भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अमरीका की प्रतिष्ठित टाइम मैगज़ीन में छपे एक लेख को लेकर फ़ेसबुक के संस्थापक मार्क ज़करबर्ग को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है.
दरअसल 27 अगस्त 2020 को टाइम मैगज़ीन में शीर्षक से एक लेख छपा था. जिसमें फ़ेसबुक के मैसेंजिंग ऐप व्हाट्सऐप और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के बीच गठजोड़ की बात कही गई है.
इससे पहले एक ऐसा ही लेख अमरीकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जनरल में छपा था. जिसका शीर्षक था – ‘ जिसमें फ़ेसबुक की भारतीय टीम के पक्षपात को रेखांकित किया गया था और लिखा गया था कि सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के विवादित पोस्ट को लेकर इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने नियमों में ढील बरती.
वॉल स्ट्रीट जनरल के लेख को लेकर भी कांग्रेस ने फ़ेसबुक के संस्थापक को 17 अगस्त को पत्र लिखकर आरोपों की जांच करने के लिए कहा था और साथ ही उन्हें ये सुनिश्चित करने को कहा था कि भारत में उनकी कंपनी सही तरीक़े से काम करे.
कांग्रेस ने अब टाइम मैगज़ीन के लेख को लेकर लिखा कि हमें इतने कम वक़्त में आपको दोबारा इसलिए पत्र लिखना पड़ा क्योंकि एक प्रतिष्ठित अमरीकी पब्लिकेशन ने एक अन्य लेख में इस बारे में और जानकारी दी है.
पत्र में लिखा गया है कि टाइम मैगज़ीन के लेख में तीन मुख्य चौंकाने वाली बातें हैं, जो भारत में विदेशी कंपनियों के ऑपरेशन से जुड़े क़ानून और भावना दोनों का उल्लंघन करती हैं.
पहली बात जिसका कांग्रेस ने पत्र में ज़िक्र किया है वो है कि व्हाट्सऐप ने भारत में अपने पेमेंट ऑपरेशन के लिए एक ज़रूरी संभावित लाइसेंस हासिल करने के बदले बीजेपी को व्हाट्सऐप इंडिया के ऑपरेशन का नियंत्रण दे दिया.
दूसरे बिंदु में लिखा है कि भारत में आपकी कंपनी की लीडरशीप में एक से ज़्यादा व्यक्ति सत्तारूढ़ बीजेपी के मामले में पक्षपातपूर्ण काम करते हैं. ‘पहले जितना समझा जा रहा था ये समस्या उससे कहीं ज़्यादा बड़ी है.’
तीसरी बात लिखी है कि व्हाट्सऐप को 40 करोड़ भारतीय इस्तेमाल करते हैं और आपकी टीम इस प्लेटफॉर्म पर हेट स्पीच को इजाज़त देती है और इस तरह भारत के सामाजिक सद्भाव को नुक़सान पहुंचाती है.
पत्र में लिखा है कि एक प्रमुख विपक्षी पार्टी होने के नाते हम आपसे अपील करते हैं कि आप हमें बताएं कि आपकी कंपनी इन मामलों की पड़ताल के लिए क्या क़दम उठाने जा रही है. पत्र में ये अपील भी की गई है कि संस्था अपने भारतीय ऑपरेशन में सुधार के लिए एक्शन प्लान बनाए.
कांग्रेस का ये भी कहना है कि वो विधायी और न्यायिक क़दम उठाएगी ताकि कोई विदेशी कंपनी अपने निजी फ़ायदे के लिए इस तरह देश में सामाजिक वैमनस्य फैलाना जारी ना रख पाए.