राजस्थान सरकार ने एक फरमान जारी करते हुए सभी राशन डीलर्स को ये सूचित किया है की अगर राशन डीलर्स किसी भी गरीब की गेहूं अगर किसी भी सरकारी कर्मचारी को देते है तो उनका लाइसेंस सस्पेंड कर दिया जाएगा, इसके साथ ही मामला गंभीर हुआ तो उसका लाइसेंस निरस्त भी किया जा सकता है. राजस्थान में 82 हजार ऐसे कर्मचारी हैं, जो गरीबों का गेहूं डकार चुके हैं. प्रदेश में ऐसे हजारों मामले सामने आए हैं जिनमें अपात्र सरकारी कर्मचारियों ने गरीबों का गेहूं राशन से ले लिया. इसकी जानकारी होने के बाद अब सरकारी कर्मचारियों से पैसे की वसूली हो रही है, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई हैं.
दरअसल राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में चयनित लाभार्थियों को दो रुपए किलो गेंहू सरकार की ओर से दिया जा रहा है. पिछले कुछ बरसों से सरकारी कर्मचारी गरीबों के हक का गेंहू एनएफएसए में फर्जी रजिस्टर्ड करवाकर उठा रहे थे. अकेले जोधपुर जिले में ढाई हजार कर्मचारियों ने गरीबों के हक का गेहूं डकार लिया.
जांच हुई तो कर्मचारियों से शुरू हुई वसूली
इस बीच खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति की ओर से जांच में प्रदेश में 82000 कर्मचारी ऐसे निकले जो गरीबों के हक का गेहूं योजना में फर्जी रजिस्ट्रेशन करा कर उठा रहे थे. अकेले जोधपुर में ही 2500 कर्मचारियों ने राशन का गेहूं उठा लिया. इस बीच 2500 कर्मचारियों से वसूली शुरू हो चुकी है अब तक 17 सौ कर्मचारियों से 1.90 करोड़ रुपए वसूल की जा चुके हैं.
अब कर्मचारियों पर कानून कार्रवाई की तलवार
बाकी कर्मचारियों को 31 दिसंबर तक 27 रुपये प्रति किलो के हिसाब से पैसे जमा कराने के आदेश जारी किए जा चुके हैं. अब कर्मचारियों पर कानूनी कार्रवाई की भी तलवार भी लटक गई है. गरीबों के हक का गेहूं उठाने वाले कर्मचारियों से वसूली तो हो ही रही है. वहीं विभाग ने जांच के बाद जारी नोटिस में फर्जी तरीके से गेहूं उठाने वालों पर वसूली के साथ कानूनी कार्रवाई की भी अनुशंसा की है.