चर्चा है कि प्रतिकुलपति विश्वविद्यालय में कुछ ही दिन के मेहमान है । प्रोफेसर शिवजतन ठाकुर ,राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त ,महान शिक्षाविद पटना उच्चन्यायालय में पीआईएल दर्ज कर रहे है जिसमे इनकी नियुक्ति को चाईलेंज करने जा रहे है ।उनका कहना है कि कुलपति ,प्रतिकुलपति की नियुक्ति में सुप्रीमकोर्ट के गाईडलाईन और विश्वविद्यालय अधिनियम का पालन नही किया गया है।*
*कब जागेंगे नीतीश मिश्रा ,गिरिराज बाबू ,सम्राट चौधरी ,नितिन नवीन जी ,राकेश बाबू,संजय सरावगी महोदय ,बौचौल जी संस्कृत में शपथ लेने वाले अशोक यादव जी आदि ।संस्कृत का चीरहरण हो रहा है ।सब देख रहे है*
निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए बिहार ,UP, MP के हर जिले से रिपोर्टर आमंत्रित हैं!
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