आज से लेकर महीने के अंत तक केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ समाज के विभिन्न वर्गों के आंदोलन और विरोध प्रदर्शन आयोजित होने जा रहे हैं। इस दौरान किसानों के साथ-साथ बैंक कर्मचारियों, पीएसयू कर्मचारियों, श्रमिक संगठनों के कई विरोध प्रदर्शन होंगे। सबसे अंत में किसानों ने 24-25 मार्च को केंद्र की नीतियों के विरोध में गांव-तहसीलों में प्रदर्शन, 26 मार्च को भारत बंद और 28 मार्च को होलिका दहन के दिन कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने का निर्णय लिया है।
बैंकिंग संस्थाओं के कर्मचारियों की शीर्ष संस्था यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने 15-16 मार्च को केंद्र की बैंकिंग नीतियों के विरोध में प्रदर्शन करने का फैसला लिया है और इन दोनों दिन सरकारी बैंकों में कोई कामकाज नहीं होंगे। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडेरेशन ने भी इस विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है। जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (GIC) के कर्मचारियों ने 17 मार्च को देशव्यापी प्रदर्शन करने का फैसला लिया हैस तो लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) के कर्मचारी 18 मार्च को विरोध प्रदर्शन करेंगे।
पीएसयू कर्मचारियों का 16 मार्च को विरोध प्रदर्शन
सरकार पीएसयू कंपनियों के विनिवेश की तैयारी कर रही है। इन कंपनियों के कर्मचारी इस निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। सरकार की नीतियों के विरोध में पीएसयू कंपनियों के कर्मचारियों के संगठन नेशनल कॉन्फेडेरेशन ऑफ ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रमुख अधिकारी आलोक रॉय ने कहा कि सरकार की नीतियों के विरोध में हम 16 मार्च को राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए इस बार काम के बहिष्कार का फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन अगर सरकार अपने रुख पर अड़ी रहती है, तो वे इस पर भी विचार कर सकते हैं।
किसानों का यह है कार्यक्रम
आज से किसान पांच चुनावी राज्यों में भाजपा के विरोध में लोगों में जनजागृति अभियान भी शुरू कर रहे हैं। इसमें किसानों से भाजपा को छोड़ बाकी किसी भी दल को वोट देने के लिए कहा जाएगा। 15 मार्च को पेट्रोल-डीजल कीमतों में वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें ट्रांसपोर्टर भी शामिल हो सकते हैं। 19 मार्च को मंडी बचाओ, खेती बचाओ दिवस मनाया जाएगा। 24-25 मार्च को तहसील-जिला स्तर पर कृषि कानूनों का विरोध किया जाएगा।
26 मार्च को किसानों के आंदोलन के चार महीने पूरे हो जाएंगे। इसलिए वे 26 मार्च को एक बार फिर भारत बंद का आयोजन करेंगे। 28 मार्च को होलिका दहन के समय किसान कृषि कानूनों की प्रतियां जलाएंगे।
क्यों कर रहे विरोध
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के महासचिव सौम्या दत्ता ने बताया कि केंद्र सरकार सरकारी बैंकों के निजीकरण की ओर बढ़ रही है। इसे वह बैंकिंग संस्थाओं की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक बताती है, और इसके लिए अनेक बैंकों का विलय कर उन्हें एक बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि सरकारी बैंकों की स्थिति केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण खराब होती है।
सरकारी बैंकों को सरकार की ऐसी योजनाओं में भी कर्ज देना पड़ता है, जो बैंकों की आर्थिक स्थिति की दृष्टि से अलाभकारी हैं। प्राइवेट बैंक केवल लाभ की दृष्टि से काम करते हैं, जबकि सरकारी बैंक ऐसे क्षेत्रों में भी काम करते हैं, जो आर्थिक दृष्टि से पूरी तरह हानि का सौदा होता है। लेकिन जनता के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए हमें यह काम करना पड़ता है। इसीलिए सरकार का यह कदम जनहित में नहीं है और वे इसका विरोध कर रहे हैं।
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