यह सरकार की नहीं, बल्कि देश की शिक्षा नीति है
नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों के सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम संबोधित किया। इस दौरान पीएम ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक शिक्षा और स्किल्स दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी। वहीं, राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा व्यवस्था में किए जा रहे बुनियादी बदलावों में शिक्षकों की केन्द्रीय भूमिका रहेगी। शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का विषय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बदलावों में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की भूमिका’ रखा गया है। इसमें सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री, विश्वविद्यालयों के कुलपति भाग ले रहे हैं।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये शिक्षा नीति, सरकार की शिक्षा नीति नहीं है। ये देश की शिक्षा नीति है। जैसे विदेश नीति देश की नीति होती है, रक्षा नीति देश की नीति होती है, वैसे ही शिक्षा नीति भी देश की ही नीति है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भविष्य को ध्यान में रखते हुए व्यापक प्रावधान किए गए है। जैसे-जैसे तकनीक का विस्तार गांवों तक हो रहा है। वैसे-वैसे सूचना और शिक्षा का एक्सेस भी बढ़ रहा है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम हर कॉलेज में तकनीकी सॉल्यूशंस को ज्यादा प्रमोट करें।
21वीं सदी के भारत को नई दिशा मिलेगी
उन्होंने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ पढ़ाई के तौर तरीकों में बदलाव के लिए ही नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के सामाजिक और आर्थिक पक्ष को नई दिशा देने वाली है। ये आत्मनिर्भर भारत के संकल्प और सामर्थ्य को आकार देने वाली है। गांव में कोई शिक्षक हो या फिर बड़े-बड़े शिक्षाविद, सबको राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अपनी शिक्षा शिक्षा नीति लग रही है। सभी के मन में एक भावना है कि पहले की शिक्षा नीति में यही सुधार मैं होते हुए देखना चाहता था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्वीकारता की बड़ी वजह यही है: पीएम मोदी