सुप्रीम कोर्ट के निशाने पर रही केंद्र सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट को ही नसीहत दे डाली है। सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर केंद्र से नेशनल प्लान मांगा था, लेकिन केंद्र ने अड़ियल रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट को ही सलाह दे दी। महामारी से निपटने की नीतियों को लेकर कोर्ट के सवालों पर केंद्र ने रविवार को जो हलफनामा (एफिडेविट) पेश किया है, उसकी डिटेल सोमवार को सामने आई। एफिडेविट में कहा गया है कि देश की स्ट्रैटजी पूरी तरह एक्सपर्ट मेडिकल और साइंटिफिक ओपिनियन के आधार पर चल रही है। इसमें न्यायिक दखल की गुंजाइश बेहद कम है।
केंद्र सरकार ने इस हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि नेक नीयत से अति उत्साह में की जा रही दखलंदाजी के अनचाहे और अप्रत्याशित नतीजे हो सकते हैं। किसी एक्सपर्ट सलाह या एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपीरियंस के बिना नए समाधानों की गुंजाइश कम है।
केंद्र ने वैक्सीन की कीमतों को लेकर कहा है कि यह सिर्फ किफायती ही नहीं बल्कि पूरे देश में एक समान है। साथ ही कहा कि कुछ राज्यों ने 18-45 साल की उम्र के लोगों को फ्री वैक्सीन लगाने का ऐलान किया है। दरअसल कोर्ट ने पिछले हफ्ते केंद्र से कहा था कि वैक्सीन की कीमतों पर फिर से विचार किया जाए। क्योंकि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और प्राइवेट अस्पतालों के लिए सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन की कीमतों में काफी फर्क है।
एफिडेविट लीक होने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई
चुनाव, कुंभ और ऑक्सीजन सप्लाई जैसे 21 मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इन मामलों पर सरकारी एफिडेविट मीडिया तक पहुंचने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने रविवार देर रात ऐफिडेविट सुप्रीम कोर्ट पहुंचाया था। यह सोमवार सुबह 10 बजे हमें मिला, लेकिन मीडिया के पास ये रात में ही पहुंच गया था।
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सफाई देते हुए कहा कि राज्यों को भी हमने अपना हलफनामा भेजा था। वहां से कोई गड़बड़ हुई होगी। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हम वैक्सीनेशन और हॉस्पिटलाइजेशन पॉलिसी पर केंद्र के एफिडेविट को पढ़ेंगे। इसके बाद अदालत ने सुनवाई गुरुवार तक टाल दी।