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संघ का सरकार पर निशाना, कोरोना का ठीकरा फोडा सरकार और प्रशासन पर जानिए क्या कहाँ मोहन भागवत ने..

संघ और सरकार दोनो ही एक दूसरे के पहले है लेकिन संघ की खरी-खरी जब सरकार को सुननी पडे तो ताजुब् होने लगता है, मोहन भागवत ने जिस प्रकार मोदी सरकार को कोरोना काल मे लापरवाह बताते हुए तंज कसा है वो दिखाता है कि किस प्रकार संघ ने सरकार को असलियत का आईना दिखाया हैं कोरोना के बीच ‘हम जीतेंगे: पॉजिटिविटी अनलिमिटेड’ लेक्चर सीरीज के आखिरी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख माेहन भागवत ने शनिवार को कहा है वर्तमान परिस्थिति कठिन है। नि‍राश करने वाली है, लेकिन नकारात्मक नहीं होना है। मन को भी नकारात्मक नहीं रखना है। हम जीतेंगे यह बात भी निश्चित है। लेकिन थोड़ा सी गफलत हुई। शासन-प्रशासन, लोग सभी गफलत में आ गए। इसलिए दूसरी लहर आई। अब तीसरी लहर की बात हो रही है, तो बैठना नहीं लड़ना है। जब तक जीत न जाएं तब तक।गुजरात में संघ की बैठक शुरू, मोदी कैबिनेट-पांच राज्यों के चुनाव समेत इन  एजेंडों पर चर्चा | RSS three day coordination meeting Ahmedabad Gujarat  election| TV9 Bharatvarsh

मोहन भागवत के स्पीच की 9 अहम बातें…

1. अभी अपने आपको संभालने का वक्त है
अभी सकारात्मकता पर बात करना बहुत कठिन है, क्योंकि समय बहुत कठिन चल रहा है। अनेक परिवारों में कोई अपने, कोई आत्मीय बिछड़ गए हैं। अनेक परिवारों में तो भरण-पोषण करने वाला ही चला गया। 10 दिन में जो था, वह नहीं था हो गया। अपनों के जाने का दुख और भविष्य में खड़ी होने वाली समस्याओं की चिंता, ऐसी दुविधा में तो परामर्श देने के बजाए पहले सांत्वना देना चाहिए। यह सांत्वना के परे दुख है। इसमें तो अपने आपको ही संभालना पड़ता है।RSS स्थापना दिवस: भागवत को याद आए गांधी, कहा - भारत एक बार फिर बनेगा  विश्वगुरू - Kohram Hindi News

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2. हमें अभी नकारात्मकता नहीं चाहिए
इस समय संघ के स्वयंसेवक समाज की जरूरतें पूरी करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार सक्रिय हैं। ये कठिन समय है। अपने लोग चले गए। उन्हें ऐसे असमय नहीं जाना था। परंतु अब तो कुछ नहीं कर सकते। अब तो इस परिस्थिति में हम हैं। जो चले गए, वे तो चले गए। उन्हें इस परिस्थिति का सामना नहीं करना है, हमें करना है। हमें अपने आपको, सभी को सुरक्षित रखना है। इसलिए हमें नकारात्मकता नहीं चाहिए। सब कुछ ठीक है, ऐसा हम नहीं कह रहे हैं। परिस्थिति दुखमय है। मनुष्य को व्याकुल और निराश करने वाली है।Mohan Bhagwat: संघ प्रमुख भागवत ने सरकार की सराहना की तो नसीहत भी दी -  dussehra 2017: rss chief mohan bhagwat praised modi government but warned  for some points | Navbharat Times

3. मन थक गया तो सांप के सामने चूहे जैसी स्थिति हो जाएगी
सबसे पहले बात मन की है। मन अगर हमारा थक गया, हार गया तो सांप के सामने चूहे जैसा हो जाता है, अपने बचाव के लिए कुछ करता नहीं, ऐसी हमारी स्थिति हो जाएगी। हमें ऐसी स्थिति नहीं होने देनी है। हम कर रहे हैं। जितना दुख है उतनी ही आशा है। समाज पर संकट है। यह निराशा की परिस्थिति नहीं है। लड़ने की परिस्थिति है। क्या ये निराशा, रोज 10-5 अपरिचित लोगों के जाने के समाचार सुनना, मीडिया के माध्यम से परिस्थिति बहुत विकराल है इसका घोष सुनना, ये हमारे मन को कटु बनाएगा। ऐसा होने से विनाश ही होगा। ऐसी मुश्किलों को लांघकर मानवता आगे बढ़ी है।

4. जीवन-मरण का चक्र चलता रहता है
विपत्ति आती है तो हमारी प्रवृत्ति क्या होती है। हम जानते हैं कि ये जीवन-मरण का चक्र चलता रहता है। मनुष्य पुराना शरीर छोड़कर नया शरीर धारण करता है। हम ऐसा मानने वाले लोग हैं। हमें ये बातें डरा नहीं सकतीं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने चर्चिल। उनकी टेबल पर एक वाक्य लिखा रहता था। हम हार की चर्चा में बिल्कुल रुचि नहीं रखते, क्योंकि हमारी हार नहीं होने वाली। हमें जीतना है। चर्चिल जीते भी। इसी भरोसे से ब्रिटेन की जनता ने शत्रु को परास्त किया। वे निराश नहीं हुए।MP: union chief mohan bhagwat on bhopal visit, know what issues are  discussed with officials

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5. हमारी गफलत की वजह से संकट आया
हमें भी संकल्प करके इस चुनौती से लड़ना है। संपूर्ण विजय पाने तक प्रयास करना है। पहली लहर जाने के बाद हम सब जरा गफलत में आ गए। क्या जनता, क्या शासन, क्या प्रशासन। डॉक्टर लोग इशारा दे रहे थे। फिर भी थोड़ी गफलत में आ गए। इसलिए ये संकट खड़ा हुआ। अब तीसरी लहर की चर्चा है। इससे डर जाएं क्या? डरना नहीं है। उससे लड़ने की तैयारी करनी है। इसी की जरूरत है। समुद्र मंथन के समय कितने ही रत्न निकले। उनके आकर्षण से प्रयास नहीं रुके। हलाहल से भी प्रयास नहीं रुके। अमृत प्राप्ति होने तक प्रयास होते रहे।

6. हमें मिलकर काम करना है
सारे भेद भूलकर, गुण दोष की चर्चा छोड़कर सभी को मिलकर काम करना है। देर से जागे तो कोई बात नहीं। सामूहिकता के बल पर हम अपनी गति बढ़ाकर आगे निकल सकते हैं। निकलना चाहिए। कैसे करना है। पहले अपने को ठीक रखें। इसके लिए जरूरी है -संकल्प की मजबूती। दूसरी बात है सजग रहना। सजग रहकर ही अच्छा बचाव हो सकता है। शुद्ध आहार लेना जरूरी है, लेकिन इसकी सही जानकारी लेना है। कोई कहता है, इसलिए नहीं मान लेना है। अपना अनुभव और उसके पीछे के वैज्ञानिक तर्क की परीक्षा करना चाहिए। हमारी तरफ से कोई बेसिरपैर की बात समाज में न जाए। समाज में चल रही है तो हम बलि न बनेंSangh chief Mohan Bhagwat said in Prayagraj Swayamsevaks dedicate  themselves to a self-reliant India

7. खाली नहीं रहना है, कुछ सीखते रहिए
सावधानी रखकर ऐसे उपचार और आहार का सेवन करना है। विहार का भी ध्यान रखना है। खाली मत रहिए, कुछ नया सीखिए। परिवार के साथ गपशप कीजिए। बच्चों के साथ संवाद कीजिए। मास्क पहनना है। पर्याप्त अंतर पर रहकर एक दूसरे से संबंध रखना अनिवार्य है। वैसे ही सफाई का ध्यान रखना। सैनिटाइजर इस्तेमाल करते रहना। सारी बातें मालूम हैं हमें, लेकिन अनदेखी होती है, असावधानी होती है। कुछ लोग कोरोना की पॉजिटिविटी बदनामी मानकर छिपाकर रखते हैं। जल्दी इलाज नहीं कराते। समय पर इलाज होता है तो कम दवाओं में ही इस बीमारी से बाहर आ सकते हैं।

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8. यह हमारे धैर्य की परीक्षा है
आने वाली परिस्थिति की चर्चा हो रही है, यह पैनिक क्रिएट करने के लिए नहीं है। वह तो आगाह किया जा रहा है तैयारी के लिए। नियम के साथ चलें। ऐसा हम करेंगे तो आगे बढ़ेंगे। कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, ऐसा देश है हमारा। कठिन जंग लड़नी होगी। जीतनी होगी। जो परिस्थिति आई है, यह हमारे सद्गुणों की परख करेगी। हमारे दोषों को भी दिखा देगी। दोषों को दूर करके, सद्गुणों को बढ़ाकर यह परिस्थिति ही हमें प्रशिक्षित करेगी। यह हमारे धैर्य की परीक्षा है। याद रखिए यश अपयश का खेल चलते रहता है।Coronavirus: RSS chief Mohan Bhagwat tests COVID-19 positive, hospitalised  in Nagpur | Coronavirus: संघ प्रमुख मोहन भागवत कोविड-19 से संक्रमित,  अस्पताल में भर्ती | Hindi News, देश,

9. बच्चे पिछड़ न जाएं, इसकी चिंता करनी है
बच्चों की शिक्षा पिछड़ने का यह दूसरा वर्ष होगा। अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम से, उनकी परीक्षा होगी या नहीं, प्रमोट होंगे या नहीं, इसकी चिंता छोड़कर, वे जो ज्ञान 2 साल में प्राप्त करने वाले थे, उसमें पिछड़ न जाएं, समाज के तौर पर इतनी चिंता हमें करनी चाहिए। कई लोगों का रोजगार चला गया है। रोज काम करके कमाने वाले भूखे न रहें। उनकी सुध लेनी है।

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