महाराष्ट्र में भयंकर तबाही मचाने के बाद ताऊ ते तूफान का खतरा अभी टला नहीं की समंदर से फिर एक नया खतरा जन्म ले लिया दरअसल बंगाल की खाड़ी मे उठने वाला नया तूफान यास जो बंगाल सहित पांच राज्यों में तबाही मचा सकता है, मौसम विभाग के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया बन गया है। 24 मई की सुबह तक इसे चक्रवात में बदलने की आशंका है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, चक्रवाती तूफान में तब्दील होकर यह उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ सकता है। इसके अलावा 26 मई की शाम तक पश्चिम बंगाल-ओडिशा के तटों तक पहुंच सकता है।
तय समय पर अंडमान पहुंचा मानसून
- मानसून ने तय समय पर शुक्रवार को अंडमान-निकोबार में दस्तक दे दी है। 28 मई तक ये केरल पहुंच सकता है। इससे पहले दक्षिण पश्चिम मानसून बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पश्चिम के अधिकांश हिस्से से आगे बढ़ गया। अब मानसून बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्वी के अधिकतर हिस्से, बंगाल की खाड़ी के पूर्वी मध्य और पूरे अंडमान सागर और अंडमान द्वीप समूह पर पहुंच गया है।
- मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, अरब सागर से उठा ताऊ ते तूफान अपने साथ मानसूनी हवाओं को भी समय से पहले भारत तक खींच लाया है। इसके पहले भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उम्मीद जताई थी कि तय समय से एक दिन पहले यानी 31 मई को मानसून केरल पहुंच सकता है। इसके साथ ही इस बार देश में मानसून सामान्य रहने की उम्मीद बढ़ गई है।
बंगाल और ओडिशा पर सबसे ज्यादा असर
तूफान को लेकर पहले से ही आंध्र प्रदेश, ओडीशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और अंडमान-निकोबार में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। इसका सबसे ज्यादा असर बंगाल और ओडिशा पर पड़ेगा। अंडमान और निकोबार और पूर्वी तट के कुछ इलाकों में तेज बारिश होने की संभावना है। इससे बाढ़ का खतरा भी बन सकता है। 25-26 मई के बीच उड़ीसा, 26 मई को झारखंड, सिक्किम, बंगाल के हिमालयी इलाकों और 25 – 26 मई को पश्चिम बंगाल के गंगा नदी के इलाकों बारिश हो सकती है। इधर, ओडिशा सरकार ने तूफान के संभावित खतरे को देखते हुए अपने 30 से 40 जिलों को अलर्ट जारी कर दिया है।
कोस्टगार्ड समेत डॉक्टरों की टीम और एंबुलेंस स्टैंडबाय पर
कोस्ट गार्ड, डिजास्टर रिलिफ टीम (DRTs), इन्फ्लेटेबल बोट, लाइफबॉय और लाइफजैकेट, इसके अलावा डॉक्टरों की टीम और एंबुलेंस को स्टैंडबाय पर रखा है। पोर्ट अथॉरिटी, ऑयल रिग ऑपरेटर्स, शिपिंग- फिशरीस अथॉरिटी और मछुआरे संघों को चक्रवात को लेकर जानकारी दे दी गई है।
मछुआरों को चेतावनी जारी की गई
- मछुआरों के लिए चेतावनी जारी की गई है। इसमें बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी और पूर्वी-मध्य, अंडमान सागर और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की ओर 22 से 24 मई के बीच न जाने की सलाह दी गई है। इसके अलावा 23 से 25 मई तक बंगाल की मध्य खाड़ी और 24 से 26 मई के बीच पश्चिम बंगाल समेत ओडिशा और बांग्लादेश के तटों की ओर जाने से मना किया है। साथ ही जो मछुआरे समुद्र के बीच में हैं, उन्हें लौटने की सलाह दी जा रही है।
- पूर्वी तटों पर मछली पकड़ने पर रोक लगा दी है। कोस्ट गार्ड डोर्नियर एयरक्राफ्ट और शिप भी समुद्र में काम कर रहे मछुआरों को मौसम से जुड़ी जानकारी प्रसारित कर रहे हैं। इसके अलावा उन्हें पास के बंदरगाह पर लौटने के निर्देश दिए जा रहे हैं। ICG की तरफ से आसपास के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बंदरगाहों पर मौजूद लोगों की जानकारी रखने की अपील की गई है।
- लगातार मौसम पर रखी जा रही निगरानी
ICG के प्रवक्ता के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी में मौसम पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के अलावा अंडमान और निकोबार द्वीपों में आईसीजी रिमोट ऑपरेटिंग स्टेशन (ROS) की मदद से अलर्ट भेजे जा रहे हैं।
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#Pre-emptive measures for likely #CycloneYaas continues. @IndiaCoastGuard ships and aircraft on East coast relayed weather warning to mariners & fishermen at sea. Shipping, Ports, fisheries, Oil rigs and other shore authorities also informed about likelihood of cyclone. pic.twitter.com/c8bdoOVXS7
— Indian Coast Guard (@IndiaCoastGuard) May 21, 2021
केंद्र ने 5 राज्यों को जारी की गाइडलाइन
- इमरजेंसी कमांड सिस्टम और इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर और कंट्रोल रूम को तुरंत एक्टिव करें। नोडल अफसर तैनात करें और उसकी कॉन्टैक्ट डिटेल स्वास्थ्य मंत्रालय को उपलब्ध कराएं।
- तटवर्ती राज्यों के सभी जिलों में हॉस्पिटल डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान को शुरू कर दें। इन जिलों के अस्पतालों में आपातकालीन स्थितियों के लिहाज से तैयारियों का रिव्यू भी कर लिया जाए।
- जो इलाके तूफान के रास्ते में आ रहे हैं, वहां के सामुदायिक चिकित्सा केंद्रों और अस्पतालों से मरीजों की ऊंचाई वाले इलाकों के बड़े अस्पतालों में शिफ्टिंग का एडवांस प्लान तैयार कर लें।
- कोविड मैनेजमेंट के लिए निगरानी यूनिट, स्वास्थ्य टीमों को भी महामारी के अलावा डेंगू, मलेरिया, सर्दी-खांसी, चेचक जैसी बीमारियों के लिए तैयार रहने को कहें।
- तूफान प्रभावित इलाकों में सभी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में, इनमें कोविड सेंटर्स भी शामिल हैं, पर्याप्त मैन पावर होनी चाहिए। ये सभी केंद्र पूरी तरह से फंक्शनल होने चाहिए। मैन पावर की कमी को प्रभावित न होने वाले जिलों से पूरा कर लिया जाए।
- प्रभावित इलाकों के अस्पतालों, लैब और वैक्सीन कोल्ड चेन, ऑक्सीजन प्रोडक्शन यूनिट और दूसरी सपोर्टिव मेडिकल फैसिलिटीज में पर्याप्त पावर बैकअप हो। इसके अलावा इन अस्पतालों में बिजली-पानी और ईंधन की भी पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
- तेज हवाओं और भारी बारिश के कारण आवागमन प्रभावित हो सकता है। इमरजेंसी को ध्यान में रखते हुए जरूरी दवाओं का स्टॉक पहले से जमा कर लें। ORS, क्लोरीन टैबलेट, ब्लीचिंग पाउडर और कोरोना के इलाज में लगने वाले दूसरे ड्रग की व्यवस्था कर ली जाए। कोविड और नॉन कोविड, दोनों तरह के अस्पतालों के लिए ये कदम जरूरी हैं।