कानून के विद्यार्थियों ने बीसीआई को भेजे ज्ञापन में कहा है कि वह लॉ यूनिवर्सिटीज को निर्देश दे कि वे अपनी परीक्षा प्रणाली में उचित बदलाव कर उन्हें राहत दें। यह ज्ञापन 2136 विद्यार्थियों ने बीसीआई को भेजा है। ये विद्यार्थी देश के नामचीन लॉ कॉलेजों जैसे-जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल, सिम्बायसिस यूनिवर्सिटी, गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नरसीमुंजी, दिल्ली यूनिवर्सिटी आदि के हैं।
इन विद्यार्थियों ने बताया कि कई कॉलेजों में कोरोना प्रभावित छात्रों को राहत देने के लिए दस्तावेज मांगे गए हैं। इसके लिए संबंधित विद्यार्थी की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट भी मांगी जा रही है। जबकि अक्सर जांच में रिपोर्ट निगटिव आती है, लेकिन परिवार में माता-पिता आदि के संक्रमित होने से वे भी प्रभावित हो जाते हैं। उनका कोरोना पीड़ित या एसिम्टोमैटिक के रूप में इलाज किया जाता है। ऐसे में पॉजिटिव रिपोर्ट व अन्य दस्तावेज मांगना अनुचित है।
कानून के विद्यार्थियों ने बीसीआई से आग्रह किया कि वह असाधारण हालातों को देखते हुए इस वर्ष की उनकी परीक्षा निरस्त करे और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर ही उनका परिणाम तैयार कर घोषित किया जाए। विभिन्न कॉलेजों में आंतरिक मूल्यांकन प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। उसमें टेस्ट, प्रोजेक्ट, मौखिक परीक्षा, प्रजेंटेशन आदि को आधार बनाया जाता है।