अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के कर्मचारियों से दंगा करने करने व सरकारी संपत्ति को नुकसान पंहुचाने के मामले में दोषी ठहराए गए आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक सोमनाथ भारती को मिली दो वर्ष की सजा को बरकरार रखा है। राऊज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विकास डल्ल ने इसके साथ ही विधायक भारती को हिरासत में लेकर जेल भेजने का निर्देश दिया है। अदालत ने भारती को धारा 323 व 353 के तहत मिली सजा से राहत प्रदान की है।अदालत ने अपने 42 पृष्ठों के फैसले में भारती के उस तर्क को खारिज कर दिया कि उनको मामले में फर्जी तरीके से फंसाया गया है। अदालत ने कहा कि पेश दस्तावेजों व साक्ष्यों से स्पष्ट है कि भारती ने जेसीबी से एम्स की दीवार को तोड़ा था जबकि उक्त दीवार को बनाने के लिए बकायदा एमसीडी से मंजूरी ली गई थी।अदालत ने भारती के उस तर्क को भी खारिज कर दिया कि उन पर करीब 300 लोगों को एकत्रित कर उनको भड़काया गया और मात्र पांच लोगों को ही आरोपी बनाया गया। वहीं निचली अदालत ने अन्य सभी को बरी कर दिया।
अदालत ने कहा कि भीड़ में से उन लोगों की पहचान हुई थी और निचली अदालत ने जिन्हें बरी किया है उनके खिलाफ अभियोजन पक्ष ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर पाया। ऐसे में निचली अदालत का उनको बरी करने संबंधी फैसला उचित है। अदालत ने कहा कि सभी तथ्यों के आधार पर ही निचली अदालत ने फैसला दिया था। इस मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट के एसीएमएम की अदालत में 22 जनवरी को दोषी ठहराया था और 23 जनवरी को सजा दी थी। विधायक भारती ने सजा के खिलाफ सत्र अदालत में अपील की थी।सत्र अदालत भारती के अपील को आंशिक संशोधन करते हुए ठोस साक्ष्य के अभाव में छोटी सजा को निरस्त कर दिया लेकिन सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और दंगा करने के आरोप में मिली दो वर्ष की सजा को बरकरार रखा है। उन दोनों धाराओं के तहत मिली सजा के अनुसार सोमनाथ भारती को दो साल जेल में रहना होगा और उन्हें एक लाख एक हजार रुपए जुर्माना भरना होगा। जुर्माने की राशि से 75 हजार रुपए एम्स को देनी है।यह मामला 2016 का है। पेश मामले में आप विधायक सोमनाथ भारती के खिलाफ 9 सितंबर 2016 को एम्स के मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने हौजखास थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। सुरक्षा अधिकारी का आरोप था कि भारती अपने करीब 300 समर्थकों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और वहां बनी दीवार को तोड़ दिया और हंगामा किया था।