धनबाद में जज के हत्या के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को न्यायाधीशों की सुरक्षा के संबंध में उपाय करने के लिए कहा है. शीर्ष अदालत ने मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान यह भी साफ कर दिया है कि इस मुद्दे को केवल राज्यों के जिम्मे नहीं छोड़ा जाना चाहिए. इस दौरान कोर्ट ने न्यायाधीशों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी नहीं देने पर राज्यों को चेतावनी दी है. साथ ही कहा गया है कि एक हफ्ते के अंदर हलफनामा दायर नहीं करने वाले राज्यों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. अब तक आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल राज्यों ने जवाब दाखिल किया है.सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया है कि जज और कोर्ट की सुरक्षा के लिए राज्य की पुलिस बेहतर स्थिति में हैं क्योंकि खतरा ‘राज्य विशिष्ट’ होगा. उन्होंने कहा, ‘अच्छा होगा कि अदालतों की सुरक्षा राज्यों के पास ही रहे. क्योंकि इसमें स्थानीय पुलिस के साथ प्रतिदिन समन्वय की जरूरत होती है. समन्वय की दृष्टि से स्थानीय पुलिस की तैनाती की सलाह है.’
उन्होंने कहा कि इसे देश विशिष्ट होने के बजाए राज्य विशिष्ट होना चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि गृहमंत्रालय ने राज्यों को अदालतों और न्यायाधीशों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं. इस पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अगुआई वाली बेंच ने सवाल किया कि क्या केंद्र ने इस बात को सुनिश्चित किया है कि राज्य सरकारों की तरफ से दिशा-निर्देशों का पालन हो रहा है. सीजेआई ने कहा, ‘ये प्रशासनिक मुद्दे हैं, जिन पर आपको फैसला लेना है. हम आपको रास्ता नहीं दिखा सकते कि ये करें या वो करें. आपको राज्यों के साथ तय करना है
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सवाल यह है कि क्या इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है. और राज्य किस हद तक न्यायाधीशों, अदालत परिसरों को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं. आप केंद्र सरकार हैं. आप प्रत्येक राज्य के डीजीपी को कॉल कर सकते हैं, रिपोर्ट के लिए कॉल कर सकते हैं. आप इसे करने के लिए सबसे अच्छे व्यक्ति हैं. इसके जवाब में मेहता ने कहा कि वे दिशा-निर्देशों को लागू किए जाने के संबंध में राज्य डीजीपी और गृहसचिवों के साथ मीटिंग के लिए केंद्रीय गृहसचिव से बात करेंगे.