रावत ने कहा है कि कुंभ और मरकज की तुलना करना गलत है। रावत के मुताबिक पिछले साल दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से कोरोना बंद कमरे से फैला, क्योंकि वहां सभी लोग एक कमरे में थे, जबकि हरिद्वार में कुंभ क्षेत्र नीलकंठ और देवप्रयाग तक खुले वातावरण में है।
कुंभ में उमड़ी लाखों की भीड़ और कोरोना गाइडलाइन का पालन न होने पर उठ रहे सवालों पर रावत ने कहा, ‘हरिद्वार में 16 से ज्यादा घाट हैं। इसकी तुलना मरकज से नहीं की जा सकती।’ बता दें कि कुंभ में बुधवार को तीसरा शाही स्नान चल रहा है। इससे पहले सोमवार को हुए शाही स्नान के दौरान कोरोना गाइडलाइंस का पालन नहीं हुआ था।सोमवार के शाही स्नान में 35 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। इनमें से 18,169 लोगों की जांच हुई, जिनमें 102 संक्रमित मिले। प्रशासन का दावा है कि कुंभ क्षेत्र में उन्हीं श्रद्धालुओं को एंट्री दी जा रही है, जिनके पास RT-PCR निगेटिव रिपोर्ट है। लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। केंद्र सरकार पहले ही कह चुकी है कि कुंभ कोरोना का सुपर स्प्रेडर बन सकता है। राज्य को सावधानी रखनी चाहिए।
शिवसेना, AAP , NCP और कांग्रेस ने उठाए सवाल
शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि कुंभ से लौटने वाले लोग कोरोना के स्प्रेडर बन सकते हैं। राउत का कहना है कि शिवसेना की सरकार को त्योहारों पर प्रतिबंध लगाने का दुख है, लेकिन लोगों की जिंदगी बचाने के लिए यह जरूरी है। वहीं महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और NCP प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि कुंभ और चुनावी रैलियों के चलते महामारी की स्थिति और बिगड़ेगी। कांग्रेस नेता और मंत्री असलम शेख का कहना है कि राज्य सरकार को हरिद्वार से लौटने वालों के लिए गाइडलाइन तय करनी होंगी।