केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना एक राष्ट्र एक राशन कार्ड को लेकर आप सरकार के साथ तकरार जारी है। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना’ के अनुपालन को लेकर दिल्ली सरकार गुमराह कर रही है।
केंद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल कर कहा कि दिल्ली सरकार ने कोर्ट में ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना’ लागू करने का दावा किया है, वह गुमराह करने वाला है। केंद्र ने आरोप लगाया है कि सीमापुरी सर्किल में ही सिर्फ इस योजना को लागू किया गया है। इस सर्किल में 42 ईपीओएस (इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल) के जरिए कुछ लेनदेन हुए हैं। मालूम हो कि 11 जून को दिल्ली सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि दिल्ली में ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना’ को लागू कर दिया गया है।
केंद्र ने कहा है कि जब तक राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी लेनदेन को औपचारिक रूप से दिल्ली के सभी सर्किलों की सभी फेयर प्राइस शॉप (एफपीएस) या उचित मूल्य दुकानों में शुरू नहीं किया जाता है तब तक इसे ‘ एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना’ के कार्यान्वयन के रूप में नही देखा जा सकता है। कहा गया है कि 2000 से अधिक ईपीओएस मशीनों की आपूर्ति की गई है, जो अब तक ऑपरेशनल नहीं हो सका है। ऐसे में यह नहीं माना जा सकता कि दिल्ली में एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना लागू हो चुकी है।
प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रहा लाभ
केंद्र सरकार ने कहा है कि दिल्ली में रहने वाले प्रवासी मजदूरों में से बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सब्सिडी वाले अनाज की पहुंच से दूर हैं। दिल्ली में एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना लागू न होने से ये लोग सब्सिडी वाले अनाज का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
देश के 32 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में योजना लागू
केंद्र ने यह भी में कहा है कि दिसंबर 2020 तक देश भर के 32 राज्य ब केंद्र शासित प्रदेशों में एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना लागू हो चुकी है। यानी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आने वाले लाभार्थियों में से 85 फीसदी तक इसका लाभ पहुंचाया जा रहा है।
इन चार राज्यों ने लागू नहीं की
दिल्ली, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और असम ने अब तक यह योजना लागू नहीं की है। उम्मीद है कि ये चारों राज्य भी इस दिशा में काम करेगी क्योंकि इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों की है। केंद्र ने कहा है कि वह इस बात को लेकर प्रतिबद्ध है कि सभी राज्यों को सस्ती दर पर अनाज मिले, लेकिन वितरण की जिम्मेदारी राज्यों पर है। पीएम गरीब कल्याण योजना ने कोरोना वायरस संकट के बीच मुफ्त खाद्यान्न वितरण के लिए लगभग 80 करोड़ लोगों की पहचान की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जून को यह कहा था
सनद रहे कि गत 11 जून को प्रवासी श्रमिकों की समस्या से संबंधित स्वतः संज्ञान मामले पर सुनवाई के दौरान कहा सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी राज्यों को ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना’ को लागू करना चाहिए ताकि प्रवासी कामगारों को फायदा पहंच सके। सुप्रीम कोर्ट ने उस दिन पश्चिम बंगाल को तत्काल इस योजना को लागू करने के लिए कहा था।