रामविलास पासवान की विरासत की जंग अब खुल कर सामने आ गई है, विरासत की इस जंग में उनकी जयंती पर बेटे चिराग अपनी आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से सहानुभूति बटोरने के साथ साथ जमीनी शक्ति का भी प्रदर्शन करेंगे. इधर, पशुपति कुमार पारस अपने भाई रामविलास पासवान की जंयती के बहाने पटना में अपनी ताकत का एहसास कराने में जुटे हैं. दो-फाड़ हो चुकी पार्टी पर चिराग और पारस में किसकी कितनी गहरी पकड़ है, इसका विशलेषण तो आशीर्वाद यात्रा और जयंती के बाद किया जायेगा, लेकिन दोनों ने रामविलास पासवान की विरासत लोजपा पर अपना कब्जा करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.
चाचा के गढ़ में अपनी ताकत दिखायेंगे चिराग
चाचा पशुपति पारस जहां पटना में अपनी ताकत का एहसास कराने में जुटे हैं, वहीं भतीजा चाचा के संसदीय क्षेत्र हाजीपुर में अपनी ताकत दिखायेंगे. इसको लेकर चिराग के समर्थकों ने हाजीपुर के सुल्तानपुर गांव में आशीर्वाद यात्रा को लेकर बड़े-बड़े पोस्टर, झंडे लगाए गए हैं. आशीर्वाद यात्रा कार्यक्रम के दौरान मंच से चिराग पासवान लोगों को संबोधित करेंगे और यहीं से आशीर्वाद यात्रा का शुभारंभ करेंगे. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि चिराग ने अपनी यात्रा हाजीपुर से करने का फैसला कर के एक तीर से दो निशाना लगाया है.पहला, अपने पिता के परंपरागत वोटों को अपनी ओर गोलबंद करना, वहीं दूसरा चाचा के किले को भेदना. बताते चलें कि हाजीपुर रामविलास पासवान की कर्मभूमि रही है. रामविलास पासवान को यहां के लोगों ने कई वर्षो तक अपना नेता चुना है. चिराग की यात्रा अगर यहां पर सफल होती है, तो वे अपने वोटरों को यह संदेश देने में कामयाब हो जायेंगे कि उनके पिता के समर्थक उनको ही अपना उत्तराधिकारी मानते हैं. जो कि पाशुपति कुमार पारस के लिए एक परेशानी हो सकती है.
उनका मानना है कि अगर बिहार में माई के साथ पी (मुस्लिम- यादव और पासवान) का गठबंधन हो गया, तो बिहार में महागठबंधन को हराना मुश्किल हो जायेगा. चिराग को जहानाबाद के पूर्व सांसद और भारतीय सब लोग पार्टी के मुखिया अरुण कुमार का भी साथ मिल गया है. पूर्व सांसद अरुण कुमार ने इस बात का ऐलान भी कर दिया है. चिराग पासवान के समर्थन में वह पूरे बिहार में प्रचार-प्रसार करेंगे और उनकी पोजिशन को मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे. अरुण कुमार को सूरज भान के काट के रुप में भी देखा जा रहा है.
जयंती के बहाने शक्ति प्रदर्शन
इधर, पारस गुट की ओर से सोमवार को लोजपा के प्रदेश कार्यालय में सुबह 11 बजे से कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. पारस और पार्टी के सारे सीनियर नेताओं के भी इसमें उपस्थित रहेंगे. राम विलास पासवान की जयंती पर उनके वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए पशुपति पारस ने राजधानी पटना को पोस्टर से पाट दिया है. पारस गुट को अपने शक्ति प्रदर्शन के लिए जदयू का समर्थन प्राप्त है. हालांकि, इसका पारस गुट और जदयू दोनों खंडन करते हैं.
उधर, बीजेपी का समर्थन नहीं मिलने पर चिराग अकेले रहने या महागठबंधन का बुलावा स्वीकार करने का फैसला भी ले सकते हैं. कुल मिलाकर बिहार की राजनीति की आगे की दिशा तय करने में आज के दिन की बड़ी भूमिका होगी, यह तय लग रहा है. अब आगे-आगे देखिए, क्या होता है.